CBSE hindi
Sponsor Area
निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें क्या बताया कि वे भड़क उठे?
(ख) बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य को कारण क्यों थी?
(ग) कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(घ) ‘फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी’- इस मान्यता का कारण समझाइए।
(ङ) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर आशय समझाइए क्या होगा उस कौम को जो अपने देश की
(क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें कहा कि आपने मन्नू को कुछ ज्यादा ही आजादी दे रखी है। न जाने कैसे-कैसे उल्टे-सीधे लड़कों के साथ हड़ताले करवा रही है, हुड़दंग मचाती फिर रही है। मान-मर्यादा, इज्जत आबरू का ख्याल ही नहीं रहा है। हमारे आपके घरों की लड़कियों को यह सब शोभा नहीं देता। इसे सुनकर मन्नू भंडारी के पिता भड़क उठे।
(ख) बालगोबिन भगत प्रतिदिन दो मील दूर नदी स्नान के लिए जाते थे। सुबह-शाम कबीर के गीत गाते खेती-बाड़ी करते, सभी कार्य स्वयं करते व गृहस्थ होते हुए भी साधुता का जीवन जीते थे। झूठ न बोलना, खरा व्यवहार करना, किसी की चीज को छूना और प्रत्येक नियम को बारीकी से पूरा करना लोगों के लिए कुतूहल का विषय था। सर्दी हो या गर्मी अपने भजन में तल्लीन रहना उनका विशेष गुण था। वृद्धावस्था में भी भगत जी की ऐसी दिनचर्या अचरज का कारण इन्हीं वजहों से बनी।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ सच्चे मुसलमान थे। अपने धर्म और आस्था के प्रति समर्पित थे। पाँचों वक्त नमाज अदा करते थे मुस्लिम उत्सवों में गहरी आस्था थी। मुहर्रम में अगाध श्रद्धा थी। साथ ही वे काशी में जीवन-भर विश्वनाथ और बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते रहे। गंगा को मैया कहते थे। काशी से बाहर होने पर बालाजी के मंदिर की दिशा की तरफ मुँह करके थोड़ी देर के लिए शहनाई जरूर बजाते थे। हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों के लिए अवश्य होते थे। इसलिए कहा गया है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(घ) फादर बुल्के के मन में सभी के लिए आशीष, करुणा, ‘प्रेम भरा हुआ था उनकी उपस्थिति मात्र ही बुजुर्गों के सम्मान अपने लोगों के एहसास से भर देती थी किसी भी उत्सव या संस्कारों में इस तरह शामिल होते थे जैसे कोई बड़ा-भाई या पुरोहित हो और सभी को अपने आशीषों से भर देते थे। उनकी गीली आँखों में सदैव वात्सल्य दिखाई देता था। जिस तरह देवदार का वृक्ष लंबा और छयादार होता है उसी तरह फादर की उपस्थिति प्रतीत होती थी जो सभी को अपने स्नेह से लबालब कर देते थे।
(ङ) हालदार साहब कैप्टन की मृत्यु पर उदास व चिंतित हो जाते हैं। बूढ़ी कैप्टन ही था जो सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाता था उसकी मृत्यु के बाद वे सोचते हैं कि ये दुनिया तो बस देश पर मर मिटने वालों पर हँसती है जो अपना घर गृहस्थी जवानी जिंदगी सब देश के लिए बलिदान कर देते हैं उन पर लोग हंसते हैं। मजाक उड़ाते हैं। ऐसी घटती हुई देशभक्ति की भावना चिन्तनीय है। ऐसे देश का भविष्य क्या होगा जहाँ की कौम देशभक्तों का उपहास करती है।
Sponsor Area
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) लक्ष्मण ने धनुष टूटने के किन कारणों की संभावना व्यक्त करते हुए राम को निर्दोष बताया?
(ख) फागुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँख हट नहीं रही है?
