निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - जब पहली बार सिनेमा ने बोलना सीख लिया. सिनेमा में काम करने के लिए पढ़े-लिखे अभिनेता- अभिनेत्रियों की जरूरत भी शुरू हुई क्योंकि अब संवाद भी बोलने थे, सिर्फ अभिनय से काम नहीं चलनेवाला था। मूक फिल्मों के दौर में तो पहलवान जैसे शरीरवाले, स्टंट करनेवाले और उछल-कूद करनेवाले अभिनेताओं से काम चल जाया करता था। अब उन्हें संवाद बोलना था और गायन की प्रतिभा की कद्र भी होने लगी थी। इसलिए ‘आलम आरा’ के बाद आरंभिक ‘सवाक्’ दौर की फिल्मों में कई ‘गायक-अभिनेता’ बड़े पर्दे पर नज़र आने लगे। हिंदी-उर्दू भाषाओं का महत्त्व बढ़ा। सिनेमा में देह और तकनीक की भाषा की जगह जन प्रचलित बोलचाल की भाषाओं का दाखिला हुआ। सिनेमा ज्य़ादा देसी हुआ। एक तरह की नयी आजादी थी जिससे आगे चलकर हमारे दैनिक और सार्वजनिक जीवन का प्रतिबिंब फिल्मों में बेहतर होकर उभरने लगा।
सिनेमा को पड़े-लिखे अभिनेता-अभिनेत्रियों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्योंकि फिल्मों की भाषा कलिष्ट थी।
क्योंकि संवाद बोलने व गायन हेतु भाषा स्पष्टता की जरूरत थी।
क्योंकि फिल्मों में पढ़ना भी पड़ता था।
इनमें से कोई नहीं।
Solution
Multi-choise Question
B.
क्योंकि संवाद बोलने व गायन हेतु भाषा स्पष्टता की जरूरत थी।
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