क्षितिज भाग २ Chapter 11 रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत Here is the CBSE Hindi Chapter 11 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत Chapter 11 NCERT Solutions for Class 10 Hindi रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत Chapter 11 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018886

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : [2 × 4 = 8]
    (क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है?
    (ख) महावीर प्रसार द्विवेदी शिक्षा-प्रणाली में संशोधन की बात क्यों करते हैं?
    (ग) ‘काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक हैं – कथन का क्या आशय है?
    (घ) वर्तमान समाज को संस्कृत कहा जा सकता है या ‘सभ्य ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।

    Solution

    (क) बालगोबिन भगत पाठ में दर्शाई गई सामाजिक रूढ़ियाँ

    • समाज में स्त्री द्वारा मृतक को आग देने का नियम नहीं था, पर बालगोबिन ने पुत्र के क्रिया कर्म के समय पतोहू द्वारा आग दिलाई। यह उस समय के नियम के विरुद्ध था।
    • उन्होंने पतोहू के भाई को बुलाकर पतोहू के पुनर्विवाह पर जोर दिया।

    (ग) काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक हैं। काशी आज भी बिस्मिल्ला खाँ के सुर पर सोती और जागती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा हीरा रहा है जो दो कौमों को एक होने की प्रेरणा देता है।

    Question 2
    CBSEENHN10002259

    खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

    Solution
    खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था।
    Question 3
    CBSEENHN10002260

    खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

    Solution
    खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था।
    Question 4
    CBSEENHN10002261

    भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

    Solution
    भगत के परिवार में पुत्र और पुत्रवधू के अतिरिक्त कोई नहीं था। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने पुत्रवधू को उसके पर भेजने का निर्णय लिया परंतु पुत्रवधू उन्हें अकेला छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी।
    Question 5
    CBSEENHN10002262

    भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त कीं?

    Solution
    भगत का एक बेटा था। वह बीमार रहता था। एक दिन वह मर गया। भगत ने अपने बेटे के मरने पर शोक नहीं मनाया। उसके अनुसार उसके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है। आज एक विरहिनी अपने प्रेमी से मिलने गई है और उसके मिलन की खुशी में आनंद मनाना चाहिए न कि अफसोस। उन्होंने अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाया था। पास में एक दीपक जला रखा था। वे अपने बेटे के मृत शरीर के पास आसन पर बैठे मिलन के गीत गा रहे थे। उन्होंने अपने बेटे की बहू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। उसे भी आत्मा के परमात्मा में मिलने की खुशी में आनंद मनाने को कहा।
    Question 6
    CBSEENHN10002263

    भगत के व्यक्तित्व और उनकी बेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

    Solution
    बालगोबिन भगत मँझोलेकद के गोरे-चिट्‌टे व्यक्ति थे जिनकी आयु साठ वर्ष से अधिक थी। उनके बाल सफेद थे। वे दाढ़ी तो नहीं रखते थे पर उनके चेहरे पर सफेद बाल जगमगाते ही रहते थे। वे कपड़े बिलकुल कम पहनते थे। कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीर पंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे। जब सरदियां आतीं तो एक काली कमली ऊपर से ओढ़ लेते थे। माथे पर सदा चमकता रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही, औरतों के टीके की तरह शुरू होता था। अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते थे। उनमें साधुओं वाली सारी बातें थीं। वे कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीत गाते रहते थे और उन्हीं के आदेशों पर चलते थे। कभी झूठ नहीं बोलते थे और सदा खरा न्यवहार करते थे। हर बात साफ-साफ करते थे और किसी से व्यर्थ झगड़ा नहीं करते थे। किसी की चीज को तो कभी छूते नहीं थे। वह दूसरों के खेत में शौच तक के लिए नहीं बैठते थे। उनके खेत में जो कुछ पैदा होता उसे सिर पर रख कर चार कोस दूर कबीर पंथी मठ में ले जाते थे और प्रमाद रूप में कुछ वापिस ले आते थे।
    Question 7
    CBSEENHN10002264

    बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

    Solution
    बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण इसलिए थी कि वे अपने नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। वे सुबह मुँह अँधेरे उठते, गाँव से दो मील दूर नदी पर स्नान के लिए जाते थे। वापसी में पोखर के ऊँचे स्थान पर खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते थे। यह नियम न सर्दी देखता और न ही गर्मी। वे बिना पूछे न ही किसी की वस्तु छूते और न ही व्यवहार में लाते थे। कई बार तो वे अपने नियमों पर इतने दृढ़ हो जाते कि शौच के लिए भी दूसरों के खेतों का प्रयोग नहीं करते थे। उनकी नियमों पर दृढ़ता ही लोगों के आश्चर्य का कारण बनती थी।
    Question 8
    CBSEENHN10002265

    पाठ के आधार पर भगत के मधुर गायन की विशेषताँ लिखिए।

    Solution
    बालगोबिन भगत के गायन को न तो माघ की सर्दी और न ही जेठ की गर्मी प्रभावित करती थी। गर्मी में उमस से भरी शामें भी बालगोबिन भगत के गायन से शीतल प्रतीत होती थीं। गर्मियों में शाम के समय अपने घर के गिन में कुछ संगीत प्रेमियों के साथ आसन लगा कर बैठ जाते थे। सबके पास खँजड़ियाँ और करताल होते थे। बालगोबिन भगत एक पद गाते और उनके पीछे सभी लोग उसी पद को दोहराते हुए बार-बार गाते। गीत का स्वर धीरे-धीरे से ऊँचा होने लगता था। स्वर की लय में एक निश्चित ताल और गति होती थी। धीरे-धीरे उनके गीत मन से होते हुए तन पर हावी हो जाते थे। सुनने वाले और साथ गाने वाले अपने तन की सुध-बुध खो बैठते थे। बालगोबिन भगत उठकर नाचने लगते और सभी लोग उनका साथ देते थे। इस तरह गर्मी की उमस भरी शामें भी बालगोबिन भगत अपने मधुर गायन से शीतल कर देते थे।
    Question 9
    CBSEENHN10002266

    कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिये

    Solution
    बालगोबिन भगत समाज में प्रचलित मान्यताओं को नहीं मानते थे। वे जाति-पाति में विश्वास नहीं रखते थे। सब लोगों को एक समझते थे। वे भी भगवान के निराकार रूप को मानते थे। भगत मृत्यु को भी आनंद मनाने का अवसर मानते हैं। जब उनके इकलौते बेटे की मृत्यु होती है तो वे अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाते हैं और गीत गाते हैं। उनके अनुसार आज आत्मा रूपी प्रेमिका परमात्मा रूपी प्रेमी से मिल गई हैं उसके मिलन पर आनंद मनाना चाहिए अफसोस नहीं। भगत ने अपने बेटे का क्रिया-कर्म अपनी पुत्रवधू से कराया। उनकी पुत्रवधू ने ही अपने पति की चिता को अग्नि दी थी। उनकी जाति में विधवा के पुनर्विवाह को अनुचित नहीं मानते थे परंतु उनकी पुत्रवधू इसके लिए तैयार नहीं थी। वह उन्हीं के पास रहकर उनकी सेवा करना चाहती थी लेकिन उन्होंने उसे यौवन की ऊँच-नीच का ज्ञान करवाया और पुनर्विवाह के लिए तैयार किया। इससे हम कह सकते हैं कि बालगोबिन पुरानी सामाजिक मान्यताओं के समर्थक नहीं थे। वे अपने स्वार्थ की अपेक्षा दूसरों के हित का ध्यान रखते थे।
    Question 10
    CBSEENHN10002267

    धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थी? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत करें।

    Solution
    आषाढ़ की फुहार पड़ते ही सारा गाँव खेतों में दिखाई देने लगता था। वह मौसम धान की रोपाई का होता है। खेतों में कहीं हल चल रहे हैं और कहीं धान के पौधों की रोपाई हो रही है। घर की औरतें आदमियों के लिए भोजन लेकर खेतों की मंडेर पर बैठी होती हैं। बच्चे पास में खेल रहे होते हैं। खेतों में ठंडी-ठंडी हवा चलती है। उसी समय सबके कानों में ठंडी-की हवा के साथ मधुर स्वर लहरियाँ पड़ने लगती है। यह स्वर बालगोबिन भगत का होता है। वे भी अपने खेत में धान की रोपाई कर रहे होते हैं। उनका सारा शरीर खेत की गीली मिट्‌टी से लथ-पथ है। जिस प्रकार उनकी अँगुलिया धान के पौधों को एक-एक करके पंक्तिबद्‌ध रूप दे रही थीं उसी प्रकार उनका कंठ उनकी संगीत शब्दावली को स्वरों के ताल से ऊपर-नीचे कर रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे कि संगीत के कुछ स्वर ऊपर स्वर्ग की ओर जा रहे हैं और कुछ स्वर धरती पर खेतों में काम करने वाले लोगों के कानों में जा रहे हैं। उनका संगीत सुनकर खेतों में काम करने वाले लोगों के तन में लय पैदा कर देता है जिससे वहाँ का सारा वातावरण संगीतमय हो जाता है।
    Question 11
    CBSEENHN10002268

    पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

    Solution

    लेखक के अनुसार बालगोबिन भगत कबीर के भगत थे। वे कत्पीर को ‘साहब’ कहते थे। वे कबीर के बताए नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। उनके अनुसार उनकी सब चीजें ‘साहब’ की देन हैं। उनके खेत में जो भी पैदावार होती थी, उसे सिर पर लादकर ‘साहब’ के दरबार में पहुँचाते थे। वह सब कुछ भेंट स्वरूप दरबार में रख देते थे। वापसी में जो कुछ भी ‘प्रसाद’ के रूप में मिलता उससे अपना निर्वाह करते थे।
    बालगोबिन भगत कबीर की तरह ही भगवान के निराकार रूप को मानते थे। वे मृत्यु को दुःख का नहीं आनंद मनाने का अवसर मानते थे। कबीर जी ने आत्मा को परमात्मा की प्रेमिका बताया है जो मृत्यु उपरांत अपने प्रियतम से जा मिलती है। बालगोबिन भगत ने कबीर की वाणी का पालन करते हुए अपने पुत्र के मृत शरीर को फूलों से सजाया और पास में दीपक जलाया। वे स्वयं भी पुत्र के मृत शरीर के पास बैठकर पिया मिलन के गीत गाने लगे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। इससे पता चलता है कि बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा थी। वे कबीर के पद इस ढंग से गाते थे जैसे सभी जीवित हो जाएंगे।

    Question 12
    CBSEENHN10002269

    आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

    Solution
    भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के कई कारण रहे होंगे जैसे कि भगत समाज में प्रचलित रूढ़िवादी सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। वे भगवान के निराकार रूप को मानते थे जिसमें मनुष्य के अंत समय में आत्मा से परमात्मा का मिलन होता है। वे गृहस्थी होते हुए भी व्यवहार से साधु थे। वे सब चीजों की प्राप्ति में भगवान को सहायक मानते थे। जिन बातों को भगत मानते थे वही बातें कबीर जी ने अपनी वाणी में कही थीं इसलिए बालगोबिन भगत की कबीर जी में श्रद्धा थी।
    Question 13
    CBSEENHN10002270

    गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

    Solution
    गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में आषाढ़ चढ़ते ही विशेष उल्लास दिखाई देता है। जेठ की तपती गर्मी से आषाढ़ की ठंडी पुरवाई छुटकारा दिलाती है। आषाढ़ में बारिश की रिमझिम शुरू हो जाती है। उस समय खेतों में धान की फसल की रोपाई आरंभ हो जाती है। धान की रोपाई करते समय किसान और उसका परिवार बहुत प्रसन्न दिखाई देते हैं क्योंकि यह फसल उनके सपनों को पूरा करती है। गाँव के सभी लोग खेतों में दिखाई देते हैं। चारों तरफ बैलों के गले की घंटियों की आवाजें, मिट्‌टी और पानी में छप-छप करते बच्चे तथा खेतों की मंडेर पर आदमियों के लिए खाना लिए बैठी औरतें। यह सब दृश्य मन में उल्लास भर देता है और चारों ओर मेले जैसा वातावरण होता है।
    Question 14
    CBSEENHN10002271

    “ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या साधु की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?

    Solution

    ‘साधु’ की पहचान उसके पहनावे से नहीं उसके व्यवहार से करनी चाहिए। हर भगवे कपड़े पहनने वाला व्यक्ति साधु नहीं होता अपितु परिवार में रहने वाला व्यक्ति भी साधु हो सकता है। साधु व्यक्ति की पहचान निम्न आधारों पर की जा सकती है:
    (i) दृढ़ निश्चयी - साधु का स्वभाव दृढ़ निश्चयी होंना चाहिए। उसे अपनी कथनी और करनी में अंतर नहीं करना चाहिए। वह अपने लिए जो नियम बनाए उसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए तभी दूसरे व्यक्ति भी उन नियमों का पालन करेंगे।
    (ii) सीमित आवश्यकताएं- व्यक्ति की निजी आवश्यकताएं सीमित होनी चाहिएं। साधु बने व्यक्ति को माया जाल में नहीं फंसना चाहिए।
    (iii) सरल स्वभाव- साधु व्यक्ति का स्वभाव सरल होना चाहिए। उसके मन में किसी के प्रति भेद-भाव नहीं होना चाहिए।
    (iv) मधुर वाणी- साधु व्यक्ति की वाणी मधुर होनी चाहिए। उसे सुनने वाले व्यक्ति उसकी वाणी सुनकर प्रभावित हुए बिना न रह सकें।
    (v) सामाजिक कुरीतियों से दूर - साधु व्यक्ति को समाज में फैली कुरीतियों से दूर रहना चाहिए और उसके संपर्क में आने वाले लोगों को उन कुरीतियों के अवगुणों से अवगत कराना चाहिए।
    जिस व्यक्ति में उपरोक्त विशेषताएं हों वह गृहस्थी होते हुए भी साधु है लेकिन भगवे कपड़े पहनकर, पूजा-पाठ का दिखावा करने वाला व्यक्ति साधु होते हुए भी साधु नहीं है।

    Question 15
    CBSEENHN10002272

    मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर आप इस कथन को सच सिद्ध करेंगे?

    Solution
    मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के एक ही बेटा था। वह बेटा भी दिमाग से सुस्त था अर्थात् उसका दिमाग कमज़ोर था। भगत ने उसकी परवरिश बहुत प्यार से की थी। भगत के अनुसार कम दिमाग वालों को अधिक प्यार और देखभाल की आवश्यकता होती है। उन्होंने उसकी शादी की। बेटे की बहू भी सुशील और सुघड़ थी। एक दिन बेटा मर गया। भगत ने बेटे के मोह में पड़कर शोक नहीं मनाया। उन्होंने तो उसकी मृत्यु को आनंद मनाने का अवसर बताया। वे शरीर के मोह में नहीं थे। वे तो मनुष्य की आत्मा से प्रेम करते थे और वह प्रेमिका रूपी आत्मा तो शरीर से निकलकर अपने प्रेमी रूपी परमात्मा से मिल गई है। इसलिए उन्होंने उसके मृत शरीर का शृंगार किया और मिलन के गीत गाए। भगत ने मृत्यु के सच को जान लिया था इसीलिए वे अपने बेटे के मोह में नहीं पड़े। उन्हें उस समय भो परमात्मा से प्रेम की बातें याद रही थीं। इसीलिए उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी शोक मनाने से मना कर दिया था।
    Question 16
    CBSEENHN10002273

    इस पाठ में आए कोई दस क्रियाविशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए। 

    Solution

    (i) कहाँ मैं, और, कहाँ हमारे समाज के सबसे नीचे स्तर का यह तेली
    स्थानवाचक क्रिया विशेषण
    (ii) कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे।
    परिणामवाचक क्रिया विशेषण

    (iii) थोड़ी ही देर पहले मूसलाधार वर्षा खत्म हुई है।
    परिणामवाचक क्रिया विशेषण

    (iv) उनका यह गाना अंधेरे में अकस्मात् कौंध उठने वाली बिजली की तरह किसे न चौंका देता?
    रीतिकाल क्रिया विशेषण

    (v) इन दिनों वह सवेरे ही उठते।
    कालवाचक क्रिया विशेषण!

