क्षितिज भाग २ Chapter 17 भदंत आनंद कौसल्यायन - संस्कृति
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    भदंत आनंद कौसल्यायन - संस्कृति Here is the CBSE Hindi Chapter 17 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi भदंत आनंद कौसल्यायन - संस्कृति Chapter 17 NCERT Solutions for Class 10 Hindi भदंत आनंद कौसल्यायन - संस्कृति Chapter 17 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEHIHN10002816

    लेखक की द्रष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

    Solution

    लेखक की दृष्टि में दो शब्द 'सभ्यता और संस्कृति' की सही समझ अभी भी नहीं हो पाई है, क्योंकि इनका उपयोग बहुत अधिक होता है, और वो भी किसी एक अर्थ में नहीं होता है। इनके साथ अनेक विशेषण लग जाते हैं, जैसे - भौतिक-सभ्यता और आध्यात्मिक-सभ्यता इन विशेषणों के कारण शब्दों का अर्थ बदलता रहता है। इससे यह समझ में नहीं आता कि यह एक ही चीज है अथवा दो? यदि दो हैं तो दोनों में क्या अंतर है? इसी कारण लेखक इस विषय पर अपनी कोई स्थायी सोच नहीं बना पा रहे हैं।

     

    Question 2
    CBSEHIHN10002817

    आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

    Solution

    आग की खोज मानव की सबसे बड़ी आवश्कता की पूर्ति करती है। आग की खोज के पीछे अनेकों कारण हो सकते हैं, सम्भवत: आग की खोज का मुख्य कारण रोशनी की ज़रुरत, पेट की ज्वाला, ठण्ड या जानवरों से बचाव की रही होगी। अंधेरे में जब मनुष्य कुछ नहीं देख पा रहा था या ठण्ड से उसका बुरा हाल था, तब उसे आग की ज़रुरत महसूस हुई होगी। कच्चे माँस का स्वाद अच्छा न लगने के कारण उसे पकाकर खाने की इच्छा से या खूँखार जानवरों को भगाने के लिए आग का आविष्कार हुआ हो।

    Question 3
    CBSEHIHN10002818

    वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?

    Solution

    वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ उसे कहा जा सकता है, जिसमें अपनी बुद्धि तथा योग्यता के बल पर कुछ नया करने की क्षमता हो। जिस व्यक्ति में ऐसी बुद्धि तथा योग्यता जितनी अधिक मात्रा में होगी, वह व्यक्ति उतना ही अधिक संस्कृत होगा। जैसे-न्यूटन, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। आज भौतिक विज्ञान के विद्यार्थियों को इस विषय पर न्यूटन से अधिक सभ्य कह सकते हैं, परन्तु संस्कृत नहीं कह सकते।

    Question 4
    CBSEHIHN10002819

    न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतो एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

    Solution

    न्यूटन ने अपनी बुद्धि -शक्ति से गुरुत्वाकर्षण के रहस्य की खोज की इसलिए उसे संस्कृत मानव कह सकते हैं। आज मनुष्य के पास भले ही इस विषय पर अधिक जानकारी होगी पर उसमें वो बुद्धि शक्ति नहीं है, जो न्यूटन के पास थी, वह केवल न्यूटन द्वारा दी गई जानकारी को बढ़ा रहे हैं। इसलिए वह न्यूटन से अधिक सभ्य हैं, संस्कृत नहीं।

    Question 5
    CBSEHIHN10002820

    किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

    Solution

    कुछ महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के किए सुई धागे का आविष्कार हुआ होगा –
    (1) सुई-धागे का आविष्कार शरीर को ढ़कने तथा सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से हुआ होगा।
    (2) आवश्यकतानुसार शरीर को सजाने की जरूरत महसूस हुई होगी, इसलिए कपड़े के दो टुकडों को एक करके जोड़ने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा।

    Question 6
    CBSEHIHN10002821

    मानव संस्कृत एक अविभाज्य वस्तु है। किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
    मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई?

    Solution

    1. धर्म के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं, जिसका परिणाम हम हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान नामक दो देश के रूप में देखते हैं।
    2. वर्ण व्यवस्था के नाम पर मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं।

     

    Question 7
    CBSEHIHN10002822

    मानव संस्कृत एक अविभाज्य वस्तु है। किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
    जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया?

    Solution

    1. संसार के मजदूरों को सुखी देखने के लिए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया।
    2. सिद्धार्थ ने अपना घर केवल मानव कल्याण के लिए छोड़ दिया।

    Question 8
    CBSEHIHN10002823

    आशय स्पष्ट कीजिए–
    मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?

    Solution

    मानव हमेशा से ही अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित रहा है, इसलिए उसने मानवहित और आत्महित की दृष्टि से अनेकों आविष्कार किए हैं। यह आविष्कार जब मानव कल्याण की भावना से जुड़ जाते हैं, तो हम उसे संस्कृति कहते हैं। जब मानव की आविष्कार करने की योग्यता, भावना, प्रेरणा और प्रवृत्ति का उपयोग विनाश करने के लिए किया जाता है, तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी भावनाओं को हम संस्कृति कदापि नहीं कह सकते।

    Question 9
    CBSEHIHN10002824

    लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।

    Solution

    सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे से अति सूक्ष्म रूप से जुड़े हैं, एक के अभाव में दूसरे को स्पष्ट करना कठिन हैं, जहाँ हम ये कह सकते हैं कि संस्कृति एक विचार है, तो वहीँ सभ्यता जीवन जीने की कला है।
    संस्कृति जीवन का चिंतन और कलात्मक सृजन है, जो जीवन को समृद्ध बनाती है, तथा मनुष्य के रहन-सहन का तरीका सभ्यता के अंतर्गत आता है।

     

    Question 10
    CBSEHIHN10002825

    निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए –

    गलत-सलत                         आत्म-विनाश
    महामानव                            पददलित
    हिन्दू-मुसलिम                       यथोचित
    सप्तर्षि                               सुलोचना

     

     

    Solution

    1. गलत-सलत – गलत और सलत (द्वंद समास)
    2. महामानव – महान है जो मानव (कर्म धारय समास)
    3. हिंदू-मुसलिम – हिंदू और मुसलिम (द्वंद समास)
    4. सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह (द्विगु समास)
    5. आत्म-विनाश – आत्मा का विनाश (तत्पुरुष समास)
    6. पददलित – पद से दलित (तत्पुरुष समास)
    7. यथोचित – जो उचित हो (अव्ययीभाव समास)
    8. सुलोचना – सुंदर लोचन है जिसके (कर्मधारय समास)

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