CBSE hindi
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निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिएः
(क) ‘सआदत अली’ अंग्रेज़ों का हिमायती क्यों था? ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘गिरगिट’ पाठ के आधार पर ओचुमेलाॅव की तीन चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि वजीर अली एक नीतिकुशल योद्धा था।
(क) सआदत अली वज़ीर अली का चाचा और नवाब आसिफउदौला का भाई था। सआदत अली अंग्रेज़ों का चमचा था। अंग्रेज़ जानते थे कि यदि अवध को अपने अधिकार में लेना है, तो सआदत अली का तख्त पर बैठना आवश्यक है। वज़ीर अली के रहते अवध को अपने कब्जे में लेना संभव नहीं था।इसलिए ‘सआदत अली’ अंग्रेज़ों का हिमायती था|
(ख) ओचुमेलॉव की तीन चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1.अवसरवादी- ओचुमेलॉव अवसरवादी व्यक्ति है। अवसर का लाभ उठाना उसे बहुत अच्छा आता है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है, तो वह तुरंत कुत्ते के पक्ष में बोलने लगता है। इससे पहले वह ख्यूक्रिन के पक्ष में बोल रहा था।
2. चापलूस- ओचुमेलॉव एक चापलूस व्यक्ति है। वह जनरल साहब की चापलूसी करने के लिए उन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करता है। जब तक वह इस सच से अनजान था कि कुत्ता जनरल साहब का नहीं है, तब तक वह कुत्ते के मालिक को सज़ा दिलाने के लिए तैयार था। परन्तु जनरल साहब का कुत्ता होने की बात पता चलने पर जनरल साहब के प्रति वफादर हो जाता है और कुत्ते को सकुशल घर भिजवा देता है।
3. स्वार्थी- ओचुमेलॉव स्वार्थी व्यक्ति है। अपने स्वार्थ के लिए वह किसी का भी फायदा उठा सकता है। अपने पद की गरिमा भी उसे दिखाई नहीं देती है। उसके लिए अपना स्वार्थ महत्वपूर्ण है। लोगों का विश्वास, न्याय जैसी बातें उसके लिए बेकार हो जाती है।
(ग) वज़ीर अली एक नीतिकुशल योद्धा था। अंग्रेज़ी सरकार उसे पकड़ने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी परन्तु उसे पकड़ने में असमर्थ थी। वह जंगलों में इस कदर रहता था कि किसी के हाथ नहीं आया था। उसकी नीति कुशलता का ही प्रमाण है कि कुछ जाँबाज़ सिपाहियों के ही दम पर वह वर्षों तक अंग्रेज़ी सरकार को चकमा देता रहा।
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‘गिरगिट’ पाठ के शीर्षक का आधार पाठ में क्या दिया गया है? अपने शब्दों में उत्तर देते हुए कोई अन्य शीर्षक कारण सहित सुझाइए।
अथवा
‘गांधीजी के नेतृत्व में अद्भुत क्षमता थी’ − कथन की पुष्टि ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर उदाहरण सहित कीजिए।
इस कहानी का शीर्षक 'गिरगिट' रखा गया है क्योंकि गिरगिट समय के अनुसार अपने को बचाने के लिए रंग बदलता रहता है। उसी प्रकार इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव भी मौका परस्त है। पहले तो कुत्ते को भला- बुरा कहता है, गोली मारने की बात करता है परन्तु जनरल के भाई के कुत्ते होने का पता लगते ही वह बदल जाता है। उसके लिए मरियल कुत्ता 'सुन्दर डॉगी' हो जाता है और ख्यूक्रिन को बुरा भला कहने लगता है। वह गिरगिट की भांति रंग बदलता रहता है। इस पाठ का अन्य नाम 'बदलते रंग' रखा जा सकता है। इस पाठ में क्योंकि ओचुमेलॉव हर कदम पर रंग बदलता रहता है। कभी ख्यूक्रिन के पक्ष में होता है कभी कुत्ते के पक्ष में। यह नाम उसके बदलते स्वभाव को बहुत अच्छा प्रदर्शित करता है।
अथवा
गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उनका नेतृत्व ही था, जो विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में बाँटा भारत एक हो गया और लोग आज़ादी पाने के लिए तत्पर हो गए। उन्होंने जब भी नेतृत्व किया, वे सफल रहे। उनके नेतृत्व के तले सभी धर्मों के लोगों ने अपना भरपूर सहयोग दिया। ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने विद्यमान हैं, जब उन्होंने सफल नेतृत्व किया। दांडी मार्च ऐसा ही एक आंदोलन है। इसकी सफलता को भुलाया नहीं जा सकता है। भारत छोड़ो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोग आन्दोलन उनके अद्भुत नेतृत्व को दर्शाते हैं। अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्होंने पूर्ण स्वराज की स्थापना की।
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) 'मनुष्यता' कविता में कवि ने किन महान व्यक्तियों के उदाहरणों से मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिये हैं? किन्हीं तीन का उल्लेख कीजिए।
(ख) 'मनुष्यता' कविता में कवि ने सबको एक होकर चलने के प्रेरणा क्यों दी है? इसके क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
(ग) कवयित्री महादेवी वर्मा की कविता 'मधुर मधुर मेरे दीपक जल' का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
(घ) 'आत्मत्राण' कविता में कवि की क्या कामनाएँ हैं? अपने शब्दों में संक्षेप में लिखिए।
(क) मनुष्यता कविता में कवि ने कर्ण, राजा उशीनर तथा दधीचि ऋषि का उदाहरण देकर मनुष्यता की भावना को जीवित रखने का संदेश दिया है। कवि लोगों को जन कल्याण के लिए प्रेरित करता है। उसके अनुसार जैसे इन तीन महान आत्माओं ने मनुष्यता की लाज बनाए रखी और अपने जीवन का बलिदान करने से हिचकिचाए नहीं, वैसे ही हमें कार्य करते रहना चाहिए। इसके लिए चाहे हमें अपने प्राणों का बलिदान क्यों न देना पड़े? मनुष्यता तभी कायम रखी जा सकती है, जब मनुष्य बलिदान देने के लिए तत्पर रहता है। तभी मनुष्य जाति का कल्याण संभव है।
(ख) कवि के अनुसार यदि सभी लोग एक होकर चलते हैं, तो इससे प्रेम तथा भाईचारे की भावना को बल मिलता है। इसके विभिन्न लाभ हैं। कठिनाइयों का सामना करना सरल हो जाता है। एकता स्थापित होती है। शत्रु निर्बल हो जाता है। अमन और शांति का प्रसार होता है। प्रेम बढ़ता है। संगठन शक्ति बढ़ती है। प्रगति और विकास की गति बढ़ जाती है। मतभेद समाप्त हो जाते हैं। कलह और द्वेष की भावना का अंत होता है। अन्य लोगों को साथ चलने की प्रेरणा मिलती है।
(ग) कवियत्री अपने आस्था रूपी दीपक से निरंतर हर परिस्थिति में हँसते-हँसते जलने के लिए कह रही है। क्योंकि उसके जलने से इन तारों रूपी संसार के लोगों को राहत मिलेगी। उनके अनुसार लोगों के अंदर भगवान को लेकर विश्वास धुंधला रहा है। थोड़ा-सा कष्ट आने पर वे परेशान हो जाते हैं। अत: तेरा जलना अति आवश्यक है। तुझे जलता हुआ देखकर उनका विश्वास बना रहेगा। उनके अनुसार एक आस्था के दीपक से सौ अन्य दीपकों को प्रकाश मिल सकता है।
(घ) 'आत्मत्राण' कविता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित कविता है। आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है। कवि भगवान से प्रार्थना करता है कि ऐसे समय मैं आप मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को बनाए रखना। उनके अनुसार भगवान पर विश्वास ही उन्हें सारी विपदाओं व कठिनाइयों से उभरने की शक्ति देता है। दूसरे वह (भगवान) मनुष्य को विषम परिस्थितियों में निडर होकर लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार भगवान में वे शक्तियाँ हैं कि वह असंभव को संभव को बना सकते हैं। परन्तु कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो, वह उनसे स्वयं आमना-सामना करें। भगवान मात्र उसका सहयोग करे। इससे होगा यह कि वह स्वयं इतना मजबूत हो जाएगा कि हर परिस्थिति में कमजोर नहीं पड़ेगा और उसका डटकर सामना करेगा।
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) टोपी शुक्ला के घर की बूढ़ी नौकरानी को टोपी के प्रति प्रेम और सहानुभूति क्यों थी? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
