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अनुमानित शब्द अनुमान में इतप्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
प्रमाणित |
व्यथित |
द्रवित |
मुखरित |
झंकृत |
शिक्षित |
मोहित |
चर्चित |
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे- सप्ताह+इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक |
संवैधानिक |
प्राथमिक |
नैतिक |
पौराणिक |
दैनिक |
शब्द |
प्रत्यय |
प्रमाणित – |
प्रमाण + इत |
व्यथित – |
व्यथा + इत |
द्रवित – |
द्रव + इत |
मुखरित – |
मुखर + इत |
झंकृत – |
झंकार + इत |
शिक्षित – |
शिक्षा + इत |
मेहित – |
मोह + इत |
चर्चित – |
चर्चा + इत |
शब्द |
प्रत्यय |
मौखिक – |
मुख + इक |
संवैधानिक – |
संविधान + इक |
प्राथमिक – |
प्रथम + इक |
नैतिक – |
नीति + इक |
पौराणिक – |
पुराण + इक |
दैनिक – |
दिन + इक |
हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गाँधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार – छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
गाँधी जी के मन में आश्रम के प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी बनाने की बात रही होगी क्योंकि जिन औज़ारों का ज़िक्र किया गया है, वे बढ़ई के कार्य अर्थात् लकड़ी का सामान बनाने के काम में आता है। गाँधी जी अहमदाबाद में एक आश्रम खोलने का प्रयास कर रहे थे। वे चाहते थे कि आश्रम में सारा काम आश्रम के लोग स्वयं ही करें। इसके लिए वह औज़ारों की एक सूची तैयार कर रहे थे। ताकि आश्रम में रहकर ही उसकी ज़रूरतों का सामान स्वयं बनाया जा सके, आश्रम व उसके लोग स्वयं की ज़रूरतों के लिए किसी कारीगर पर निर्भर ना रहें।
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
पुताई, घर बनाना, दूध दुहना आदि कार्य कठिन होते हैं। अतः इन्हें सीखना कठिन है।
मोटर साइकिल चलाना, कम्प्यूटर पर काम करना तथा कार चलाने का कार्य करना चाहेंगे।
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
(i) गाँधी जी आश्रम के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे।
(ii) वह आश्रम में प्रत्येक व्यक्ति को श्रम के लिए प्रेरित करना चाहते थे।
(iii) वह इस आश्रम को भी स्वावलम्बी बनाना चाहते थे।
बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
(i) |
युद्ध क्षेत्र |
युद्ध का मैदान |
(ii) |
राजकुमार |
राजा का कुमार |
(iii) |
पवनचक्की |
पवन से चलने वाली चक्की |
(iv) |
रसोईघर |
रसोई का घर |
(v) |
प्रधानमंत्री |
मंत्रियों का प्रधान |
(vi) |
हवाई जहाज़ |
हवा में उड़नेवाला जहाज़ |
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