    (vi) धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगा।
    रीतिवाचक क्रिया विशेषण।

    (vii) उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं।
    स्थानवाचक क्रिया विशेषण

    (viii) वह हर वर्ष गंगा-स्नान करने जाते।
    कालवाचक क्रिया विशेषण

    (ix) थोड़ा बुखार आने लगा।
    परिणामवाचक क्रिया विशेषण

    (x) उस दिन भी संध्या में गीत गाए।
    कालवाचक किया विशेषण

     

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    Question 18
    CBSEENHN10002275

    पाठ में आषाढ़, भादों, माघ आदि में विक्रम संवत कलैंडर के मासों के नाम आए हैं। यह कलैंडर किस माह से आरंभ होता है? महीनों की सूची तैयार करें।

    Solution

    विक्रम संवत कैलेंडर चैत्र माह से आरंभ होता है। बह्म पुराण में लिखा है-
    ‘चैत्र मासि जगत ब्रह्मा, ससर्ज प्रथमे हीन।
    शुक्कपक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति।।
    विक्रम संवत कलैंडर के महीने इस क्रम से होते हैं-
    चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रवण, भादों, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फालुन विक्रम संवत कलैंडर के महीने इस क्रम से होते हैं-

    Question 20
    CBSEENHN10002277

    इस पाठ में जो ग्राम्य संस्कृति की झलक मिलती है वह आपके आसपास के वातावरण से कैसे भिन्न है?

    Solution
    मैं देश के एक महानगर के अति व्यस्त और आधुनिक क्षेत्र में रहती हूँ। उस का वातावरण किसी ग्राम्य क्षेत्र से बिलकुल भिन्न है। यहां चौड़ी-पक्की सड़कें हैं जो चौबीसों घंटे वाहनों के शोर से भरी रहती है। यहां तो आधी रात को भी सड़कों से शोर दूर नहीं होता। दिन के समय तो बहुत भीड़ होती है। सजे-संचरे लोग दिखावे से भरा जीवन जीने की कोशिश में लगे रहते हैं। सब तरफ बड़ी-बड़ी दुकानें हैं; शोरूम हैं; बड़े-बड़े मल्टीप्लैक्स हैं। लंबी-लंबी गाड़ियों की भरमार है। यहाँ प्रकृति की सुंदरता नहीं है। कहीं-कहीं गमलों में कुछ पौधे अवश्य दिखाई दे जाते हैं। ऊंची गगन चुंबी इमारतें हैं। मेरे नगर से कुछ दूरी पर एक नदी है पर वह बुरी तरह से प्रदूषित है। नगर के उद्‌योग-धंधों का कचरा उसी में गिरता है। वास्तव में गांव के साफ-सुथरे वातावरण से मेरे नगर की कोई तुलना नहीं है।
    Question 21
    CBSEENHN10002278

    बचपन में लेखक पक्का ब्राह्‌मण बनने के लिए क्या करता था?

    Solution
    बचपन में लेखक को स्वयं पर बहुत गर्व था क्योंकि वह एक ब्राहमण था। बाहूमण ही बहूम को जानता है। लेखक भी पक्का ब्राहमण बनने के लिए बहूम को जानना चाहता था। इसलिए वह संध्या करता, गायत्री का जाप करता, धूप-हवन करता तथा चंदन का तिलक लगाता था। लेखक उन सभी क्रियाओं में बढ़-चढ़ कर भाग लेता जिससे उसका ब्राह्मणत्व सिद्ध हो। उसने अपने ब्राह्मणत्व में गाँव के कई ऐसे लोगों के पैर छूने भी छोड़ दिए थे जो बाहूमण नहीं थे।
    Question 22
    CBSEENHN10002279

    बालगोबिन भगत की पहचान लिखिए।

    Solution
    बालगोबिन भगत मंझले कद का व्यक्ति था। उनका रंग गोरा था। उनकी उम्र साठ वर्ष की थी। बाल पक गए थे। वे दाढ़ी या जटा नहीं रखते थे। उनका चेहरा सदा सफेद बालों में चमकता रहता था। वे शरीर पर उतने ही कपड़े पहनते थे जितने शरीर को ढकने के लिए आवश्यक थे। कमर में एक लंगोटी बांधते थे और सिर कबीर पंथी कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दियों में एक काली कंबली ओढ़ते थे। माथे पर रामानंदी चंदन का टीका होता था जिसे वह नाक से शुरू करके ऊपर तक लगाते थे। गले में तुलसी की जड़ों की माला पहनते थे। उनके साधारण पहनावे में भी लोगों को आकर्षित करने की शक्ति थी।
    Question 23
    CBSEENHN10002280

    बालगोबिन भगत किसके पद गाते थे?

    Solution
    बालगोबिन भगत कबीर जी को बहुत मानते थे। वे सब कुछ उनकी देन मानते थे। वे कबीर जी के पद गाते थे। उनके गाने का ढंग ऐसा था कि सीधे-सादे पदों में भी जान आ जाती थी।
    Question 24
    CBSEENHN10002281

    कार्तिक मास से फालुन मास तक बालगोबिन भगत सुबह समय क्या करते थे?

    Solution
    कार्तिक मास में बालगोबिन भगत की प्रभाती शुरू हो जाती थी। यह प्रभाती कार्तिक मास से शुरू होकर फाल्गुन मास तक चलती थी। वे सुबह अँधेरे में उठते। गाँव से दो मील नदी पर स्नान करने जाते थे। वापसी में गाँव के पोखर के ऊँचे भिंडे पर अपनी खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते रहते थे। वे गीत गाते समय अपने आस-पास के वातावरण को भूल जाते थे। उनमें माघ की सर्दी में भी गीत गाते समय इतनी उत्तेजना आ जाती थी कि उन्हें पसीना आने लगता था, परंतु सुनने वालों का शरीर ठंड के कारण कँपकँपा रहा होता था।
    Question 25
    CBSEENHN10002282

    बालगोबिन भगत की पुत्रवधू कैसी थी?

