टोपी

Question
CBSEENHN8001301

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”

टोपी पहनकर गवरइया की क्या प्रतिक्रिया थी?
  • वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।
  • वह अपना मुकाबला राजा से करने लगी।
  • वह गवरइया को चिढ़ा रही थी।
  • वह अपनी चाहत के पूरा होने पर स्वयं ही हैरान थी।

Solution

A.

वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।

Some More Questions From टोपी Chapter

गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।

गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए।

गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए।

गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्याें पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा की चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।

यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?

चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा चुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरेया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे-मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होनेवाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम टेसन/टिसन-स्टेशन।