नीचे लिखे काव्याशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत ।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनोहर।
वह कलियों को कैसे जगाना चाहता है?
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जल से सींचकर
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तव धूप कै प्रकाश से
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अपने कोमल हाथों का स्पर्श देकर
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इनमें से कोई नहीं ।
C.
अपने कोमल हाथों का स्पर्श देकर