    Solution
    बालगोबिन भगत का एक ही पुत्र था। उनका पुत्र दिमाग से कमज़ोर और बीमार था। बड़े होने पर उन्होंने अपने पुत्र की शादी की थी। उनकी पुत्रवधू बड़ी सुशील तथा सुघड़ थी। उसने घर का सारा प्रबंध संभाल लिया था। पुत्रवधू के आने से भगत भी दुनियादारी से काफी सीमा तक मुक्त हो गए थे। उसने पुत्र और पिता दोनों की सेवा की।
    Question 26
    CBSEENHN10002283

    बालगोबिन भगत का गंगा स्नान पर जाते समय क्या नियम था?

    Solution
    बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान पर जाते थे। गंगा-स्नान के बहाने उन्हें संतों के दर्शन हो जाते थे। गंगा उनके गाँव से तीस कोस दूर थी। वहाँ जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे गंगा स्नान जाते समय अपने घर से ही खा कर चलते थे और वापस अपने घर पर ही आकर खाते थे। उनके अनुसार यदि वे साधु हैं तो साधु को कहीं आते-जाते समय खाने की क्या आवश्यकता है और यदि वे गृहस्थी हैं तो गृहस्थी को भिक्षा मांगकर खाना अच्छा नहीं है। इसलिए वे दोनों कारणों से मार्ग में खाना नहीं लेते थे। मार्ग में प्यास लगने पर पानी अवश्य पीते थे।  
    Question 27
    CBSEENHN10002284

    बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई?

    Solution

    बालगोबिन भगत हर वर्ष की तरह गंगा स्नान करने गए थे। अब वे बूढ़े हो गए थे परंतु अपने नियम पर अड़िग रहते थे। वहीं पूरे रास्ते गाते-बजाते गए और कुछ नहीं खाया। जब वे गंगा स्नान से लौटे तो उनकी तबीयत खराब थी। धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी परंतु अपने नियम-व्रतों में ढ़ील नहीं आने दी। वहीं दोनों समय गाना, स्नान ध्यान करना और खेती-बाड़ी की देखभाल करना। वे अपने सभी कार्य स्वयं करते थे। लोगों की आराम करने के सलाह को हँसी में टाल देते थे। एक शाम गीत गाकर सोए थे, उसी रात उनके जीवन की माला टूट गई थी। लोगों को सुबह पता चला कि बालगोबिन भगत नहीं रहे। उनकी उनके स्वभाव के अनुरूप हुई थी।

     
    Question 28
    CBSEENHN10002285

    ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता हैं?

    Solution

    ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के लेखक ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ हैं। लेखक बचपन से ही बालगोबिन भगत को आदरणीय व्यक्ति मानता आया है। लेखक ब्राह्मण था और बालगोबिन भगत एक तेली थे। तेली को उस समय के समाज में अच्छा नहीं समझा जाता था। फिर भी ‘बालगोबिन भगत’ सबकी आस्था के कारण थे।
    लेखक ने इस पाठ के माध्यम से वास्तविक साधुत्व का परिचय दिया है। गृहस्थी में रहते-हुए भी व्यक्ति साधु हो सकता है। साधु की पहचान उसका पहनावा नहीं अपितु उसका व्यवहार है। व्यक्ति का अपने नियमों पर दृढ़ रहना, निजी आवश्यकताओं को सीमित करना, सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयत्नशील होना तथा मोह-माया के जाल से दूर रहने वाला व्यक्ति ही साधु हो सकता है। बालगोबिन भगत भगवान के निराकार रूप को मानते थे।
    उनके अनुसार उनका जो भी है वह मालिक की देन है उस पर उसी का अधिकार है। इसीलिए वे अपने खेतों की पैदावार कबीर मठ में पहुँचा देते थे। बाद में प्रसाद के रूप में जो मिलता उसी से अपना निर्वाह करते थे। उन्होंने अपने की मृत्यु पर अपनी पुत्रवधू से सभी क्रिया-कर्म करवाए। वे समाज में प्रचलित मान्यताओं को नहीं मानते थे। उन्होंने पुत्रवधू को पुनर्विवाह के लिए उसके घर भेज दिया था। वे अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ नही करते थे। उनके सभी कार्य परहित में होते थे। वे अंत तक अपने बनाए नियमों में विश्वास करते हुए जीते रहे थे। उन्होंने आत्मा के वास्तविक रूप को पहचान लिया था। अंत में आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है इसलिए उसका मोह व्यर्थ है। व्यक्ति को अपनी मुक्ति के लिए परमात्मा से प्रेम करना चाहिए।
    इस पाठ के माध्यम से लेखक लोगों को पाखंडी साधुओं से सचेत करना चाहता है। वास्तविक साधु वही होते हैं जो समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें और समाज को पुरानी सड़ी-गली परंपराओं से मुक्त कराएं।