(ग) फसल क्या है? इसको लेकर फसल के बारे में कवि ने क्या-क्या संभावनाएँ व्यक्त की हैं?
(घ) ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन’ क्यों कहा गया है?
(ङ) संगतकार किसे कहा जाता है? उसकी भूमिका क्या होती
(क) लक्ष्मण ने धनुष टूटने के कई कारण बताते हुए राम को निर्दोष बताया।
- धनुष अत्यंत जीर्ण था जो राम के हाथ लगाते ही टूट गया।
- हमारे लिए तो सभी धनुष एक समान हैं इस धनुष के टूटने से हमारा क्या लाभ या हानि होगी।
- राम ने तो इसे नया समझकर छुआ ही था, छूने भर से ही ये टूट गया।
(ख) फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर व्याप्त होता है। फागुन में बसंत का यौवन और सुंदरता कवि की आँखों में समा नहीं पा रहा है। उसका हृदय प्रकृति के सौंदर्य से अभिभूत है। इस कारण कवि की आँख प्रकृति के सौंदर्य से हट नहीं पा रही है।
(ग) फसले नदियों के पानी का जादू, मिट्टियों का गुण धर्म, मानव श्रम धूप और हवी का मिला-जुला रूप है। सभी प्राकृतिक उपादानों और मानव श्रम का परिणाम है। फसल को लेकर कवि ने संभावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा है कि मनुष्य यदि परिश्रम करे और प्राकृतिक उपादनों को सही उपयोग करे तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। किसानों की स्थिति में सुधार आएगा और कृषि व्यवस्था सदृढ़ होगी।
(घ) कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक वे लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं। और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।
(ङ) किसी भी क्षेत्र या कार्य में मुख्य कलाकार का सहयोग करने वाले सहायकों को संगतकार कहा जाता है। संगताकर की भूमिका यह होती है कि वह अपने मुख्य कलाकार को पूर्ण सहयोग प्रदान करता ह और उन्हें आगे बढ़ने में योगदान देता है। जैसे संगीत के क्षेत्र में संगतकार मुख्य गायक की आवाज को बिखरने नहीं देता है साथ ही अपनी आवाज को प्रभावी नहीं बनने देता है।
‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर गंगतोक के मार्ग के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए जिसे देखकर लेखिका को अनुभव हुआ ‘जीवन का आनंद है यही चलायमान सौन्दर्य। [4]
अथवा
‘जार्ज पंचम की नाक’ के बहाने भारतीय शासनतंत्र पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए पत्रकारों की भूमिका पर भी टिप्पणी कीजिए।
लेखिका ने धीरे-धीरे धुंध की चादर हटते हुए देखा तो आश्चर्यचकित रह गई। सब ओर जन्नत बिखरी हुई पड़ी थी। नज़रों के छोर तक खूबसूरती फैली दिखाई दे रही थी। पर्वत फूलों की घाटियाँ, पर्वत, प्रवाहमान झरने, नीचे वेग से बहती तिस्ता नदी, ऊपर मँडराते आवारा बादल सब कुछ घटित होते दिखाई दे रहे थे। इन दुर्लभ नजारों ने लेखिका को मोहित कर रखा था। हवा में हिलोरे लेते प्रियुता और डोडेंडो के फूल प्रकृति में खुशबू बिखेर रहे थे। इन सबके साथ सतत प्रवाह में बहता लेखिका का वजूद उसे यह एहसास करा रहा था कि जीवन का आनंद है यही चलायमान सौंदर्य।
अथवा
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ के बहाने भारतीय शासनतंत्र पर करारी व्यंग्य किया गया। देश को स्वतन्त्र हुए लंबा समय बीत जाने पर भी सरकारी तंत्र गुलामों की मानसिकता के साथ जी रहे हैं। , एलिजाबेथ के आने के कारण अचानक सरकारी तंत्र जॉर्ज पंचम की नाक को छोड़ने में लग गया है। यह गुलामी की मानसिकता का ही प्रतीक है। पत्रकारों ने भी इसमें अहम भूमिका निभायी। इंग्लैंड के अखबारों में छपी खबर दूसरे दिन हिंदुस्तानी अखबारों में चिपकी नजर आती थी। रानी के कपड़ों के बारे में, जन्मपत्री, नौकरों, बावर्चियों, खानसामों अंगरक्षकों की पूरी जीवनियाँ अखबारों में छपी। पत्रकारों ने शाही महल के कुन्तों की तस्वीरें तक अखबार में छपी। आलम यह था कि शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूंज हिंदुस्तान में आ रही थी।
किसी विशेष टी. वी. चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले अवैज्ञानिक और तर्कहीन कार्यक्रम प्रायः दिखाए जाने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आप अपनी किसी चूक के लिए बहुत लज्जित हैं और माँ के सामने जाने का साहस भी नहीं जुटा पा रहे हैं। तथ्यों को स्पष्ट करते हुए माँ को पत्र लिखकर क्षमायाचना कीजिए।
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक-26 मार्च 20XX
सेवा में, संपादक,
दैनिक समाचार पत्र, .
बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय-टी. वी. चैनल में तर्कहीन व अवैज्ञानिक
कार्यक्रम पर रोक लगाने हेतु पत्र
महोदय,
मैं आपके दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से टी.वी. चैनल के अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाना चाहती हूँ। टी.वी. चैनल में रात्रि नौ बजे एक धारावाहिक आता है जो अंधविश्वास को प्रोत्साहित करता है। इसका नाम है-‘डर’ यह कार्यक्रम अवैज्ञानिक व तर्कहीन है। इसमें प्रत्येक दिन एक नयी कहानी दिखायी जाती है जो भूत पिशाचों से संबंधित होती है। इसका असर बच्चों पर अधिक पड़ रहा है क्योंकि बच्चे इसे शौक में देखते हैं और इसे ही सच मानते हैं। परन्तु इसका असर भयावह हो रहा है क्योकि इसकी छाप मानसिक पटल पर रह जाती है। जो हमारी भावी पीढ़ी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। आपसे अनुरोध है कि अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में इस लेख को छापें ताकि टी.वी. चैनल से अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो तथा वे ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण न करें जो समाज को अंधविश्वासों से हानि पहुँचाए।
धन्यवाद,
भवदीया,
क. ख. ग. .
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली
दिनांक 16 मार्च 20XX
आदरणीय माता जी,
चरण स्पर्श,
माँ कुछ दिनों पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मुझसे एक गलती हो गई। विज्ञान के पेपर की तैयारी अच्छी तरह न होने के कारण में परेशान था जिसके कारण परीक्षा में मैंने नकल की। परन्तु मैं इसके लिए अत्यधिक लज्जित हूँ। माँ मैंने गलती की है पर आज तक में इससे उभर नहीं पाया हूँ। पास होने के लिए मैंने गलत रास्ता स्वीकार कर लिया जो शर्मनीय कार्य है।
माँ इस गलती को स्वीकार करते हुए माफी माँगना चाहता हूँ। परन्तु साहस नहीं जुटा पा रहा हूँ। आपके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जित महसूस कर रहा हूँ। आपके दिये गए संस्कारों का मान नहीं रख पाया। माँ मैं इस पत्र द्वारा आपसे माँफी चाहता हूँ। मुझे माफ कर दीजिए। आगे से ऐसी चूक कभी नहीं होगी। आज मुझे एहसास हो रहा है मैं आदर्श बेटा न बन सका। मैं वादा करता हूँ ऐसी गलती दुबारा नहीं होगी। माँ इस पत्र द्वारा मैं अपने भावों को स्पष्ट करने की हिम्मत जुटा पाया हूँ। आशा है, आप मुझे माफ कर देंगी।
आपका पुत्र,
क. ख. ग.
Sponsor Area
Mock Test Series
Mock Test Series



