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डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
डी.एन.ए. स्पशीज़ प्रजनन के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पीशीज़ के लक्षणों को बनाए रखती है। जीव इन लक्षणों/गुणों का उपयोग किसी विशेष आवास स्थल में कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह जीवन के स्वरूप को बनाए रखती है।
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
जीवों पर परितंत्र के साथं पर निकेत का सीधा प्रभाव पड़ता है। किसी प्रजाति की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है। जब निकेत में ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं जो जीवों के नियंत्रण से बाहर होते हैं जो उग्र परिवर्तन दिखाई देते हैं। इसके परिणामस्वरूप समष्टि का समूल विनाश संभव होता है। यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीवित रहने की कुछ संभावना है। वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण यदि जल का ताप अधिक बढ़ जाए तो शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं का नाश हो जाएगा पर गर्मी को सहन कर सकने वाले जीवाणु जीवित रहेंगे और वृद्धि करेंगे। इसलिए विभिन्नताएँ स्पीशीज़ की उत्तर जीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं। विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो लाभदायक है पर व्यष्टि के लिए यह आवश्यक नहीं है।
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
द्विखंडन | बहुखंडन |
1. प्रत्येक जीव (कोशिका) विभक्त होकर दो संतति जीव बनता है | 1. एककोशिकीय जीव अनेकों संतति व्यष्टिकाओं/कोशिकाओं में विभक्त हो जाता है |
2. इसमें जीव सिस्ट नहीं बनाता | 2. इसमें जीव सिस्ट बनाता है |
3. पैत्रक कोशिका टूटकर बिखर नहीं जाती है | 3. पैत्रक कोशिका टूटकर बिखर जाती है तथा बहुत-सी संतति कोशिकाओं को छोड़ देती है |
4. उदाहरण- अमीबा, पैरामीशियम | 4. उदाहरण- लेस्मानिया, प्लैज़्मोडियम |
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बीजाणु दवरा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उतपन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। इनमें उतपन बीजाणुओं की संख्या अधिक होती है इसलिए उनके बचने की संभावना ज्यादा होती है। वे सरलता से विपरीत परिस्थितियों में पाए जा सकते हैं। नम सतह के संपर्क में आने पर वे वृद्धि करने लगते हैं।
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुदभवन द्वारा नई संतति उतपन्न नहीं कर सकते?
जटिल संरचना वाले जीवों में जनन भी जटिल होता है। पुनरुदभवन एक प्रकार से परिवर्धन है जिसमें जीव के गुणों में अंतर नहीं आता। यह जनन के समान नहीं है। जटिल संरचना वाले जीव पुनरदभवन के द्वारा किसी भी भाग को काट कर सामान्यत: वैसा जीव उतपन्न नहीं कर सकते। क्योंकि उन का शरीर अंगों और अंग तंत्रों में विभाजित होता है।
कुछ पौधों को उगने के लिए कायिक पर्वधन का उपयोग क्यों किया जाता है?