    Question 29
    CBSEENHN10002286

    ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत का चरित्र चित्रण कीजिए।

    Solution

    ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी’ हैं। बालगोबिन भगत पाठ का मुख्य पात्र है। बालगोबिन भगत का चरित्र-चित्रण निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है:
    परिचय-बालगोबिन भगत गृहस्थी होते हुए भी स्वभाव से साधु थे। उनकी आयु साठ वर्ष से ऊपर थी। उनकी पत्नी नहीं थी। परिवार में एक बीमार बेटा तथा उसकी पत्नी थी।
    व्यक्तित्व-बालगोबिन भगत मंझोले कद के व्यक्ति थे। उनका रंग गोरा था। बाल सफेद थे। वे लंबी दाढ़ी नहीं रखते थे। उनके चेहरे पर सफेद बालों के कारण बहुत तेज लगता था।
    वेशभूषा-बालगोबिन भगत बहुत कम कपड़े पहनते थे। उनके अनुसार शरीर पर उतने ही कपड़े पहनने चाहिएं जितने शरीर पर आवश्यक हों। कमर पर एक लंगोटी पहनते थे। सिर पर कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दियों में वे काली कंबली ओढ़ते थे। मस्तक पर रामानंदी चंदन का टीका होता था। वह टीका नाक से शुरू होकर ऊपर तक जाता था। गले में की जड़ों की एक बेडौल माला होती थी।
    व्यवसाय- बालगोबिन भगत का काम खेती-बाड़ी था। वे एक किसान थे। वे अपने खेत में धान की फसल उगाते थे।
    कबीर के भगत-बालगोबिन भगत गृहस्थी होते हुए भी साधु थे। उन्होंने अपने जीवन में कबीर जी का जीवन वृत्त उतार रखा था। वे कबीर जी को अपना साहब मानते थे। उनकी शिक्षाओं पर अमल करते थे। उनके अनुसार उनका जो कुछ है वह सब साहब (कबीर जी) की देन है।
    मधुर गायक-बालगोबिन भगत एक मधुर गायक थे। उनका गीत सुनने वाला व्यक्ति अपनी सुध-बुध खोकर उन्हीं में खो जाता था। वे कबीर जी के पद गाते थे। कबीर जी के पद वे इस ढंग से गाते थे कि ऐसे लगता था कि सभी पद जीवित हो उठे हों। बालगोबिन भगत के संगीत का जादू सबको झूमने के लिए मजबूर कर देता था।
    संतोषी वृत्ति के व्यक्ति-बालगोबिन भगत संतोषी वृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी निजी आवश्यकताएं सीमित थीं। उनके खेत में जो पैदावार होती थी, वे उसे कबीर जी के मठ में पहुँचा देते थे। वहाँ से जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपनी गृहस्थी का निर्वाह करते थे।

    परमात्मा से प्रेम-बालगोबिन भगत भगवान के निराकार रूप को मानते थे। उनके अनुसार आत्मा की मुक्ति के लिए परमात्मा से प्रेम करना चाहिए। उन्होंने मृत्यु की सच्चाई जान ली थी कि अंत में शरीर में से आत्मा निकलकर परमात्मा में मिल जाती है इसलिए परमात्मा से प्रेम करना चाहिए।

    मोहमाया से दूर-बालगोबिन भगत मोहमाया से दूर थे। उन्हें केवल परमात्मा से प्रेम था। वे किसी भी प्रकार के मोह माया के बंधन में नहीं बंधते थे। जब उनके इकलौते बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने शोक मनाने की अपेक्षा उसे आनंद मनाने का अवसर माना था। इस दिन उनके बेटे की आत्मा शरीर से मुक्त होकर परमात्मा से मिल गई थी। उन्होंने बुढ़ापे में बेटे की मृत्यु के पश्चात् उसकी पत्नी को भी उसके घर भेज दिया था। वे किसी प्रकार के मोह में नहीं पड़ना चाहते थे। नियमों पर दृढ़- बालगोबिन भगत अपने बनाए नियमों पर दृढ़ थे। वे कभी भी किसी से बिना पूछे उसकी वस्तु व्यवहार में लाना तो दूर, छूते भी नहीं थे। गंगा स्नान जाते थे, समय मार्ग में कुछ भी नहीं खाते थे। उन्हें आने-जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे अपनी दिनचर्या का पालन बीमारी में भी करते रहे थे।

    सामाजिक परंपराओं के विरोधी-बालगोबिन भगत सामाजिक परंपराओं के विरोधी। उन्होंने अपने बेटे की मृत्यु के सभी क्रिया-कर्म अपनी पुत्रवधू से करवाए थे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को पुनर्विवाह के लिए मजबूर किया था। वे उसे अपने पास रखकर उसके मन को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। वे ऐसी सामाजिक मान्यताएं नहीं मानते थे जो किसी को दुःख दें।

    बालगोबिन का चरित्र उनके साधुत्व को प्रकट करता है।

    Question 30
    CBSEENHN10002287

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    न जाने वह कौन-सी प्रेरणा थी, जिसने मेरे ब्राह्‌मण का गर्वोन्नत सिर उस तेली के निकट झुका दिया था। जब-जब वह सामने आता, मैं झुककर उससे राम-राम किए बिना नहीं रहता। माना, वे मेरे बचपन के दिन थे, किंतु ब्राह्‌मणता उस समय सोलहो कला से मुझ पर सवार थी। दोनों शाम संध्या की जाती, गायत्री का जाप होता, धूप हवन जलाए जाते, चंदन-तिलक किया जाता और इन सारी चेष्टाओं से ‘ब्रहम’ को जानकर पक्का ‘ब्राह्मण’ बनने की कोशिशें होतीं- ब्रहम जानाति ब्राह्मण:!


    किस के कारण लेखक का सिर झुक गया था?
    • पुत्रपुत्र
    • पोतहू
    • बालगोबिन भगत
    • कबीर

    Solution

    C.

