बस की यात्रा

Question
CBSEENHN8000530

‘बस की यात्रा’ कैसा लेख है?
  • विचारात्मक
  • आत्मकथा        
  • व्यंग्यात्मक
  • संस्मरण

Solution

Some More Questions From बस की यात्रा Chapter

“मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”
• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

“लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।”
• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

“ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?

“गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।”
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

“मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”
• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।

सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।

आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए।

अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।

बस, वश, बस तीन शब्द हैं - इनमें बस सवारी के अर्थ मैं, वश अधीनता के अर्थ मैं, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।
• उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से युक्त आप भी दो-दो वाक्य बनाइए।