क्षितिज भाग २ Chapter 10 स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा Here is the CBSE Hindi Chapter 10 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा Chapter 10 NCERT Solutions for Class 10 Hindi स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा Chapter 10 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018885

    निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
    जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी होलदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग या कद का नहीं, उस भावना का है; वरना तो देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।
    दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है।
    (क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों? [2]
    (ख) ‘देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है।’ इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है? [2]

    (ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें क्या परिवर्तन दिखाई दिया? [1]

    Solution
    (क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों के द्वारा नेताजी की मूर्ति का लगाना सराहनीय लगा, क्योंकि इसमें कस्बे वालों की देशभक्ति की भावना दिखाई दे रही थी।
    (ख) हालदार साहब को लगा कि कैप्टन जो मूर्ति का चश्मा बदलता रहता था, पान वाले ने उसका मजाक उड़ाया था। नेता जी की प्रतिमा देशभक्ति की परिचायक थी। हालदार साहब को यह कतई पसन्द नहीं था कि प्रतिमा से संबंधित किसी चीज का कोई मजाक उड़ाए। वे बार-बार सोचते कि उस कौम का क्या होगा जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-जिन्दगी सब कुछ देश पर न्योछावर करने वालों पर हँसती है। उन्हें बहुत खराब लगा कि देश भक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है।
    (ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब ने देखा कि मूर्ति का चश्मा बदल गया था। साईकिल पर चश्मे बेचने वाला मूर्ति का चश्मा बदल दिया करता था। मोटे फ्रेम वाले चश्मे की जगह तार के फ्रेम वाले चश्मे ने ले ली थी।
    Question 2
    CBSEENHN10002189

    सेनानी न होते हुए भी चश्मे बाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

    Solution
    चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्वे में चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया। कैप्टन ने जब यह देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसीलिए वह जब तक जीवित रहा उसने नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा था। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे।
    Question 3
    CBSEENHN10002190

    हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
    हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

    Solution
    हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था ।
    Question 4
    CBSEENHN10002191

    हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
     मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

    Solution
    हालदार साहब जब चौराहे से गुजरे तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेता जी की मूर्ति पर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब को यह उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल को देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेता जी की बिना चश्मे की मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी।
    Question 5
    CBSEENHN10002192

    हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
    हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

    Solution
    चौराहे पर नेता जी की मूर्ति पर बच्चे के हाथ से बना सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। पहले उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा था। इसलिए उन्होंने ड्राइवर को वहाँ रुकने से मना कर दिया था। परंतु जब उन्होंने नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा तो उनका मन भावुक हो गया। उन्होंने नम आँखों से नेता जी की मूर्ति को प्रणाम किया।
    Question 6
    CBSEENHN10002193

    आशय स्पष्ट कीजिए
    “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िन्दगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

    Solution
    लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है। देश के लिए अपना घर-परिवार, जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण भी देने वालों पर लोग हँसते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वालों के पास लोग जल्दी इकट्‌ठे हो जाते हैं जिससे उन्हें अपना सामान बेचने का अवसर मिल जाता है।
    Question 7
    CBSEENHN10002194

    पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

    Solution
    पान वाले की दुकान चौराहे पर नेता जी की मूर्ति के सामने थी। पान वाले का रंग काला था। वह शरीर से मोटा था। उसकी आँखें हँसती हुई थीं। उसकी तोंद निकली हुई थी। जब वह किसी बात पर हँसता तो उसकी तोंद गेंद की तरह ऊपर-नीचे उछलती थी। वह स्वभाव से खुश मिज़ाज था। बार-बार पान खाने से उसके दाँत लाल- काले हो गए थे। वह कोई भी बात करने से पहले मुँह में रखे पान को नीचे की ओर थूकता था। यह उसकी आदत भी बन चुकी थी। पान वाले के पास हर किसी की पूरी जानकारी रहती थी जिसे वह बड़े रसीले अंदाज से दूसरे के सामने प्रस्तुत करता था।
    Question 8
    CBSEENHN10002195

    “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
    कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए

    Solution

    हालदार साहब के मन में नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले के प्रति आदर था। जब उन्हें पता चला कि चश्मा लगाने वाला कोई कैप्टन था तो उन्हें लगा कि वह नेता जी का कोई साथी होगा। परंतु पानवाला उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि वह एक लँगड़ा व्यक्ति है इसलिए वह फौज में कैसे जा सकता है।
    पानवाले का कैप्टन की हँसी उड़ाना अच्छा नहीं लगता है एक वही है जिसने नेता जी की मूर्ति के अधूरे व्यक्तित्व को पूरा किया था। उसके नेता जी के प्रति आदर भाव ने ही पूरे कस्बे की इज्जत बचा रखी थी। पानवाले के मन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर सम्मान नहीं था। उसे तो अपना पान बेचने के लिए कोई न कोई मसाला चाहिए था। यदि ऐसे लोग देश के लिए कुछ कर नहीं सकते तो उन्हें किसी की हँसी उड़ाने का भी अधिकार नहीं हे। कैप्टन जैसे भी व्यक्तित्व का स्वामी था उससे उसकी देश के प्रति कर्त्तव्य भावना कम नहीं होती थी। पानवाले को कैप्टन की हँसी नहीं उड़ानी चाहिए थी।

    Question 9
    CBSEENHN10002196

    निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-
    हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

    Solution
    हालदार साहब का चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को निहारने से यह पता चलता है कि उनके मन में देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना थी। नेता जी की मूर्ति उन्हें देश के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रेरित करती थी। इससे उनकी देशभक्ति की भावना का पता चलता है।
    Question 10
    CBSEENHN10002197

    निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-
    पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।

    Solution
    पानवाला जब भी कोई बात करता था, उससे पहले वह मुँह का पान नीचे अवश्य थूकता था। पानवाले को कैप्टन के मरने का दुःख था। इसीलिए उसकी आँखें नम थीं। इससे यह पता चलता है कि पानवाले के मन में कैप्टन के प्रति आदर की भावना थी।
    Question 11
    CBSEENHN10002198

    निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-
    कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

    Solution
    चौराहे पर लगी नेता जी की मूर्ति का मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था। बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन को बहुत आहत करती थी। इसलिए वह मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगा देता था। जब भी मूर्ति पर से चश्मा उतर जाता वह उसी समय मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। इससे पता चलता है कि कैप्टन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना है।
    Question 12
    CBSEENHN10002199

    जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके पास मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

    Solution
    जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक वे सोचते थे कि कैप्टन एक रौबदार व्यक्तित्व वाला इंसान है। उनके मस्तिष्क के पटल पर एक गठीले बदन के पुरुष की छवि अंकित थी। जिसकी मूंछें बड़ी-बड़ी थीं। उसकी चाल में फौजियों जैसी मजबूती और ठहराव था। चेहरे पर तेज था। उसका पूरा व्यक्तित्व ऐसा था जिसे देखकर दूसरा व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इस तरह हालदार साहब के दिल और दिमाग पर एक फौजी की तस्वीर अंकित थी।
    Question 13
    CBSEENHN10002200

    कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्‌ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है।
    इस तरह की मूर्ति लगाने का क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

    Solution
    कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने के पीछे यह उद्देश्य रहता है कि लोग उस व्यक्ति के व्यक्तिव से शिक्षा लें। लोगों में देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागृत हो। उस मूर्ति को देखकर लोग भी देश के लिए कुछ करने का दृढ़ संकल्प लें।
    Question 14
    CBSEENHN10002201

    कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्‌ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है।
    आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?

    Solution
    हम अपने क्षेत्र के चौराहे पर लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा लगवाना चाहेंगे। लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी मेहनत से देश का उच्च स्थान प्राप्त किया ता। उन्होंने आम व्यक्ति को यह अनुभव कराया था कि उसकी भी देश के निर्माण में अहम् भूमिका है। लाल बहादुर शास्त्री आम व्यक्ति की आवाज थे इसलिए उनकी मूर्ति भी आम व्यक्ति को कुछ करने की प्रेरणा देगी।
    Question 15
    CBSEENHN10002202

    कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्‌ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-
    उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