    बालगोबिन भगत
    Question 31
    CBSEENHN10002288

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    न जाने वह कौन-सी प्रेरणा थी, जिसने मेरे ब्राह्‌मण का गर्वोन्नत सिर उस तेली के निकट झुका दिया था। जब-जब वह सामने आता, मैं झुककर उससे राम-राम किए बिना नहीं रहता। माना, वे मेरे बचपन के दिन थे, किंतु ब्राह्‌मणता उस समय सोलहो कला से मुझ पर सवार थी। दोनों शाम संध्या की जाती, गायत्री का जाप होता, धूप हवन जलाए जाते, चंदन-तिलक किया जाता और इन सारी चेष्टाओं से ‘ब्रहम’ को जानकर पक्का ‘ब्राह्मण’ बनने की कोशिशें होतीं- ब्रहम जानाति ब्राह्मण:!

    लेखक स्वयं झुक कर उन्हें क्या करता था?

    • अभिवादन
    • नमस्ते
    • श्री राधे राधे
    • राम-राम

    Solution

    D.

    राम-राम
    Question 32
    CBSEENHN10002289

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    न जाने वह कौन-सी प्रेरणा थी, जिसने मेरे ब्राह्‌मण का गर्वोन्नत सिर उस तेली के निकट झुका दिया था। जब-जब वह सामने आता, मैं झुककर उससे राम-राम किए बिना नहीं रहता। माना, वे मेरे बचपन के दिन थे, किंतु ब्राह्‌मणता उस समय सोलहो कला से मुझ पर सवार थी। दोनों शाम संध्या की जाती, गायत्री का जाप होता, धूप हवन जलाए जाते, चंदन-तिलक किया जाता और इन सारी चेष्टाओं से ‘ब्रहम’ को जानकर पक्का ‘ब्राह्मण’ बनने की कोशिशें होतीं- ब्रहम जानाति ब्राह्मण:!

    लेखक के बचपन से ही उन पर क्या सवार थी?
    • शौकीनी 
    • ब्राह्मणता
    • पढ़ाकूपन
    • भक्तिभाव

    Solution

    B.

    ब्राह्मणता  
    Question 33
    CBSEENHN10002290
    Question 34
    CBSEENHN10002291
    Question 35
    CBSEENHN10002292

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्‌ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्‌टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!


    किस दिशा से आने वाली हवा ने वातावरण को ठंडा बना दिया था?
    • पूर्व 
    • पश्चिम
    • उत्तर
    • दक्षिण

    Solution

    A.

    पूर्व 
    Question 36
    CBSEENHN10002293

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्‌ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्‌टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!

    बालगोबिन भक्त अपने खेल में किसकी पौध रोप रहे थे?
    • गेहूँ
    • धान
    • गन्ना
    • मक्का

    Solution

    B.

    धान
    Question 37
    CBSEENHN10002294

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्‌ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्‌टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!

    मधुर संगीत को सुन कर हलवाहों के पैर किससे उठने लगते हैं?
    • मोर
    • भूमि
    • ताल
    • खेत

    Solution

    C.

    ताल
    Question 38
    CBSEENHN10002295

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्‌ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्‌टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!

    भगत संगीत भरे शब्द कहाँ भेज रहा था?
    • पूर्व, पश्चिम
    • स्वर्ग, लोग
    • दक्षिण, उत्तर
    • स्वर्ग, ऊपर

    Solution

    B.

    स्वर्ग, लोग
    Question 39
    CBSEENHN10002296

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्‌ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्‌टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!

    बालगोबिन के कंठ का एक-एक शब्द किस के जीने पर चढ़ रहा था?
    • पत्थर
    • ईंट
    • संगीत
    • भक्ति

    Solution

    C.

    संगीत

    Sponsor Area

    Question 40
    CBSEENHN10002297

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमसभरी शाम को न शीतल करती! अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल-स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत है।

    पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

    Solution
    पाठ-बालगोबिन भगत, लेखक-रामवृक्ष बेनीपुरी।
    Question 41
    CBSEENHN10002298

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमसभरी शाम को न शीतल करती! अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल-स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत है।

    गर्मियों में बालगोबिन भगत क्या करते थे?

    Solution
    गर्मियों की उमसभरी संध्या को बालगोबिन भगत अपने संगीत के स्वरों के द्वारा शीतल कर देते थे। वे अपने आँगन में अपने संगीत प्रेमी मित्रों के साथ संगीत की सभा जुटा लेते थे। वे गाते थे तथा अन्य उसे दोहराते थे।
    Question 42
    CBSEENHN10002299

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमसभरी शाम को न शीतल करती! अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल-स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत है।

    प्रेमी-मंडली कौन थी? उसका क्या काम था?

    Solution
    प्रेमी-मंडली उनसंगीत-प्रेमी लोगों की मंडली है जो बालगोबिन भगत के घर गर्मियों की उमस भरी शाम के समय खंजड़ियाँ और करताल बजा कर उनके गाए पदों को दोहराते थे तथा वातावरण में उमस के स्थान पर शीतलता भर देते थे।
    Question 43
    CBSEENHN10002300

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमसभरी शाम को न शीतल करती! अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल-स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत है।

    ‘मन तन पर हावी हो जाता’ से क्या आशय है?

    Solution
    इस कथन का आशय यह है कि बालगोबिन भगत के गाए हुए पदों को दोहराते समय लोग इतने मग्न हो जाते थे कि वे अपने तन की सुध भूल कर मन से भक्ति रस में डूब जाते थे। उन्हें दीन-दुनिया की सुध ही नहीं रहती थी। वे मनोलोक में विचरण करने लगते थे।
    Question 44
    CBSEENHN10002301

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    गर्मियों में उनकी ‘संझा’ कितनी उमसभरी शाम को न शीतल करती! अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। उस ताल-स्वर के चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे हैं और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठे हैं। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत है।

    होते-होते कौन-सा क्षण आ जाता था?