(i) यह केला, नारंगी जैसे बीज रहित पौधों में प्रजनन का एकमात्र तरीका है।
(ii) इस पद्धति में आनुवंशिक रूप से समान पौधों का उत्पादन करने में मदद मिलती है जिनके पास मूल पौधे की सभी विशेषताएं हैं।
(iii) यह सजावटी पौधों के गुणन के लिए यह बहुत आसान और किफायती तरीका है।
(iv) यह तीव्र गुणा के लिए यह एक छोटी कट पद्धति है।
(v) इस पद्धति में आनुवंशिक रूप से समान पौधों का उत्पादन करने में मदद मिलती है जिनके पास मूल पौधे की सभी विशेषताएं हैं।
डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
डी.एन.ए. आनुवांशिक पदार्थ है जो अपने गुण एक कोशिका से संतति कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय स्थानांतरित कर देता है। यह जीवन की निरंतरता बनाए रखता है। इस प्रकार से नए जीव वही गुण बनाए रखते हैं। यह किसी जाती विशेष के गुणों को बनाए रखता है।
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
परागण | निषेचन |
1. वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाती है। | 1. वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है। |
2. यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है। | 2. यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है। |
3. परागण क्रिया दो प्रकार की होती है- स्व-परागण और और पर-परागण। | 3. निषेचन क्रिया दो प्रकार की होती है- बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन। |
4. परागकणों के स्थानांतरण के लिए वाहकों की आवश्यकता होती है। | 4. इस क्रिया में वाहकों की कोई आवश्यकता नहीं होती। |
5. अनेक परागकणों का नुकसान होता है। | 5. इसमें परागकणों का नुकसान नहीं होता। |
6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता होती है। | 6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता नहीं होती। |
7. इस क्रिया के पूरा हो जाने पर निषेचन क्रिया पूरी होने की आशा होती है। | 7. इस क्रिया के पश्चात बीजों और फल बनने की संभावना हो जाती है। |
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
शुक्राशय के कार्य | प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य |
1. शुक्राशय से स्त्रावित द्रव वीर्य का लगभग भाग बनाता है। इस द्रव में फ्रुक्टोज, सिटरेट तथा अनेक प्रोटीन होते हैं। | 1. प्रोस्टेट से स्त्रावित द्रव वीर्य का लगभग भाग बनाता है। |
2. इस द्रव में उपस्थित प्रोस्टग्लैंड़ंज शुक्राणुओं को उत्तेजित कर देते हैं। | 2. यह शुक्राणुओं को पोषण प्रदान कर उन्हें उत्तेजित करता है। |
3. यह योनि में संकुचन को उद्दीपित करता है। | 3. यह मूत्र की अम्लीयता को भी उदासीन कर देता है, जो शुक्राणुओं को मार सकती है। |
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
(i) शरीर के कुछ नए भागों जैसे काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल गुच्छ निकल आते हैं।
(ii) हाथ, पैर पर महीन रोम आ जाते हैं।
(iii) त्वचा तैलीय हो जाती है। कभी-कभी मुहाँसे निकल आते हैं।
(iv) वक्ष के आकार में वृद्धि होने लगती है।
(v) स्तनाग्र की त्वचा का रंग गहरा भूरा होने लगता है।
(vi) रजोधर्म होने लगता है।
(vii) अंडाशय में अंड परिपक्व होने लगते हैं।
(viii) ध्वनि सुरीली हो जाती है।
(ix) विपरीत लिंग की ओर आकर्षण होने लगता है।
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण एक रस्सी जैसी संरचना के साथ अपरा के माध्यम से जुड़ा होता है। अपरा गर्भाशय की भित्ति पर विकसित होता है। माँ के शरीर से पोषक तत्व अपरा के माध्यम से भ्रूण में प्रवेश करते हैं। अपरा एक तश्तरी की आकृति का ऊतक होता है जो गर्भाशय की भित्ति में धँसा होता है। अपरा भ्रूण की ओर प्रवर्ध (Villi) बनाता है तथा माँ के शरीर की ओर गुहाएँ। प्रवर्ध ग्लूकोज़, अमीनों अम्ल, ऑक्सीजन आदि के अवशोषण के लिए वृहत क्षेत्र उपलब्ध करवाता है।
यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौनि-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
नहीं, कॉपर-टी यौनि-संचरित रोगों से उसकी रक्षा नहीं करेगी।
क्योंकि यह केवल एक गर्भनिरोधक युक्ति है जो गर्भधारण से बचाव करती है।
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
अंडाशय
गर्भाशय
शुक्रवाहिका
डिंबवाहिनी
C.
शुक्रवाहिका
अलैंगिक जनन की अपेक्षा जनन के क्या लाभ हैं?
लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा लाभकारी है:
(i) लैंगिक जनन में नर और मादा से प्राप्त होने वाले नर युग्मक और मादा युग्मक के निषेचन से लैंगिक जनन होता है चूँकि ये दो भिन्न प्राणियों से प्राप्त होते हैं इसलिए संतान विशेषताओं की विविधता को प्रकट करते हैं।
(ii) विभिन्नताओं के बनने के साथ नए लक्षण उतपन्न होते हैं। इससे स्पीशीज़ के उद्भव में सहायता मिलती है। इसलिए यह विकास के लिए आवश्यक है।
(iii) लैंगिक जनन अलैंगिक जनन पर एक उन्नति/बढ़ावा है।
(iv) लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नए जोड़े बनते हैं। इससे विकासवाद की दिशा को नए आयाम प्राप्त होते हैं। इससे जीवों में श्रेष्ठ गुणों के उतपन्न होने के अवसर बढ़ते हैं।
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
वृषण में नर जनन-कोशिका शुक्राणु का निर्माण होता है। टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन से उत्पादन एवं स्त्रावण में वृषण की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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ऋतुस्त्राव क्यों होता है?
आवर्त चक्र (लैंगिक चक्र) के अंतिम दिन से पहले 14वें दिन अंडाशय से अंड मोचित होता है। अंडाशय की भित्ति निषेचित अंड को ग्रहण करने के लिए स्वयं को तैयार करती है। गर्भाशय की भित्ति मोटी होती चली जाती है, इसमें प्रचुर रक्त कोशिकाएँ विद्यमान होती हैं।
लेकिन निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की आवश्यकता नहीं रहती, इसलिए यह पर्त धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। भित्ति में उपस्तिथ रक्त कोशिकाएँ फट जाती हैं, इसलिए रक्तस्त्राव होता है जिसमें रक्त के साथ-साथ ऊतक तथा बहुत सारा पानी भी होता है इसे ऋतुस्त्राव कहते हैं। यह 2 से 8 दिन तक जारी रहता है।
इसके पश्चात गर्भाशय की भित्ति निषेचित अंड को ग्रहण करने के लिए तैयारी करने लगती है।
गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं- (a) यांत्रिक/भौतिक अवरोध, (b) रासायनिक विधि, (c) शल्य चिकित्सा विधि, (d) अंतरा गर्भाशय ( गर्भनिरोधक) यंत्र/उपकरण (IUD)
(a) यांत्रिक/भौतिक अवरोध: (i) नर योनि में शुक्राणुओं के प्रवेश को रोकने के लिए कंडोम (निरोध) का उपयोग करते हैं।
(ii) मादाएँ डायाफ्राम या ग्रीवा टोपी का प्रयोग शुक्राणुओं के गर्भाशय तथा अंडवाहिनी में प्रवेश को रोकने के लिए करती हैं।
मादा कंडोम बाज़ार में भी उपलब्ध हैं, लेकिन वे अभी इतने लोकप्रय नहीं हैं। इसका कारण अज्ञानता तथा कमज़ोर आर्थिक स्थिति है।
(b) रासायनिक विधि: औरतें दो प्रकार की गोलियों का उपयोग करती हैं:
(i) मुख गोलियाँ: ये गोलियाँ हॉर्मोन युक्त होती हैं जो अंडाशय से अंडोत्स्र्ग (एंड/डिंब के मोचन) को रोकती हैं।
उदाहरण- माला-डी, सहेली।
(ii) योनि गोलियाँ- इन गोलियों में रसायन होते हैं जो शुक्राणुओं को मार देते हैं।
(c) शल्य चिकित्सा विधि:
(i) वैसेक्टॉमी (पुरष नसबंदी): शुक्रवाहिकाओं के एक छोटे से बहग को शल्य चिकित्सा द्वारा अलग कर देना वैसेक्टॉमी कहलाता है। शुक्रवाहिकाएँ वे नलिकाएँ होती हैं जो नरों में शुक्राणुओं को वृषण के माध्यम से मूत्रमार्ग तक लेकर जाती हैं।
