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दीवानों की हस्ती
Question
निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।
अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहें रुकनेवाले!
हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।
पद्यांश में कैसे बंधन तोड़ने की बात कही गई है?
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देश के लोगों से जातीयता के बंधन
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बंद जेलों के बंधन
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सगे-संबधियों सै प्रेमभाव के क्योंकि वे स्वतंत्रता की राह पर बढ़ना चाहते हैं।
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इनमें से कोई नहीं।
Solution
C.
सगे-संबधियों सै प्रेमभाव के क्योंकि वे स्वतंत्रता की राह पर बढ़ना चाहते हैं।Some More Questions From दीवानों की हस्ती Chapter
दीवाने शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुआ है? उनका अपने जीवन में लक्ष्य क्या है?
वे मस्ती में जीवन क्यों जीते हैं?
एक भाव में रहकर सुख और दुख दोनों पीने का भावार्थ क्या है, कविता की पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उन्होंने संसार को भिखमंगा क्यों कहा है?
वे हृदय पर असफलता की कैसी निशानी रखते हैं?
इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
दीवानों की हस्ती कविता किन्हें आधार बनाकर लिखी गई है?
‘दीवाने’ एक स्थान पर टिक कर क्यों नहीं रहते?
‘दीवानों’ का संसार के लोगों से कैसा संबंध है?
वीरों ने संसार के लोगों को भीखमंगा क्यों कहा है?
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