    Solution
    इस प्रकार भक्ति-रस में लीन होकर वह क्षण आ जाता था जब भावविभोर होकर बालगोबिन भगत खंजड़ी बजाते हुए नाचने लगते थे तथा उनकी प्रेमी-मंडली के सदस्य उनके चारों ओर घेरा बना कर नाचने लगते थे। ऐसे समय में सारा वातावरण ही संगीत की ताल पर नाचता हुआ लगता था।
    Question 45
    CBSEENHN10002302

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

    Solution
    पाठ-बालगोबिन भगत, लेखक-रामवृक्ष बेनीपुरी।
    Question 46
    CBSEENHN10002303

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    बालगोबिन के बेटे को क्या हो गया था? उन्होंने उसका क्या किया?

    Solution
    बालगोबिन के बेटे की बीमारी से मृत्यु हो गई थी। उन्होंने मृत बेटे को घर के आँगन में एक चटाई पर लिटा दिया था और उसे एक सफेद कपड़े से ढक दिया था उन्होंने उस पर कुछ फूल और तुलसीदल बिखेर दिए थे और उसके सिरहाने दीपक जला दिया था।
    Question 47
    CBSEENHN10002304

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    बेटे की मृत-देह के पास बालगोबिन क्या कर रहे हैं?

    Solution
    वे अपने बेटे की मृत देह के सामने जमीन पर बैठकर गीत गा रहे थे।
    Question 48
    CBSEENHN10002305

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    अपनी पतोहू को बालगोबिन क्या समझाते हैं?

    Solution
    वे अपनी पतोहू को रोने से मना करते हैं और उसे कहते हैं कि आज रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का दिन है क्योंकि उसके पति की आत्मा अब परमात्मा से मिल गई है।
    Question 49
    CBSEENHN10002306

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    आत्मा के संबंध में बालगोबिन के क्या विचार हैं?

    Solution
    बालगोबिन का विचार है कि मरने के बाद आत्मा परमात्मा में जाकर लीन हो जाती है। परमात्मा रूपी प्रियतम के वियोग में भटकती हुई मानव की आत्मा मृत्यु के बाद अपने प्रिय से जा मिलती है।
    Question 50
    CBSEENHN10002307

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नज़दीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    लेखक बालगोबिन के संबंध में क्या और क्यों सोचता है?

    Solution
    लेखक को कभी-कभी यह लगता था कि कहीं बालगोबिन पागल तो नहीं हो गए हैं क्योंकि वे अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर भी शोक मनाने पर आनंद मना रहे हैं तथा अपनी पतोहू को भी रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए कह रहे हैं। उन्हें मृत्यु आनंद मनाने का अवसर लगता है। इस दिन आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।
    Question 51
    CBSEENHN10002308

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

    Solution
    पाठ-बालगोबिन भगत, लेखक-रामवृक्ष बेनीपुरी।
    Question 52
    CBSEENHN10002309

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    बालगोबिन भगत ने बेटे का क्रिया-कर्म कैसे किया?

    Solution
    बालगोबिन भगत ने अपने बेटे के क्रिया-कर्म में कोई आडंबर नहीं किया। उन्होंने अपने बेटे की चिता में अपनी पतोहू से आग दिलाई।
    Question 53
    CBSEENHN10002310

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    पतोहू के लिए बालगोबिन ने क्या प्रबंध किया?

    Solution

    श्राद्ध का समय समाप्त होते ही उन्होंने पतोहू के भाई को बुलाया और उसे अपनी बहन को साथ ले जाने के लिए कहा। उन्होंने उसके भाई को यह भी कहा कि अपनी बहन का दूसरा विवाह कर देना।

    Question 54
    CBSEENHN10002311

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    पतोहू क्या चाहती थी और क्यों?

    Solution
    बालगोबिन भगत की पतोहू अपने भाई के साथ नहीं जाना चाहती थी, वह दूसरा विवाह भी नहीं करना चाहती थी। वह यहीं रहकर भगत जी की सेवा करना चाहती थी। वह उन्हें बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ कर नहीं जाना चाहती। वह उनके लिए खाना बनाना, बीमारी में देखभाल करना आदि कार्य करना चाहती है।
    Question 55
    CBSEENHN10002312

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    बालगोबिन पतोहू का पुनर्विवाह क्यों करना चाहते थे?

    Solution
    बालगोबिन भगत पतोहू का पुनर्विवाह इसलिए करना चाहते है क्योंकि वह अभी जवान है। उसकी आयु वासनाओं पर जबरदस्ती काबू रखने की नहीं है। मनुष्य का मन चंचल होता है। वह भी कभी भटक सकती है। इन सब बुराइयों से बचने के लिए वे अपनी पतोहू का विवाह कर देना चाहते हैं।
    Question 56
    CBSEENHN10002313

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।

    ‘भगत का निर्णय अटल था’ इससे भगत के चरित्र की किस विशेषता का बोध होता है?

    Solution
    इस कथन से भगत के चरित्र की दृढ़ता का पता चलता है कि वे अपनी कही हुई बात पर सदा अटल रहते थे। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। इसलिए वे अपनी पतोहू के तर्को को नहीं मानते और उसे उसके भाई के साथ भेज देते हैं जिससे वह उसका पुनर्विवाह करा सके।

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