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इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। एक दूसरे के बिना अधूरे थे परन्तु दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी। इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कह कर हल्का कर लेता था परन्तु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था। अत इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
इफ़्फ़न की दादी जमींदारों के परिवार से आई थी इसलिए वहाँ पर किसी भी चीज की कोई कमी न थी परन्तु उनका विवाह मौलवी के साथ कर देने के कारण उन्हें पाबंदी में रहना पड़ता था। वह वहाँ दूध, घी, दही खाती थी। लखनऊ आकर वह इसके लिए तरस गई थी। इसलिए उन्हें पीहर जाना अच्छा लगता था।
इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
दादी का विवाह मौलवी परिवार में हुआ था जहाँ गाना बजाना पसंद नहीं किया जाता था। इसलिए इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।
'अम्मी' शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
'अम्मी' शब्द को सुनते ही सबकी नज़रें टोपी पर पड़ गई। क्योंकि यह उर्दू का शब्द था और टोपी हिंदू था। इस शब्द को सुनकर जैसे परम्पराओं और संस्कृति की दीवारें डोलने लगीं। घर में सभी हौरान थे। माँ ने डाँटा, दादी गरजी और टोपी की जमकर पिटाई हुई।
दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में एक विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि उस दिन टोपी के मित्र इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया था, उसका मित्र उसे छोड़कर मुरादाबाद चला गया था। अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ और इसी दिन उसने कसम खाई थी कि वह तबादला होने वाले मित्र के साथ दोस्ती नहीं करेगा। इसी दिन से टोपी अकेला भी हो गया था और बाद में वह किसी से दोस्ती भी नहीं कर पाया।
टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
टोपी की दादी का स्वभाव सख्त और अनुशासन प्रिय था। वे हमेशा टोपी को डाँटती और फटकारती रहती थी उसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी असीम प्यार से भरी थी। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्कर गुड जैसी लगती थी। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थी उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठकर बातें करती थी इसलिए टोपी ने दादी के इसी स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।
पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह क्यों था?
पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह इसलिए था क्योंकि पूरे घर में कभी-न-कभी उसे कोई डाँट देता ही था, कभी अब्बू अम्मी उसे डाँटते थे, उसकी बाजी औरनुज़हत भी उसको परेशान करती थी। परन्तु उसकी दादी उसे कभी डाँटती नहीं थी। वे उसे रात में अनार परी, बहराम डाकू, अमीर हमला, गुलब काबली, हातिमताई जैसी अनेक कहानियाँ सुनाती थी। इसी कारण वह अपनी दादी से प्यार करता था।
इफ़्फ़न की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली सा क्यों लगा?
एक पूरे घर में इफ़्फ़न की दादी ही थी जिससे टोपी प्रेम के अटूट बंधन से जुड़ा था। इफ़्फ़न की दादी जितना प्यार इफ़्फ़न को करती उतना ही टोपी को भी करती थी, टोपी से अपनत्व रखती थी।वे हमेशा उसे अपने पास बैठाकर उससे बातें करती थी। अब उनके चले जाने के बाद उसे कोई भी दादी की तरह प्यार से बोलनेवाला उस घर में बचा न था इसलिए इफ़्फ़न की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली सा लगा। उससे ऐसा लगा मानो उस पर से दादी की छत्रछाया ही खत्म हो गई है।
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
टोपी हिंदू धर्म का था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम। परन्तु जब भी टोपी इफ़्फ़न के घर जाता दादी के पास ही बैठता। उनकी मीठी पूरबी बोली उसे बहुत अच्छी लगती थी। दादी पहले अम्मा का हाल चाल पूछतीं। दादी उसे रोज़ कुछ न कुछ खाने को देती परन्तु टोपी खाता नहीं था। अत: दोनों का रिश्ता जाति और धर्म से परे प्यार के धागे से बँधा था। यहाँ पर लेखक ने यह समझाने का प्रयास किया है कि जब रिश्ते प्रेम से बँधे होते है तो तब धर्म, मजहब सभी बेमानी हो जाते हैं।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए −
ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के निम्न कारण थे -
(क) जब भी वह पढ़ने बैठता मुन्नी बाबू को कोई न कोई काम निकल आता या रामदुलारी कोई ऐसी चीज़ मँगवाती जो नौकर से नहीं मँगवाई जा सकती। जिससे उसे पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिल पाता था। इस तरह वह फेल हो गया।
(ख) दूसरे साल उसे मियादी (टाइफाइड) बुखार हो गया था और पेपर नहीं दे पाया इसलिए फ़ेल हो गया था।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए −
एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को कई भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता क्योंकि कमजोर लड़कों के रूप में अध्यापक उसका ही उदाहारण देते थे। उसका मज़ाक उड़ाते थे। मास्टर भी उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। फेल होने के कारण उसके कोई नए मित्र भी नहीं बन पाए। मास्टर उसकी किसी भी बात पर ध्यान ही नहीं देते थे वह किसी से शर्म के मारे खुलकर बातें नहीं कर पाता था। पर फिर भी उसने इन चुनौतियों को स्वीकार कर सफलता प्राप्त की।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए −
टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्येनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
बच्चे फ़ेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं।उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। वे शर्म महसूस करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी के पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए बल्कि उसके अनुभव व अन्य कार्य कुशलता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए।
इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
कस्टोडियन पर जाना अर्थात् सरकारी कब्जा होना। दादी के पीहर वाले विभाजन के समय के बाद पाकिस्तान में रहने लगे तो भारत में उनके घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा। इससे घर पर उनका मालिकाना हक भी न रहा। इसलिए वह घर सरकारी कब्जे में चला गया।
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