Question
निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
“मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”
पते से निकलकर बूँद क्या करना चाहती थी?
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लेखक के हाथ पर ही रहना चाहती है।
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सूर्य के ताप से भाप बनकर उड़ना चाहती है।
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नदी किनारे घूमना चाहती है।
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किसी फलदार वृक्ष का अस्तित्व पाना चाहती है।
Solution
B.
सूर्य के ताप से भाप बनकर उड़ना चाहती है।