वसंत, भाग – 2 Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ
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    NCERT Solution For Class 7 Hindi वसंत, भाग – 2

    हिमालय की बेटियाँ Here is the CBSE Hindi Chapter 3 for Class 7 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 7 Hindi हिमालय की बेटियाँ Chapter 3 NCERT Solutions for Class 7 Hindi हिमालय की बेटियाँ Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 7 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN7000297

    नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं ?

    Solution

    लेखक नदियों को माँ मानने की परपंरा से पहले इन नदियों को स्त्री के सभी रूपों में देखता है जिसमें वो उसे बेटी के समान प्रतीत होती है। इसलिए तो लेखक नदियों को हिमालय की बेटी कहता है। कभी वह इन्हें प्रेयसी की भांति प्रेममयी कहता है, जिस तरह से एक प्रेयसी अपने प्रियतम से मिलने के लिए आतुर है उसी तरह ये नदियाँ सागर से मिलने को आतुर होती हैं, तो कभी लेखक को उसमें ममता के स्वरूप में बहन के समान प्रतीत होती है जिसके सम्मान में वो हमेशा हाथ जोड़े शीश झुकाए खड़ा रहता है।

    Question 2
    CBSEENHN7000298

    सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?

    Solution

    इनकी विशेषताएँ इस प्रकार है:-

    (i) सिंधु और ब्रह्मपुत्र ये दोनों ही महानदी हैं।

    (ii) इन दोनों महानदियों में सारी नदियों का संगम होता है।

    (iii) ये भौगोलिक व प्राकृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण नदियाँ हैं। ये डेल्टाफार्म करने के लिए, मत्सय पालन, चावल की फसल व जल स्रोत का उत्तम साधन है।

    (iv) ये दोनों ही पौराणिक नदियों के रूप में विशेष पूज्यनीय व महत्वपूर्ण हैं।

    Question 3
    CBSEENHN7000299

    काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?

    Solution

    नदियों को लोकमाता कहने के पीछे काका कालेलकर का नदियों के प्रति सम्मान है। क्योंकि ये नदियाँ हमारा आरम्भिक काल से ही माँ की भांति भरण-पोषण करती आ रही है। ये हमें पीने के लिए पानी देती है तो दूसरी तरफ इसके द्वारा लाई गई ऊपजाऊ मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी होती है। ये मछली पालन में भी बहुत उपयोगी है अर्थात्‌ ये नदियाँ सदियों से हमारी जीविका का साधन रही है। हिन्दू धर्म में तो ये नदियाँ पौराणिक आधार पर भी विशेष पूजनीय है। हिन्दु धर्म में तो जीवन की अन्तिम यात्रा भी इन्हीं से मिलकर समाप्त हो जाती है। इसलिए ये हमारे लिए माता के समान है जो सबका कल्याण ही करती है।

    Question 4
    CBSEENHN7000300

    हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?

    Solution

    लेखक ने हिमालय यात्रा में निम्नलिखित की प्रशंसा की है –

    (i) हिमालय की अनुपम छटां की।

    (ii) हिमालय से निकले वाली नदियों की अठखेलियों की।

    (iii) उसकी बरफ़ से ढकी पहाड़ियों की सुदंरता की।

    (iv) पेड़-पौधों से भरी घाटियों की।

    (v) देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफैदा, कैल से भरे जंगलों की।

    Question 5
    CBSEENHN7000301

    निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-

    (क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।

    (ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।

    • पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूँढ़िए।

    Solution

    (i)

    संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।

    (ii)

    जितना की इन बेटियों की बाल लीला देखकर।

    (iii)

    बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेल करती हैं।

    (iv)

    हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।

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