संचयन भाग २ Chapter 2 सपनों के से दिन
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi संचयन भाग २

    सपनों के से दिन Here is the CBSE Hindi Chapter 2 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi सपनों के से दिन Chapter 2 NCERT Solutions for Class 10 Hindi सपनों के से दिन Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN10002673

    कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती− पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता हैं?

    Solution

    पाठ के इस अंश द्वारा यह पता चलता है कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती - इस पाठ में लेखक ने बचपन की घटना को बताया है कि उनके आधे से ज्यादा साथी कोई हरियाणा से, कोई राजस्थान से थे। सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं, उनके कुछ शब्द सुनकर तो हँसी ही आ जाती थी परन्तु खेलते समय सब की भाषा सब समझ लेते थे। उनके व्यवहार में इससे कोई अंतर न आता था। क्योंकि बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार, उनकी भाषा अलग होते हुए भी एक ही लगती है। भाषा अलग होने से आपसी खेल कूद, मेल मिलाप या आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती।

    Question 2
    CBSEENHN10002674

    पीटी साहब की 'शाबाश' फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी। स्पष्ट कीजिए। 

    Solution

    यदि कोई कतार से सिर इधर-उधर हिला लेता या दूसरी पिंडली खुजलाने लगता इस पर वे उसे लड़के की ओऱ बाघ की तरह झपट पड़ते। परन्तु जब बच्चे कोई भी गलती न करते तो पी. टी. साहब उन्हें शाबाश कहते। बच्चे शाबाश शब्द सुनकर खुश होते और उन्हें लगता कि जैसे फौज में सिपाही को तमंगे दिए जाते हैं वैसा ही तमंग उन्हें भी मिल गया है।

    Question 3
    CBSEENHN10002675

    नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

    Solution

    नयी श्रेणी में जाने पर लेखक को हैडमास्टर जी एक अमीर घर के बच्चे की पुरानी किताबें लाकर देते थे। परन्तु इन नयी कापियों और पुरानी किताबों आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास कर जाती थीं क्योंकि नयी श्रेणी का मतलब और कठिन पढाई और नए मास्टरों से पिटाई का भय होता था। पुराने मास्टरों की भी अपेक्षाएं बढ़ जाती थी। उन्हें लगता था की नयी श्रेणी में आने से बच्चें तेज हो गए हैं और अपेक्षाओं की प्रति न होने पर वे चमड़ी उधेरने में देर न लगाते।

    Question 4
    CBSEENHN10002676

    स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण 'आदमी' फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

    Solution

    स्काउट परेड में लेखक साफ़ सुथरे धोबी के घुले कपड़े, पॉलिश किए हुए बूट, जुराबों को पहन कर जब लेखक ठक-ठक करके चलता था तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। उसके साथ ही जब पीटी मास्टर परेड करवाया करते और उनके आदेश पर लेफ्ट टर्न, राइट टर्न या अबाऊट टर्न को सुनकर जब वह अकड़कर चलता तो अपने अंदर एक फ़ौजी जैसी आन-बान-शान महसूस करता था।

    Question 5
    CBSEENHN10002677

    हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअतल कर दिया?

    Solution

    एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चों को फ़ारसी के शब्द रूप याद करने के लिए दिए। परन्तु बच्चों से यह शब्द रूप याद नहीं हो सके। इस पर मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया। बच्चे इसे सहन नहीं कर पाए कुछ ही देर में लुढ़कने लगे। उसी समय नम्र ह्रदय हेडमास्टर जी वहाँ से निकले और बच्चों की हालत देखकर उत्तेजित हो गए और इस प्रकार की क्रूरता को बच्चों के प्रति सहन नहीं कर पाए और पीटी मास्टर को उन्होंने तत्काल मुअत्तल कर दिया। 

    Question 6
    CBSEENHN10002678

    लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

    Solution

    लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगें झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद पढाई के बजाए स्काउटिंग की परेड करवाते थे, तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था। सब बच्चे ठक-ठक करते राइट टर्न, लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न करते और मास्टर जी उन्हें शाबाश कहते तो लेखक को पूरे साल में मिले गुड्डों से भी ज़्यादा अच्छा लगता था। इसी कारण लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा। 

    Question 7
    CBSEENHN10002679

    लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति 'बहादुर' बनने की कल्पना किया करता था?