(ii) टयूबैक्टॉमी (महिला नसबंदी): डिंबवाहिनी नलिकाओं के एक भाग को काटकर अलग कर देना टयूबैक्टॉमी कहलाता है। यह प्रक्रिया अंड/डिंब को आगे डिंबवाहिनी तथा गर्भाशय में जाने से रोकती है।
(d) अंतरा गर्भाशय (गर्भनिरोधक) यंत्र उपकरण: यह जो कॉपर आयनों के स्त्रोत होते हैं, को मादा/महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है, जो निषेचित अंड या ब्लास्टुला को गर्भाशय में स्थापित होने से रोकते हैं।
एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
(a) एक-कोशिक जीवों में जनन सामान्यत: अलैंगिक जनन द्वारा होता है। इसकी विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित प्रकार से हैं: द्विखंडन, बहुखंडन, मुकुलन, समसूत्री विभाजन, असमसूत्री विभाजन। यह एकल पैतृक होता है।
नोट: इन एक-कोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन भी होता है।
(b) बहुकोशिक जीवों में अधिकतर में लैंगिक जनन होता है। यह द्वि-पैतृक होता है तथा इसमें युग्मक बनने तथा उनके संयोग करने की आवश्यकता भी पड़ती है। उनमें युग्मों के बनने के लिए गौनेड, युग्मकजननि की आवश्यकता होती है।
नोट: बहुकोशिक जीवों में पौधों, निम्न प्रकार के अकशेरुकियों में अलैंगिक जनन भी होता है।
एक कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
(i) ये अवांछित गर्भ को रोकती हैं, इसलिए महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं।
(ii) ये जन्म-दर को नियंत्रित करने की अच्छी विधियाँ हैं तथा जनसंख्या विस्फोट को भी रोकती हैं।
(iii) कंडोम/निरोध जैसे गर्भनिरोधक यौन संचरित रोगों; जैसे एड्स, सुजाक, हिपेटाइटिस आदि से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
ब्रायोफिलम के उस भाग का नाम लिखिए जहाँ कायिक प्रवर्धन के लिए कलिकाएँ विकसित होती हैं।
ब्रायोफिलम की कलियों में, पत्तियों के हाशिये पर विकसित होती हैं।
जीव चाहे लैंगिक जनन द्वारा जनन करें अथवा अलैंगिक जनन द्वारा जनन करें, उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी कई पीडियों तक संततियों में गुणसूत्रों की संख्या किस प्रकार नियत बनी रहती है? उपयुक्त उदहारण की सहायता से व्याख्या कीजिए।
सभी जीवों में गुणसूत्रों की संख्या बनाए रखने हेतु। अलैंगिक और यौन प्रजनन निरंतर गुणसूत्र संख्या को अलग-अलग तरीकों से अपनाते हुए बनाए रखता है।
अलैंगिक प्रजनन में जीवों को गुणसूत्र पहले और फिर कोशिकाओं को विभाजित करते हैं। उदाहरण के लिए द्विआधारी विखंडन में गुणसूत्रों को दोहराया जाता है और फिर बेटी कोशिकाओं को सौंपा जाता है।
सिविक प्रजनन के मामले में, युग्मक का गठन किया जाता है जो प्रकृति में अगुणित हैं और फिर सामान्य राजनयिक स्थिति को बहाल करने के लिए एकजुट होते हैं। इस प्रकार, जीव में गुणसूत्रों की संख्या को मुख्यकरण करना। उदाहरण के लिए मनुष्यों में, पुरुष और महिला जनित्र 23 गुणसूत्र होते हैं। वे ज़ीगेट बनाने के लिए एकजुट करते हैं जो संतानों में सामान्य 46 गुणसूत्र संख्या को पुनर्स्थापित करता है।
नीचे आरेख में दर्शाए गए भागों A, B और C के नाम और प्रत्येक का एक-एक कार्य लिखिए?
मानव संख्या को नियंत्रण करने के, जोकि देश के स्वास्थ और सम्बृद्धि के लिए आवश्यक है, की कोई तीन गर्भ निरोध विधियॉं सुझाइए। प्रत्येक विधि के मूल सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए?