    Solution
    चौराहे पर लगी मूर्ति के प्रति हमारा और दूसरे लोगों का यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि उस मूर्ति के प्रति आदर और सम्मान की भावना हो। दूसरे लोगों को मूर्ति वाले व्यक्ति के व्यक्ति से परिचित कराया जाए। इसके लिए समय-समय पर वहाँ पर देशभक्ति के समागम होने चाहिए, जिससे आम व्यक्ति में देशभक्ति की भावना प्रबल हो। उस मूर्ति के सामने से जब भी निकलो उसके आगे नतमस्तक हों। उनके द्वारा किए गए कार्यो को याद करके उन्हें अमल में लाने का प्रयत्न करें।
    Question 16
    CBSEENHN10002203

    सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख करें और उन पर अमल भी कीजिये।

    Solution

    हम अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कई कार्यों को उचित ढंग से कर सकते हैं जिससे देश प्रेम का परिचय मिलता है। पानी हमारे प्राणी जीवन के लिए अनमोल धैरोहर है। पानी का उचित प्रयोग करना चाहिए। बिना मतलब के पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पानी की टंकी को खुला न छोड़े। पानी के प्रयोग के बाद तुरंत पानी की टंकी बंद कर देनी चाहिए।
    बिजली का उचित प्रयोग करना चाहिए। फालतू बिजली का प्रयोग हमारे जीवन को अंधकारमय बना सकता है। इसलिए बिजली का जितना प्रयोग संभव हो उतना ही प्रयोग करना चाहिए। घरों में बिजली के पंखें, ट्‌यूबें खुली नहीं छोड़नी चाहिए। जब इनकी जरूरत न हो तो बंद कर देनी चाहिए।
    पेट्रोल का उचित प्रयोग करने के लिए जहां तक संभव हो निजी यातायात के साधनों का प्रयोग कम करना चाहिए। सार्वजनिक यातायात के साधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए। इससे मनुष्य के धन की भी बचत होती है तथा पर्यावरण प्रदूषित कम होता है।
    ऐसे हमारे जीवन-जगत से जुड़े कई कार्य हैं जिनको अमल में लाकर हम अपने देश प्रेम का परिचय दे सकते हैं।

    Question 17
    CBSEENHN10002204

    निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
    कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

    Solution
    मान लीजिए, कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़े फ्रेम वाला चश्मा चाहिए। कैप्टन कहाँ से लाता। इसलिए ग्राहक को मूर्ति वाला चश्मा दे दिया। मूर्ति पर दूसरा लगा दिया।

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    Question 18
    CBSEENHN10002205

    'भई खूब! क्या आइडिया है।' इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

    Solution
    एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द आने से वाक्य प्रभावशाली बन जाता है। दूसरी भाषाओं के कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिन्हें हम अपनी मातृभाषा की तरह ही प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के प्रयोग से वाक्य कहना और सुनना सरल हो जाता है। यदि उपरोक्त वाक्य एक ही भाषा में कहा जाता तो यह सुनने वाले पर प्रभाव नहीं छोड़ता। दो या तीन भाषाओं के एक साथ प्रयोग से भाषा का नया स्वरूप बनता है जोकि भाषा को लचीला बनाता है।
    Question 24
    CBSEENHN10002211

    निन्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-
    वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।

    Solution
    उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता था।
    Question 25
    CBSEENHN10002212

    निन्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-
    पानवाला नया पान खा रहा था।

    Solution
    पानवाले के द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
    Question 26
    CBSEENHN10002213
    Question 27
    CBSEENHN10002214
    Question 28
    CBSEENHN10002215

    निन्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-
    नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

    Solution
    नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
    Question 29
    CBSEENHN10002216

    निन्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-
    हालदार साहब ने चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया ।

    Solution
    हालदार साहब के द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
    Question 34
    CBSEENHN10002221

    लेखक का अनुमान है कि नेता जी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया - 
    मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?