    Solution

    लेखक के स्कूल की छुट्टियाँ होती और उसमें जो काम करने के लिए मिलता उसे पूरा करने के लिए लेखक समय सारणी बनाता। कौन-सा काम, कितना काम एक दिन में पूरा करना है। जैसे हिसाब के मास्टर द्वारा दिए गए 200 सवालों को पूरा करने के लिए रोज दस सवाल निकले जाने पर 20 दिन में पूरे हो जाएँगे लेकिन खेल कूद में लेखक का समय बीत जाता और काम न हो पाता। धीरे-धीरे समय बीतने लगता तो लेखक ओमा नामक ठिगने और बलिष्ठ लड़के जैसा बहादुर बनना चाहता था जो उद्दंड था और काम करने के बजाए पिटना सस्ता सौदा समझता था।

    Question 8
    CBSEENHN10002680

    पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

    Solution

    पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताए निम्नलिखित हैं-
    1) पीटी सर शरीर से दुबले-पतले, ठिगने कद के थे, उनकी आँखे भूरी और तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और लम्बे जूते पहनते थे।
    2) वे बहुत अनुशासन प्रिय थे। बच्चे उनका कहना नहीं मानते तो वे दंड देते थे।
    3) वे कठोर स्वभाव के थे, उनके मन में दया भाव न था। बाल खींचना, ठुडढे मारना, खाल खींचना उनकी आदत थी।
    4) इनके साथ वे स्वाभिमानी भी थे। नौकरी से निकाले जाने पर वे हेडमास्टर जी के सामने गिड़ गिड़ाए नहीं बल्कि चुपचाप चले गए।

    Question 9
    CBSEENHN10002681

    विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

    Solution

    इस पाठ में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को कठोर दंड, मार-पीठ जैसी युक्तियाँ अपनाई गई हैं, साथ ही उनके उत्साह बढ़ाने के लिए शाबासियाँ भी जाती थी परन्तु वर्तमान परिवेश में शिक्षकों को बच्चों के साथ मारपीट का अधिकार नहीं दिया गया है। आजकल बच्चों के मनोविज्ञान को समझने के लिए शिक्षकों को परिक्षण दिया जाता है कि वे बच्चे की भावनाओं को समझें, उनके दुर्व्यवहार के कारण को समझे, उन्हें उनकी गलती का एहसास कराए तथा उनके साथ मित्रता व ममता का व्यवहार किया जाए जिससे वे बच्चों को ठीक से समझ कर उनके साथ उचित व्यवहार कर सके। इससे बच्चे स्कूल जाने से डरेंगे नहीं बल्कि खुशी खुशी आएँगे।

    Question 10
    CBSEENHN10002682

    बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।  

    Solution

    विद्यार्थी अपने अनुभव के आधार पर स्वयं करे जैसे- 
    हर एक बच्चे की स्कूली जीवन से जुड़ी कुछ खास यादें होती हैं जो उसके जीवन की अमूल्य निधियाँ होती हैं। मेरे बचपन से जुड़ी ऐसी अनेक यादें है परन्तु उनमें से इस याद का अपना विशेष स्थान है। हुआ कुछ यूँ था कि जब मैं पाँचवीं क्लास में था तो बड़ा शरारती हुआ करता था। सभी शिक्षक मुझसे परेशान रहा करते थे। हमारे स्कूल के आहाते में जामुन के कुछ पेड़ थे परन्तु हेडमास्टर और माली के डर से कोई इन जामुन के वृक्षों को हाथ भी नहीं लगाता था परन्तु एक दिन मैंने और कुछ मित्रों ने जामुन तोड़ने का निश्चय कर ही लिया। तय यह हुआ कि मैं पेड़ पर चढूँगा और सब नीचे निगरानी रखेंगे। जैसे ही मैं पेड़ की एक डाली पर पहुँचा डाली टूट गयी और मैं धम से एक लड़के के ऊपर गिर पड़ा साथ ही मेरा सिर एक नुकीले पत्थर से टकराने के कारण फट गया और मैं बेहोश हो गया और मेरे साथी को भी चोट लग गयी थी तुरंत हेडमास्टर को बुलवाया गया। हेडमास्टर तुरंत मुझे दवाखाने ले गए और मेरा उपचार करवाया और मुझे समझाया कि जामुन का वृक्ष बड़ा कमजोर होता है आज यदि समय रहते मेरा उपचार न करवाया गया होता तो मेरे साथ कुछ भी हो सकता था, माता-पिता स्कूल के अध्यापक सभी को मैंने परेशानी में डाल दिया था। अत: मेरा यह कार्य उचित नहीं था। आज भी जब जामुन को देखता हूँ तो मुझे अपने हेडमास्टर की बातें याद आ जाती है।

