नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड्कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
ऐसा लेखक ने क्यों कहा कि गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त यह जवान रही होगी?
बस का साथ सभी लोग नहीं दे रहे थे।
जिस प्रकार असहयोग आंदोलन में लोग पहले, गाँधीजी का साथ नहीं दे रहे थे वैसे ही बस के सभी पुर्जे भी मिलकर नहीं चल रहे थे।
बस गाँधीजी के समय की थी।
बस पर अंकित चिन्ह स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी कह रहे थे।
Solution
Multi-choise Question
B.
जिस प्रकार असहयोग आंदोलन में लोग पहले, गाँधीजी का साथ नहीं दे रहे थे वैसे ही बस के सभी पुर्जे भी मिलकर नहीं चल रहे थे।