मौखिक गोलियां - वे हार्मोन्स को संतुलन करते हैं ताकि अंडें सुराग न हो जाएं और निषेचन न हो सके।
बैरियर विधि - इस पद्धति में कंडोम जैसी बाधाओं का उपयोग करके निषेचन को रोक दिया जाता है।
शल्य विधि - इस पद्धति में वीएएस डीफ्रेंसिंग और फैलोपियन ट्यूब्स बंधे हैं और अवरोधित हैं। ताकि शुक्राणु स्थानांतरण अवरुद्ध हो।
(a) मानव मादा जनन तंत्र के नीचे दिए गए प्रत्येक भाग का कार्य लिखिए :-
(i) अण्डाशय
(ii) फैलोपियन ट्यूब
(iii) गर्भाशय
(b) प्लैसेंटा की संरचना और कार्य का वर्णन कीजिए?
(a) (i) अंडाशय - वे अंडों का उत्पादन करते हैं और महिला वीणा का उत्पादन करते हैं, वे महिला हार्मोन एस्ट्रोजेन भी प्रेरित करते हैं जो मादाओं में माध्यमिक यौन पात्रों के विकास के बारे में बताती हैं।
(ii) फैलोपियन ट्यूब - गर्भाशय में परिपक्व अंडे ले जाता है। और डिंबवाहिनी होने के लिए निषेचन के लिए जगह प्रदान करते हैं।
(iii) गर्भाशय - यह गर्भित गर्भ को पोषित करता है जो कि भ्रूण में विकसित होता है और बच्चे के जन्म के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व होने तक उसे पकड़ और समर्थन देता है।
(b) नाल एक डिस्क है जो गर्भाशय की दीवार में अंतःस्थापित प्रणाली है। इसमें ऊतक के भ्रूण की तरफ villi है। मां के पक्ष में रक्त के स्थान हैं, जो कि villi को घेरते हैं।
नाल गर्भावस्था के लिए ग्लूकोज और ऑक्सीजन के लिए बड़े सतह क्षेत्र प्रदान करता है। भ्रूण द्वारा उत्पन्न बेकार पदार्थों को नाल के माध्यम से मां के रक्त में स्थानांतरित करके हटा दिया जाता है।
मानव में वृषण के दो कार्यों की सूची बनाइए।
मनुष्यों में वृषण द्वारा निष्पादित दो कार्य हैं:
1. यह पुरुष में हार्मोन पैदा करता है, जो पुरुषों में द्वितीयक यौन परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है।
2. यह शुक्राणु पैदा करता है, जो निषेचन के लिए आवश्यक है।
केवल नामांकित चित्रों की सहायता से हाइड्रा में मुकुलन की व्याख्या कीजिए।
हाइड्रा में अलैंगिक हाइड्रा जनन मुकुलन द्वारा होता है-
1. एक बहुकोशिकीय सिलेंटरेट है।
2. किसी विशेष स्थान पर लगाकर कोशिका विभाजन के द्वारा एक प्रवर्ध उत्पन्न होता है जिसे मुकुल कहते हैं।
3. ये मुकुल पूर्ण जीव के रूप में विकसित हो जाते हैं।
4. जब ये पूर्ण रूप से परिपक़्व होते हैं, तो मुकुल पैतृक शरीर से अलग होकर नए स्वतंत्र जीव के रूप में विकसित हो जाते हैं।
हाइड्रा में, कोशिकाओं को एक विशिष्ट स्थल पर विभाजित किया जाता है और एक विशिष्ट स्थान पर दोहराए जाने वाले कोशिका विभाजन के कारण परिणामस्वरूप विकृति के रूप में विकसित होने वाली कली कहते हैं। ये कलियां छोटे जंतु में विकसित होती हैं और जब पूरी तरह से परिपक्व हो जाती हैं, तो माता-पिता के शरीर से अलग हो जाती हैं और नए स्वतंत्र पादप (जंतु) बन जाते हैं
मानव मादा जनन तंत्र में निम्नलिखित के कार्य लिखिए :
अण्डाशय, अण्डवाहिका, गर्भाशय
भ्रूण को माँ के शरीर में पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
मानव में मादा जनन-तंत्र के निम्नलिखित अंग हैं -
(a) अंडाशय - ये संख्या में दो होती हैं तथा प्राथमिक लैंगिक अंग होते हैं। ये ग्राफ़ियन फॉलिकल में अंड/डिंब उत्पन्न करती हैं। ये लगभग 3cm x 1.5cm x 1cm आकार की होती हैं। ये उदर गुहा में वृक्क के पास स्थित होती हैं। ये एक झिल्ली के द्वारा शरीर की भित्ति के साथ लटकी होती हैं।