    Question 11
    CBSEENHN10002683

    प्राय:अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज़्यादा रूचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए
    (क) खेल आपके लिए क्यों ज़रूरी हैं?
    (ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?

    Solution

    (क) खेल मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद हैं। खेल मेरे लिए दिनभर की मानसिक थकान को दूर करने के लिए जरुरी है। इससे मुझे नींद अच्छी आती है और दूसरे दिन मैं अपने आप को तरोताजा महसूस करता हूँ। ये मुझमें सहयोग, प्रतिस्पर्धा और लगन की भावनाओं का भी निर्माण करते है।
    (ख) खेल शरीर के लिए ज़रूरी हैं परन्तु उतने ही ज़रूरी अन्य कार्य भी हैं; जैसे - पढ़ाई आदि। यदि खेल स्वास्थ्य के लिए है तो पढ़ाई जैसे कार्य भविष्य को सुधारने के लिए आवश्यक हैं। हमें अपना कार्य समय पर करते रहना चाहिए। ज्ञानवर्धक विषयों पर भी उतना ही ध्यान देंगे और समय देंगे तो अभिभावकों को खेलने पर कोई आपत्ति नहीं होगी ।

    Question 12
    CBSEHIHN10002838

    Q13'सपनों के से दिन' पाठ में पीटी सर की किन चारित्रिक विशेषताओं का उललेख किया गया है? वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में वर्णित युक्तियाओं के संबंध में अपने विचार जीवन मूल्यों की दृष्टि से व्यक्त कीजिए।

    Solution

    पी.टी. सर कठोर स्वभाव के व्यक्ति थे। बच्चों को सजा देते हुए वह भूल जाते थे कि बच्चे कोमल होते हैं। उनकी आह का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। यह उनकी कठोरता का प्रमाण है। अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों के साथ कठोरता की हद पार कर जाते थे। उनके अनुसार अनुशासन के माध्यम से ही बच्चों को सुधारा जा सकता था। उनके अंदर हृदय ही नहीं था। बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे। जो व्यक्ति बच्चों को जानवरों से भी बुरा मारता हो, उसके अंदर मानवीय भावनाओं का होना असंभव लगता है। जीवनमूल्यों के आधार पर देखा जाए, तो यह उचित नहीं है। शायद यही सभी कारण थे कि आज की शिक्षा व्यवस्था में नई मान्यताओं को स्वीकृति मिली है। प्रधानाचार्य शर्मा जी द्वारा अपनाया गया व्यवहार बच्चों को नई विकासधारा देता है। शर्मा जी के माध्यम से बताया गया है कि कैसे बच्चों को पढ़ाया जाए, उनके साथ कैसा व्यवहार हो कि वे विद्यालय के वातावरण में स्वयं को सहज महसूस करें। यह युक्तियाँ अध्यापक और बच्चों के मध्य अच्छा संबंध बनाती है और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

    Question 13
    CBSEHIHN10002870

    'सपनों के से दिन' पाठ में हेडमास्टर शर्मा जी की, बच्चों को मारने–पीटने वाले अध्यापकों के ​प्रति, क्या धारणा थी? जीवन–मूल्यों के संदर्भ में उसके औचित्य पर अपने विचार लिखिए। 

