नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”
टोपी पहनकर गवरइया की क्या प्रतिक्रिया थी?
वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।
वह अपना मुकाबला राजा से करने लगी।
वह गवरइया को चिढ़ा रही थी।
वह अपनी चाहत के पूरा होने पर स्वयं ही हैरान थी।
Solution
Multi-choise Question
A.
वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।