    Solution
    नगरपालिका चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित करना चाहती थी। नगरपालिका का मूर्ति बनाने का बजट सीमित था इसलिए उन लोगों ने मूर्ति बनाने का कार्य स्थानीय स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दे दिया। मास्टर मोतीलाल को जब यह कार्य मिला तो उन्हें बहुत खुशी हुई। उन्होंने नगरपालिका के सदस्यों को यह विश्वास दिलाया कि वह एक महीने के अंदर मूर्ति तैयार कर देंगे। इस प्रकार का कार्य मिलने से कलाकार में नया उत्साह जागृत हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि नगरपालिका ने उनकी कला को प्रोत्साहन देने के लिए यह कार्य उन्हें सौंपा है। इसीलिए उन्होंने अपनी बात के अनुसार एक महीने में मूर्ति पूरी कर दी।
    Question 35
    CBSEENHN10002222

    लेखक का अनुमान है कि नेता जी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया - 
    हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखिए।

    Solution
    हमें अपने क्षेत्र के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को समय-समय पर प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें अपनी कला दिखाने के लिए नए-नए अवसर दे सकते हैं। किसी त्योहार या राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर इन लोगों को अपनी कला दिखाने के लिए समागम करने चाहिए। इनकी कला के अनुरूप इन्हें प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए जिससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधरे और यह अपनी कला में निखार लाए। इन लोगों की कला को क्षेत्र के बड़े-बड़े लोग स्पोंसर करके इन्हें आगे बढ़ने का अवसर दे सकते हैं।
    Question 36
    CBSEENHN10002223

    आपके विद्यालय में शारीरिक रूप में चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी है उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ प्रशासन को इस संदर्भ में पत्र द्वारा सुझाव दीजिये 

    Solution

    सेवा में
    प्रधानाचार्य,
    केंद्रीय विद्यालय,
    दिल्ली कैंट।
    मान्यवर महोदय,
    आपको विदित ही है कि हमारे विद्यालय में अनेक ऐसे विद्यार्थी  हैं जो किसी न किसी रूप से शारीरिक विकलांगता से युक्त हैं। उन्हें विद्यालय में प्रथम अथवा  द्वितीय तल पर स्थित कक्षाओं में जाने तथा प्रसाधन कक्षों का प्रयोग करने में बहुत कठिनाई होती है। आप से प्रार्थना है कि शारीरिक रूप से असमर्थ विद्‌यार्थियों की कक्षाएं निचले तल पर लगाई जाएं तथा सीढ़ियों के साथ-साथ रैंप भी बनाए जाएं जिससे उन्हें आने-जाने में तकलीफ न हो। उनके लिए पुस्तकालय, प्रसाधन कक्षों में भी समुचित व्यवस्था की जाए।

    आशा है आप हमारी प्रार्थना को स्वीकार कर समुचित प्रबंध कराएंगे।

    धन्यवाद,
    भवदीप
    राघव मेनन
    मुख्य विद्‌यार्थी कक्षा दसवीं
    दिनांक 15 मार्च, 20..

    Question 37
    CBSEENHN10002224

    कैप्टन फेरी लगाता था।
    फेरी बाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी जरूरतों को आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए 

    Solution
    फेरी वाले हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग हैं। यह हमारी दौड़ती-भागती जिंदगी को आराम देते हैं। फेरी वाले घर पर ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर देते हैं। गली में कई फेरी वाले आते हैं जैसे सब्जी वाले, फल वाले, रोजाना काम में आने वाली वस्तुएँ आदि। फेरी वालों ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है। हमें छोटी से छोटी चीज घर बैठे मिल जाती है इससे हमारे समय की बचत होती है। हम अपना बचा हुआ समय किसी उपयोगी कार्य में लगा सकते हैं। कुछ फेरी वाले जहाँ हमारे जीवन के लिए उपयोगी हैं वहीं कुछ फेरी वाले समस्या भी उत्पन्न कर देते हैं। कई कॉलोनियाँ शहर से दूर होती हैं इसलिए वहाँ के लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए इन फेरी वालों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये फेरी वाले उन लोगों की जरूरतों का फायदा उठाते हुए मनमाने मूल्यों पर वस्तु बेचते हैं। कई बार तो दुगने पैसों पर गंदा और घटिया माल बेच देते हैं। कई फेरी वाले अपराधिक तत्वों से मिलकर उन्हें ऐसे घरों की जानकारी देते हैं जहाँ दिन में केवल बच्चे और बूढ़े होते हैं। फेरी वालों की मनमानी रोकने के लिए उनको नगरपालिका से जारी मूल्य-सूची दी जानी चाहिए। फेरी वालों के पास पहचान-पत्र और लाइसेंस होना चाहिए।
    Question 38
    CBSEENHN10002225

    नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।

    Solution
    विद्यार्थीयो अपने अध्यापका अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
    Question 39
    CBSEENHN10002226

    अपने पर के आस-पास देखिए और पता लगाइए कि नगरपालिका ने क्या-क्या काम करवाए हैं? हमारी भूमिका उसमें क्या हो सकती है?