    Solution

    हेडमास्टर साहब के अनुसार बच्चे शिक्षा लेने आते हैं, उनके अमानवीय व्यवहार करना खराब बात थी। अतः जो अध्यापक बच्चों के साथ मार-पीट करते थे, उन्हें ऐसे अध्यापक पसंद नहीं थे। उनका मानना था कि बच्चे कोमल होते हैं, उनके साथ मार-पीटाई नहीं करनी चाहिए। जो अध्यापक ऐसा करते हैं, उन्हें शिक्षक बनने का अधिकार नहीं है। यही कारण है जब मास्टर प्रीतमचंद को अपनी कक्षा के बच्चों के साथ पिटाई करते देखा, तो वह क्रोधित हो गए। उन्होंने उस समय तुरंत निर्णय लिया और मास्टर प्रीतमचंद को नौकरी से निकाल दिया। शिक्षक का कार्य है बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें ज्ञान देना। उनके भविष्य की नींव रखना। परन्तु यदि शिक्षक ही बच्चों के साथ मार-पिटाई करेंगे, तो वह शिक्षा प्राप्त करने के स्थान पर पढ़ने से डरने लगेंगे। इस तरह वे विद्यालय में आना बंद कर देंगे। शिक्षक का स्थान माता-पिता के बाद होता है। अतः यदि शिक्षक ही अपने मार्ग से हट जाए, तो बच्चों के भविष्य को कौन संवारेगा। अतः हमें समझना चाहिए कि बच्चों के साथ प्रेम और उदारता का व्यवहार करें। शिक्षक के यही मूल्य बच्चों के जीवन को संवार सकेंगे।

    Question 14
    CBSEHIHN10002890

    निम्‍नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्‍नों के उत्तर दीजिए :
    (क) टोपी शुक्ला के घर की बूढ़ी नौकरानी को टोपी के प्रति प्रेम और सहानुभूति क्यों थी? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।

    (ख) 'टोपी शुक्ला' पाठ के आधार पर बताइए कि इफ़्फ़न की दादी मिली-जुली संस्कृति में विश्वास क्यों रखती थी। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

    (ग) 'सपनों के-से दिन' पाठ के आधार पर बताइए कि कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डालती। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। 

    Solution

    (क) टोपी शुक्ला को सदैव अपने परिवारजनों से प्रताड़ना और उपेक्षा मिली  थी। वह अपने भरेपूरे घर में अकेला था। उसके परिवार में दादी, माता-पिता, भाई सभी थे। उसकी किसी को परवाह नहीं थी। कभी दादी द्वारा दुत्कारा जाता, तो कभी माता द्वारा गलत समझा जाता, पिता अपने काम में मस्त थे और बड़ा भाई तो उसे सदैव नौकर के समान काम करवाता था। घर में उपेक्षित टोपी को देखकर बूढ़ी नौकरानी को उससे प्रेम और सहानुभूति होती थी। उसके समान ही टोपी की घर में कद्र नहीं थी। इसलिए वह टोपी के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखती थी।

    (ख) इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थीं तथा ससुराल लखनऊ था। उनका जीवन दो अलग संस्कृतियों के मध्य गुज़रा था। वे दोनों संस्कृतियों के मध्य पली-बढ़ीं थीं। अतः दोनों के प्रति प्रेम तथा सम्मान था। पूरब से होने के कारण पूरबी बोलती थीं क्योंकि यह उनके दिल के नज़दीक थी। वे धार्मिक थी परन्तु धर्म को कभी संस्कृति के मध्य नहीं लायीं। वे रोज़े-नमाज़ की पाबंद थीं लेकिन जब उनके एकमात्र बेटे को चेचक की बीमारी ने आ घेरा, तो एक टाँग पर खड़ी होकर माता से अपने बच्चे के लिए क्षमा प्रार्थना करने लगीं। माना जाता है कि चेचक हिन्दुओं की देवी माता के प्रकोप के कारण होता है। इससे पता चलता है कि दोनों संस्कृतियों के प्रति प्रेम और आदर होने के कारण वे उनमें विश्वास रखती थीं।

