टोपी

Question
CBSEENHN8001311

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
“इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
“देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

गवरया और धुनिया राजा को क्या अहसास दिलाना चाहते थे।
  • कि राजा कंजूस न बने।
  • कि राजा को सभी काम करने वालों को मजूरी देनी चाहिए।
  • कि राजा को दूसरों की अंहमियत समझनी चाहिए।
  • कि राजा को बजाय मुफ्त में काम करवाने के लोगों की सहायता करनी चाहिए।

Solution

B.

कि राजा को सभी काम करने वालों को मजूरी देनी चाहिए।

Some More Questions From टोपी Chapter

गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।

गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए।

गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए।

गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्याें पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा की चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।

यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?

चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा चुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरेया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे-मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होनेवाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम टेसन/टिसन-स्टेशन।