    Solution
    नगरपालिका ने हमारे घर के आस-पास रोशनी का उचित प्रबंध किया है। टूटी हुई सड़कों को ठीक करवाया है। कूड़ा-कर्कट डालने के लिए बड़े-बड़े डिब्बे रखवाएं। सरकारी पानी की टंकी लगवाई है। नगरपालिका के करवाए कार्यो का उचित उपभोग हो उसके लिए हमें देखभाल करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि सड़कों पर कूड़ा-कर्कट न फेंके। पानी की टंकी को बेकार में खुली मत छोड़े। अपने आस-पास के क्षेत्र की सफाई का पूरा ध्यान रखें जिससे स्वच्छ वातावरण में ताजगी का अनुभव हो।

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    Question 40
    CBSEENHN10002227

    नीचे दिए गए निबंध का अंश पढ़िए और समझिए कि गद्य की विविध विधाओं में एक ही भाव को अलग-अलग प्रकार से कैसे व्यक्त किया जा सकता है-

    Solution

    देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है, सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है। देश-प्रेम यदि वास्तव में अंतःकरण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।
    यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेडू, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा; वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि बस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का पता बताकर देश-प्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप-परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दु:ख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए उन्हें तुम देखना चाहते हो, यह कैसे समझे? उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में ‘अर्थशास्त्र’ की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो। प्रेम हिसाब-किताब नहीं है। हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं।
    हिसाब-किताब से देश की दशा का ज्ञान-मात्र हो सकता है। हित-चिंतन और हित-साधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या भाव पर अवलंबित हैं, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग का उत्साह हो नहीं सकता। 

    Question 41
    CBSEENHN10002228

    ‘नेता जी का चश्मा’ पाठ का उद्‌देश्य स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    ‘नेता जी का चश्मा’ पाठ के लेखक स्वयंप्रकाश हैं। इस पाठ का उद्‌देश्य देश-प्रेम का वर्णन करना है।
    देश का निर्माण कोई अकेला नहीं कर सकता है। जब-जब देश का निर्माण होता है उसमें कुछ नाम प्रसिद्ध हो जाते हैं और कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी यही दर्शाया गया है कि नगरपालिका वाले कस्बे के चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगवाते हैं। मूर्तिकार नेता जी की मूर्ति का चश्मा बनाना भूल जाता है। उस कस्बे में कैप्टन नाम का व्यक्ति चश्मे बेचने वाला है। उसे बिना चश्मे के नेता जी का व्यक्तित्व अधूरा लगता है। इसलिए वह उस मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगवा देता है। सब लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। उसके मरने के बाद नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे के चौराहे पर लगी रहती है। बिना चश्मे की मूर्ति हालदार साहब को भी दु:खी कर देती है। वह ड्राइवर से चौराहे पर बिना रुके आगे बढ़ने को कहते हैं लेकिन उनकी नजर अचानक मूर्ति पर पड़ती है जिस पर किसी बच्चे द्वारा सरकंडे का बनाया चश्मा लगा हुआ था। यह दृश्य हालदार साहब को देशभक्ति की भावना से भर देता है। अत: इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है कि देश के निर्माण में करोड़ों गुमनाम व्यक्ति अपने-अपने ढंग से योगदान देते हैं। इस योगदान में बड़े ही नहीं अपितु बच्चे भी शामिल होते हैं।
    Question 42
    CBSEENHN10002229

    लेखक ने कस्बे का वर्णन किस प्रकार किया है?

    Solution

    लेखक ने नेताजी का चश्मा पाठ में जिस कस्बे का वर्णन किया है वह बहुत बड़ा नहीं है। वह कत्या आम कस्बों जैसा है उसमें कुछ मकान पक्के थे। एक बाजार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल था और एक लड़कियों का स्कूल था। एक छोटा-सा सीमेंट का कारखाना था। दो ओपन एयर सिनेमाघर थे। कस्बे में एक नगरपालिका थी। 

    Question 43
    CBSEENHN10002230

    नेता जी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता था?