    (ग) यह बात बिलकुल सही है भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डाल सकती है। लेखक का गाँव ऐसा था, जहाँ राजस्थान तथा हरियाणा से आए हुए परिवार रहते थे। उनकी बोली बिलकुल अलग थी। परन्तु बच्चों के आपसी व्यवहार में भाषा ने कभी बाधा नहीं डाली। वे सब खेलते समय एक दूसरे की बात समझ व जान लेते थे। खेल के समय भाषा का कोई स्थान नहीं होता था। बस आपसी समझ से काम चल जाता था।

    Question 15
    CBSEHIHN10002891

    'सपनों केसे दिन' पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों का खेलकूद में अधिक रुचि लेना अभिभावकों को अप्रिय क्यों लगता था|पढ़ाई के साथ खेलों का छात्र जीवन में क्यामहत्त्व है और इससे किन जीवनमूल्यों की प्रेरणा मिलती है? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    अभिभावकों का मानना था कि बच्चे पढ़ाई के स्थान पर खेलते रहेंगे, तो पढ़ाई नहीं कर पाएँगे। इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होगा। यही कारण है कि वे बच्चों को पढ़ने के लिए कहते थे। यदि बच्चे कहीं खेलते दिख जाते थे, तो उनकी बहुत पिटाई होती थी। जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी बहुत महत्त्व है। विद्यार्थियों के लिए तो खेल उत्तम औषधी के समान है। पढ़ाई करने के बाद खेलने से मन को नई शक्ति प्रदान होती है। खेलने से विद्यार्थियों में उपजा तनाव कम होता है। लगातार पढ़ने से उत्पन्न झुंझलाहट भी समाप्त हो जाती है। शरीर मज़बूत बनता है। पढ़ाई में मन लगा रहता है। विद्यार्थी आज खेलों के माध्यम से उज्जवल भविष्य भी पा रहे हैं। खेलों को व्यवसाय के रूप में अपनाने से खिलाड़ी देश-विदेश में यश और धन दोनों कमा रहे हैं। इन सब बातों को देखते हुए हम खेलों के महत्व को नकार नहीं सकते हैं। इसके अतिरिक्त खेलों से जीवन में परिश्रम करने की प्रेरणा मिलती है। आलस को दूर भगाने में सहायता मिलती है और जीवन में आगे बढ़ते रहने का संदेश मिलता है। यह बच्चों में प्रेम भावना और आपसी सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।

    Question 16
    CBSEHIHN10002906

    'सपनों के से दिन' पाठ में पीटी सर की किन चारित्रिक विशेषताओं का उललेख किया गया है? वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में वर्णित युक्तियाओं के संबंध में अपने विचार जीवन मूल्यों की दृष्टि से व्यक्त कीजिए।

    Solution

    पी.टी. सर कठोर स्वभाव के व्यक्ति थे। बच्चों को सजा देते हुए वह भूल जाते थे कि बच्चे कोमल होते हैं। उनकी आह का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। यह उनकी कठोरता का प्रमाण है। अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों के साथ कठोरता की हद पार कर जाते थे। उनके अनुसार अनुशासन के माध्यम से ही बच्चों को सुधारा जा सकता था। उनके अंदर हृदय ही नहीं था। बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे। जो व्यक्ति बच्चों को जानवरों से भी बुरा मारता हो, उसके अंदर मानवीय भावनाओं का होना असंभव लगता है। जीवनमूल्यों के आधार पर देखा जाए, तो यह उचित नहीं है। शायद यही सभी कारण थे कि आज की शिक्षा व्यवस्था में नई मान्यताओं को स्वीकृति मिली है। प्रधानाचार्य शर्मा जी द्वारा अपनाया गया व्यवहार बच्चों को नई विकासधारा देता है। शर्मा जी के माध्यम से बताया गया है कि कैसे बच्चों को पढ़ाया जाए, उनके साथ कैसा व्यवहार हो कि वे विद्यालय के वातावरण में स्वयं को सहज महसूस करें। यह युक्तियाँ अध्यापक और बच्चों के मध्य अच्छा संबंध बनाती है और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

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