(b) अंडवाहिनी - 1. प्रत्येक अंडवाहिनी अंडाशय से अंड ग्रहण करती है तथा उसे गर्भाशय तक स्थानांतरिक करती है ताकि उसका रोपण हो सके।
2. अंड का निषेचन भी अंडवाहिनी नली में ही होता है
(c) गर्भाशय - यह एक बड़ा लचीला थैला होता है जिसे गर्भाशय कहते हैं। इसमें दो डिंबवाहिनी नलिकाएँ खुलती हैं। इसका नीचे वाला पतला भाग ग्रीवा कहलाता है जो योनि में खुलता है
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण एक रस्सी जैसी संरचना के साथ अपरा के माध्यम से जुड़ा होता है। अपरा गर्भाशय की भित्ति पर विकसित होता है। अपरा भ्रूण की ओर प्रवर्ध बनाता है तथा माँ के शरीर की ओर गुहाएँ, प्रवर्ध ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, ऑक्सीजन आदि के अवशोषण के लिए वृहत क्षेत्र उपलब्ध करवाता है।
मानवों में गुणसूत्रों के कितने जोड़े होते हैं? इनमें से लिंग-सूत्र के जोड़ों की संख्या क्या है? मानवों में लिंग सूत्र कितने प्रकार के होते हैं?
'किसी नवजात शिशु का लिंग, मात्र संयोग है तथा जनकों (माता-पिता) में से किसी को भी इसका उत्तरदायी नहीं माना जा सकता है।' इस कथन की पुष्टि किसी नवजात शिशु के लिंग निर्धारण की प्रक्रिया को दर्शाने वाले प्रवाह आरेख को खींचकर कीजिये।
गुणसूत्रों के 23 जोड़े मनुष्य में मौजूद हैं। इनमें से एक जोड़ी सेक्स क्रोमोसोम है।
मानव में दो प्रकार के लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं: X और Y। पुरुष में एक X गुणसूत्र और एक Y गुणसूत्र (XY,XX) होता है, जबकि महिलाओं में X गुणसूत्रों (XX) की दो प्रतियां होती हैं।शुक्राणु में X या Y गुणसूत्र होते हैं।
पुरुष स्त्री
यौन-क्रिया गुणसूत्र XY × XX
↓ ↓
युग्मक का उत्पादन करना X और Y X और X
युग्मक का विलय XX स्त्री और XY पुरुष
इस प्रकार, अंडे के साथ X या Y गुणसूत्र के संलयन की समान संभावना है इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि नवजात शिशु के लिंग मौके का मामला है और इसके लिए माता-पिता कोई भी जिम्मेदार नहीं है।
उस अलैंगिक जनन को क्या कहते हैं जिसमें एक जनन कोशिका से दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं और जनन कोशिका का अस्तित्त्व समाप्त हो जाता है? इस प्रकार के जनन के पहले और अंतिम चरण के चित्र खींचिए। यह जनन किस परिघटना के साथ आरम्भ होता है।
द्विचर विखंडन एक प्रकार का प्रजनन है जिसमें दो व्यक्ति एक एकल माता-पिता से बनते हैं इस प्रक्रिया में, माता पिता की पहचान खो जाती है।
इस प्रकार का प्रजनन कार्योकीनेसिस (नाभिक का एक विभाजन) से शुरू होता है।
अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन के बीच एक अन्तर लिखिए । अलैंगिक जनन करने वाली अथवा लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज में से किसके द्वारा जनित स्पीशीज की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक-संयोग-हो सकते? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए ।
अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction) |
लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction) |
अलैगिक जनन मे लिंगों का योगदान नही होता। | लैगिक जनन मे दो विपरीत लिंग योगदान करते है |
अलैगिक जनन मे युग्मक नही बनते | लैगिक जनन मे नर और मादा युग्मक बनते है |
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