(ख) 'टोपी शुक्ला' पाठ के आधार पर बताइए कि इफ़्फ़न की दादी मिली-जुली संस्कृति में विश्वास क्यों रखती थी। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'सपनों के-से दिन' पाठ के आधार पर बताइए कि कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डालती। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
(क) टोपी शुक्ला को सदैव अपने परिवारजनों से प्रताड़ना और उपेक्षा मिली थी। वह अपने भरेपूरे घर में अकेला था। उसके परिवार में दादी, माता-पिता, भाई सभी थे। उसकी किसी को परवाह नहीं थी। कभी दादी द्वारा दुत्कारा जाता, तो कभी माता द्वारा गलत समझा जाता, पिता अपने काम में मस्त थे और बड़ा भाई तो उसे सदैव नौकर के समान काम करवाता था। घर में उपेक्षित टोपी को देखकर बूढ़ी नौकरानी को उससे प्रेम और सहानुभूति होती थी। उसके समान ही टोपी की घर में कद्र नहीं थी। इसलिए वह टोपी के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखती थी।
(ख) इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थीं तथा ससुराल लखनऊ था। उनका जीवन दो अलग संस्कृतियों के मध्य गुज़रा था। वे दोनों संस्कृतियों के मध्य पली-बढ़ीं थीं। अतः दोनों के प्रति प्रेम तथा सम्मान था। पूरब से होने के कारण पूरबी बोलती थीं क्योंकि यह उनके दिल के नज़दीक थी। वे धार्मिक थी परन्तु धर्म को कभी संस्कृति के मध्य नहीं लायीं। वे रोज़े-नमाज़ की पाबंद थीं लेकिन जब उनके एकमात्र बेटे को चेचक की बीमारी ने आ घेरा, तो एक टाँग पर खड़ी होकर माता से अपने बच्चे के लिए क्षमा प्रार्थना करने लगीं। माना जाता है कि चेचक हिन्दुओं की देवी माता के प्रकोप के कारण होता है। इससे पता चलता है कि दोनों संस्कृतियों के प्रति प्रेम और आदर होने के कारण वे उनमें विश्वास रखती थीं।
(ग) यह बात बिलकुल सही है भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डाल सकती है। लेखक का गाँव ऐसा था, जहाँ राजस्थान तथा हरियाणा से आए हुए परिवार रहते थे। उनकी बोली बिलकुल अलग थी। परन्तु बच्चों के आपसी व्यवहार में भाषा ने कभी बाधा नहीं डाली। वे सब खेलते समय एक दूसरे की बात समझ व जान लेते थे। खेल के समय भाषा का कोई स्थान नहीं होता था। बस आपसी समझ से काम चल जाता था।
'सपनों केसे दिन' पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों का खेलकूद में अधिक रुचि लेना अभिभावकों को अप्रिय क्यों लगता था|पढ़ाई के साथ खेलों का छात्र जीवन में क्यामहत्त्व है और इससे किन जीवनमूल्यों की प्रेरणा मिलती है? स्पष्ट कीजिए।
अभिभावकों का मानना था कि बच्चे पढ़ाई के स्थान पर खेलते रहेंगे, तो पढ़ाई नहीं कर पाएँगे। इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होगा। यही कारण है कि वे बच्चों को पढ़ने के लिए कहते थे। यदि बच्चे कहीं खेलते दिख जाते थे, तो उनकी बहुत पिटाई होती थी। जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी बहुत महत्त्व है। विद्यार्थियों के लिए तो खेल उत्तम औषधी के समान है। पढ़ाई करने के बाद खेलने से मन को नई शक्ति प्रदान होती है। खेलने से विद्यार्थियों में उपजा तनाव कम होता है। लगातार पढ़ने से उत्पन्न झुंझलाहट भी समाप्त हो जाती है। शरीर मज़बूत बनता है। पढ़ाई में मन लगा रहता है। विद्यार्थी आज खेलों के माध्यम से उज्जवल भविष्य भी पा रहे हैं। खेलों को व्यवसाय के रूप में अपनाने से खिलाड़ी देश-विदेश में यश और धन दोनों कमा रहे हैं। इन सब बातों को देखते हुए हम खेलों के महत्व को नकार नहीं सकते हैं। इसके अतिरिक्त खेलों से जीवन में परिश्रम करने की प्रेरणा मिलती है। आलस को दूर भगाने में सहायता मिलती है और जीवन में आगे बढ़ते रहने का संदेश मिलता है। यह बच्चों में प्रेम भावना और आपसी सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।
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