    Solution
    नगरपालिका ने कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। लोग जब भी नेताजी की मूर्ति को देखते तो उन्हें नेता जी का आजादी के दिनों वाला जोश याद आने लगता था। उन्हें नेता जी के वे नारे याद आते थे जो लोगों में उत्साह भर देते थे जैसे ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो’। उनकी मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था कि कोई उन्हें देश के नवनिर्माण में पुकार रहा है।
    Question 44
    CBSEENHN10002231

    नेताजी का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता था?

    Solution
    हालदार साहब जब भी कस्बे में से गुजरते थे तो वे चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को देखते रहते थे। उन्हें हर बार नेता जी का चश्मा अलग दिखता था। पूछने पर पान वाले ने हालदार साहब को बताया कि मूर्ति का चश्मा कैप्टन बदलता है। कैप्टन को बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति आहत करती थी इसलिए उसने उस मूर्ति पर चश्मा लगा दिया। अब यदि कोई ग्राहक उससे नेता जी की मूर्ति पर लगे चश्मे जैसा चश्मा मांगता तो वह मूर्ति पर से चश्मा उतार कर ग्राहक को दे देता था। उसके बदले में मूर्ति पर नया चश्मा लगा देता था। इस प्रकार नेता जी का चश्मा हालदार साहब को हर बार बदला हुआ मिलता था।
    Question 45
    CBSEENHN10002232

    हालदार साहब चश्मे वाले की देशभक्ति के प्रति क्यों नतमस्तक थे?

    Solution
    नगरपालिका वालों ने चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने की योजना बनाई। उन लोगों ने मूर्ति बनाने का कार्य कस्बे के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दे दिया। मोतीलाल जी ने भी एक महीने में सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति बना दी। मूर्ति बनाते समय उससे एक भूल हो गई कि वह नेता जी का चश्मा बनाना भूल गया। चश्मे के बिना नेता जी की मूर्ति अधूरी थी। उने इस अधूरपेन को कैप्टन चश्मे वाला अपने ढंग से पूरा करता है। हालदार साहब उसकी इस देशभक्ति की भावना के आगे नतमस्तक थे।
    Question 46
    CBSEENHN10002233

    कैप्टन चश्मे वाले का व्यक्तित्व हालदार साहब की सोच से किस प्रकार अलग था?

    Solution
    हालदार साहब को जब यह पता चलता है कि कैप्टन चश्मे वाले ने नेता जी की मूर्ति के अधूरेपन को अपने ढंग से पूरा किया है तो वे कैप्टन की देशभक्ति देखकर उसके आगे नतमस्तक थे। उनके दिल और दिमाग पर कैप्टन नाम सुनते ही एक फौजी की छवि अंकित हो गई थी। परंतु जब उन्होंने वास्तव में कैप्टन चश्मे वाले को देखा तो हैरान रह गए। कैप्टन चश्मे वाला एक दुबला-पतला बुढा था उसकी टांग नहीं थी। सिर पर गांधी टोपी थी। उसने आँखों पर काला चश्मा लगा रखा था। उसके एक हाथ में छोटी-सी संदूकची थी और दूसरे हाथ में एक बांस पर लटके हुए चश्मे थे। इस प्रकार कैप्टन चश्मे वाले का व्यक्तित्व हालदार साहब की सोच से भिन्न था।
    Question 47
    CBSEENHN10002234

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज़्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही श्वसर देने का निर्णय किया होगा और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी - को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने’ का बिश्वास दिला रहे थे।

    नेता जी की मूर्ति किसी अच्छे मूर्तिकाल से क्यों नहीं बनवाई गई थी?
    • अच्छे मूर्तिकार की जानकारी नहीं थी
    • धन की कमी थी
    • कोई अच्छा मूर्तिकार ही नहीं था
    • अच्छे मूर्तिकार समय पर काम पूरा नहीं कर रहे थे।

    Solution

    A.

