Question
निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
“मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”
पत्ते पर आते ही बूँद निराश क्यों हो गई?
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क्योंकि रात का समय था, उसे वाष्प करने वाला, सूर्य वातावरण में नहीं था।
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क्योंकि वह पुरुषों से डरती थी।
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क्योंकि उसे कोई सहारा मिलने की उम्मीद न थी।
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क्योंकि वह अपने मित्रों से बिछड़ गई थी।
Solution
A.
क्योंकि रात का समय था, उसे वाष्प करने वाला, सूर्य वातावरण में नहीं था।