सुदामा चरित

Question
CBSEENHN8000885

नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
वैसोई राज-समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो।
कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि कै मैं अब द्वारका आयो।।
भौन बिलोकिबे को मन लोचत, अब सोचत ही सब गाँव मझायो।
पूँछत पाड़े फिरे सब सों, पर झोपरी को कहुँ खोज न पायी।

सुदामा प्रेम में क्यों पड़ गए?
  • वे वहाँ की साज-सज्जा को देखकर प्रेम में पड गए।
  • अपने गाँव को बदला देख उन्हें ऐसा लगा कि फिर से द्वारिका पहुँच गए, इसलिए भ्रम में पड गए।
  • अपने घर को न ढूँढ़ पाने के कारण भ्रम में पड गए।
  • इनमे से कोई नहीं।

Solution

C.

अपने घर को न ढूँढ़ पाने के कारण भ्रम में पड गए।

Some More Questions From सुदामा चरित Chapter

निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।

उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।

अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बढ़त वर्षो बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।

इस कविता को एकांकी में बदलिए और उसका अभिनय कीजिए।

कविता के उचित सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए।

‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।

सुदामा की वेशभूषा क्या दर्शाती है?