    अच्छे मूर्तिकार की जानकारी नहीं थी
    Question 48
    CBSEENHN10002235

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज़्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही श्वसर देने का निर्णय किया होगा और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी - को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।

    मूर्ति बनवाने में अधिक समय खराब क्यों हुआ था?
    • मूर्तिकार ढूँढने के कारण
    • व्यर्थ की ऊहापोह और चिट्‌ठी-पत्री में
    • सरकारी रोक-टोक के कारण
    • शून्य बजट होने के कारण।

    Solution

    B.

    व्यर्थ की ऊहापोह और चिट्‌ठी-पत्री में
    Question 49
    CBSEENHN10002236

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज़्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही श्वसर देने का निर्णय किया होगा और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी - को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।

    मूर्ति-निर्माण का कार्य किसे देने का निर्णय किया गया था?
    • स्थानीय कलाकार को 
    • महानगरीय कलाकार को
    • विदेशी कलाकार को
    • नगर के कुम्हार को

    Solution

    A.

    स्थानीय कलाकार को 
    Question 50
    CBSEENHN10002237

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज़्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही श्वसर देने का निर्णय किया होगा और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी - को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।

    मूर्तिकार मोती लाल जी किस विषय के अध्यापक थे?
    • नृत्य कला
    • गणित
    • ड्राईंग।
    • मूर्तिकला

    Solution

    C.

    ड्राईंग।
    Question 51
    CBSEENHN10002238

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज़्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही श्वसर देने का निर्णय किया होगा और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी - को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने’ का विश्वास दिला रहे थे।

    मूर्ति बनाने में कुल कितना समय लगा था?
    • दस दिन
    • एक महीना
    • दो महीने 
    • छ:महीने।

    Solution

    B.

    एक महीना
    Question 57
    CBSEENHN10002244

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना,  पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
    पानवाले के खुद के मुँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे वाला करता है।

    पाठ और लेखक का नाम लिखिए।


    Solution
    पाठ-नेता जी का चश्मा, लेखक-स्वयंप्रकाश।
    Question 58
    CBSEENHN10002245

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना,  पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
    पानवाले के खुद के मुँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे वाला करता है।

    हालदार साहब की क्या आदत थी?


    Solution
    हालदार साहब की यह आदत थी कि वे जब भी इस शहर से निकलते, वे इस शहर के मुख्य बाजार के चौराहे पर अवश्य रुकते थे। वे चौराहे के पानवाले से पान लेकर खाते थे और चौराहे पर लगी हुई नेता जी की संगमरमर की मूर्ति को ध्यान से देखते थे।
    Question 59
    CBSEENHN10002246

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना,  पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
    पानवाले के खुद के मुँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे वाला करता है।

    हालदार साहब को किस बात पर आश्चर्य हुआ?

    Solution
    हालदार साहब को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वे जब भी इधर से गुजरते हैं तो हर बार संगमरमर की नेता जी की मूर्ति का चश्मा बदला हुआ होता है। उन्हें इसी बात पर आश्चर्य हुआ कि चश्मा कैसे बदल जाता है?
    Question 60
    CBSEENHN10002247

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना,  पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
    पानवाले के खुद के मुँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे वाला करता है।

    हालदार साहब ने अपने कौतूहल के समाधान के लिए क्या किया?

    Solution
    हालदार साहब ने अपने कौतूहल के समाधान के लिए पानवाले से पूछा कि इस नेता जी की संगमरमर की मूर्ति का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता है?
    Question 61
    CBSEENHN10002248

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुज़रते समय चौराहे पर रुकना,  पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
    पानवाले के खुद के मुँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिज़ाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मे वाला करता है।

    पानवाले ने हालदार साहब को किस प्रकार उत्तर दिया?

    Solution
    पानवाला एक काला, मोटा और खुशमिजाज व्यक्ति था। जब हालदार साहब ने उससे मूर्ति के चश्मे के बदलते रहने की बात पूछी तो उस समय उसके मुँह में पान था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही- आखों में हँसा और उसकी तोंद थिरकने लगी। उसने अपने मुँह का पान पीछे घूमकर दुकान के नीचे धूका और हालदार साहब को बताया कि मूर्ति के चश्मे को कैप्टन बदलता है।
    Question 63
    CBSEENHN10002250

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है!

    हालदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा था?

    Solution
    हालदार साहब को यह अच्छा नहीं लगा कि पान वाला एक देशभक्त व्यक्ति का यह कहकर मजाक उड़ाए कि वह लंगडा क्या जाएगा फौज में।
    Question 64
    CBSEENHN10002251

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है!

    कैप्टन के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।

    Solution
    कैप्टन एक बहुत ही बुढा, कमजोर-सा लंगड़ा व्यक्ति है। उसने अपने सिर पर गाँधी टोपी पहनी हुई है। उसने अपनी आँखों पर काला चश्मा लगाया हुआ है। उसके एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बांस पर टंगे हुए बहुत से चश्मे हैं।
    Question 65
    CBSEENHN10002252

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है!

    कैप्टन 
    क्या कार्य करता है?

    Solution
    कैप्टन चश्मे बेचने का काम करता है। उसकी अपनी कोई दुकान नहीं है। वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता है।
    Question 66
    CBSEENHN10002253

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है!

    हालदार साहब को कैष्टन देशभक्त क्यों लगा?

    Solution
    हालदार साहब को लगा कि चश्मे बेचने वाला कैप्टन नेता जी की संगमरमर की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर उस पर सचमुच के चश्मों के फ्रेम लगाता है तो उसे अवश्य ही नेता जी की बिना चश्मे की मूर्ति अच्छी नहीं लगती होगी। उन्हें वह आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही अथवा नेता जी का सहयोगी देशभक्त लगता है।
    Question 67
    CBSEENHN10002254

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।

    लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।

    पाठ और लेखक का नाम लिखिए।


    Solution
    पाठ-नेता जी का चश्मा, लेखक-स्वयंप्रकाश।
    Question 68
    CBSEENHN10002255

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।

    लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।

    हालदार साहब शहर से गुजरते हुए क्या और क्यों सोच रहे थे?

    Solution
    हालदार साहब शहर से गुजरते समय यह सोच रहे थे कि वे अब शहर के चौराहे पर रुककर न तो पान खाएंगे और न ही नेता जी की मूर्ति को देखेंगे क्योंकि अब नेता जी की मूर्ति का चश्मा नहीं होता। जब से कैप्टन की मृत्यु हुई है उन्हें नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं दिखाई दिया।
    Question 69
    CBSEENHN10002256

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।

    लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।

    हालदार साहब नेता जी की मूर्ति की ओर क्यों नहीं देखना चाहते?

    Solution
    हालदार साहब नेता जी की मूर्ति की ओर इसलिए नहीं देखना चाहते क्योंकि पीछे जितनी बार भी वे यहाँ आकर मूर्ति देखते हैं, मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं होता। जब उन्हें पता चला कि मूर्ति को चश्मा लगाने वाले कैप्टन की मौत हो गई है तो उनका मन दु:ख से भर उठता है। वे कैप्टन को स्मरण कर भावविभोर हो उठते हैं। उन्हें कैप्टन की याद न आए तथा नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे के अधूरी लगती है-इन सभी कारणों से वे मूर्ति की ओर नहीं देखते हैं।
    Question 70
    CBSEENHN10002257

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।

    लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।

    चौराहा आते ही हालदार साहब ने क्या और क्यों किया?

    Solution
    चौराहा आते ही पुरानी आदतवश हालदार साहब की आँखें मूर्ति की ओर उठ जाती हैं। इस बार मूर्ति पर चश्मा लगा हुआ था। इसे देखकर वे अपने आप को रोक न सके और ड्राइवर को वहीं जीप रोकने का आदेश दिया। वे मूर्ति को पास से जाकर देखना चाहते थे।
    Question 71
    CBSEENHN10002258

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।

    लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।

    हालदार साहब मूर्ति के सामने अटेंशन क्यों खड़े हो गए?

    Solution
    हालदार साहब को कई दिनों से मूर्ति की आँखों पर चश्मा लगा हुआ नहीं दिखाई दिया था। आज अचानक उन्हें मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा दिखाई दिया। वे मूर्ति को आदर देने के लिए उसके सामने अटेंशन की मुद्रा में खड़े हो गए।

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