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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Bhag 3 Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
  • NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Here is the CBSE Hindi Chapter 5 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Chapter 5 NCERT Solutions for Class 8 Hindi चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2023-24. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8000597

    पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?

    Solution
    पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. का संदेश नहीं दे सकता, क्योंकि पत्रों का अस्तित्व स्थाई होता है; उनमें मानवीय प्रेम व लगाव का समावेश रहता है। पत्रों को हम सहेज भी सकते हैं लेकिन फोन पर की गई बात अस्थाई होती है। एस.एम.एस से संदेश सीमित शब्दों में भेजे जाते हैं। पत्र भावना प्रधान हैं व शिक्षाप्रद होते हैं। अमिट यादें उनके साथ जुड़ी होती हैं। पत्रों को एकत्रित करके पुस्तक का रूप भी दिया जा सकता है जबकि फोन या एस.एम.एस. मैं ऐसा नहीं होता। संदेश भेजने का सस्ता साधन भी पत्र ही हैं।
    Question 26
    CBSEENHN8000622

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों में अनूठी भूमिका निभाई है।

    ‘पत्र’ से आप क्या समझते हैं?

    • लिखित प्रारूप
    • एक पुस्तक
    • समाचार-पत्र
    • पोस्टकार्ड

    Easy
    Question 27
    CBSEENHN8000623

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों में अनूठी भूमिका निभाई है।

    आधुनिक संचार के साधन पत्रों का मुकाबला क्यों नहीं करते?
    • अस्थायी होते हैं
    • पूर्ण गोपनीय नहीं होते
    • पूरी तरह से भावनाओं को उजागर नहीं करते
    • दिए गए सभी

    Easy
    Question 28
    CBSEENHN8000624

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों में अनूठी भूमिका निभाई है।

    कौन-कौन से क्षेत्र पत्रों पर ही निर्भर हैं?
    • भौतिकी, रसायन व जीवविज्ञान
    • अर्थशास्त्रीय
    • राजनीति, साहित्य व कला
    • इनमें से कोई नहीं

    Easy
    Question 29
    CBSEENHN8000625

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों में अनूठी भूमिका निभाई है।

    पत्रों की क्या विशेषता होती है?
    • ये सुंदर होते हैं।
    • ये लिखित और स्थायी होते हैं।
    • ये किसी एक विशेष के लिए होते हैं।

    • ये आसानी से पहुँचाए जा सकते हैं।

    Easy
    Question 30
    CBSEENHN8000626

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों में अनूठी भूमिका निभाई है।

    मानव सभ्यता के विकास में पत्रों ने अनुठी भूमिका कैसे निभाई है?
    • पत्र संदेशवाहक माने जाते हैं।
    • पत्रों ने ही एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी को दिया है।
    • पत्रों ने विकास का स्तर निश्चित किया है।
    • पत्रों ने विकास के स्तर को बढ़ाया है।

    Easy
    Question 31
    CBSEENHN8000627

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु- वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पार देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल. टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने का प्रयास क्या किया गया है?

    • ताकि पत्र नए तरीके से लिखे जाएँ।
    • ताकि पत्रों का नया रूप लोगों के समक्ष आए।
    • ताकि पत्र लिखने की विधा नए संचार साधनो में समाप्त न हो जाए।
    • ताकि लोग पत्र लिखना भूल न जाएँ।

    Easy
    Question 32
    CBSEENHN8000628

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु- वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पार देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल. टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    पत्र संस्कृति के विकास हेतु क्या-क्या कदम उठाए गए हैं?

    • पत्रों के आकार में परिवर्तन किया गया है।
    • पत्रो को पहुँचाने का माध्यम समयानुसार बदला जाता है।
    • इन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है साथ ही विश्व डाक संघ इसे बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कदम उठाता है।
    • उपर्युक्त सभी।

    Easy
    Question 33
    CBSEENHN8000629

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु- वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पार देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल. टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    देहाती दुनिया आज भी पत्रों पर क्यों चलती है?
    • क्योंकि वे लोग नवीनीकरण नहीं चाहते।
    • क्योंकि वे नवीन साधनों से परिचित नहीं।
    • क्योंकि नवीन साधन उन तक पहुँचे नहीं।
    • क्योंकि वे शहरों से कटे हुए हैं।

    Easy
    Question 34
    CBSEENHN8000630

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु- वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पार देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल. टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    चिट्ठियों की तेजी को किसने रोका है?
    • नवीन संचार साधनों ने (ई मेल, फैक्स, टेलीफोन व मोबाइल आदि)
    • सरकार ने
    • विदेशी सभ्यता ने
    • लोगों की सोच ने

    Easy
    Question 35
    CBSEENHN8000631

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु- वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पार देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल. टेलीफोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    किस क्षेत्र में डाक चिट्ठियों का चलन सबसे अधिक है?
    • राजनैतिक क्षेत्र में
    • व्यापारिक क्षेत्र में
    • सामाजिक क्षेत्र में
    • धार्मिक क्षेत्र में

    Easy
    Question 36
    CBSEENHN8000632

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।

    सभी के मन में पत्रों की उत्सुकता क्यों बनी रहती है?

    • क्योंकि हर कोई कुछ नया पढ़ना चाहता है।
    • क्योंकि हर कोई डाक संचार के साधनों से परिचित होना चाहता है।
    • क्योंकि हर कोई अपने रिश्ते-नातों के सुख-दुख के संदेश पाना चाहता है।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Easy
    Question 37
    CBSEENHN8000633

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।

    सैनिक पत्रों का इतंजार क्यों करते हैं?
    • ताकि वे पत्र को बार-बार पढ़कर मन बहला सके।
    • क्योंकि घर का समाचार पाने हेतु कई इलाकों में फोन या ई-मेल की सुविधा नहीं है।
    • घर के सभी समाचारों की जानकारी विस्तृत रूप में ले सके।
    • उपर्युक्त सभी।

    Easy
    Question 38
    CBSEENHN8000634

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।

    अब पत्रों का इतंजार महीनों क्यों नहीं करना पड़ता?
    • संचार के साधन अधिक होने के कारण।
    • यातायात के साधन सुलभ व तेज होने के कारण।
    • पत्रों का प्रचलन कम होने के कारण।
    • डाकियों की संख्या बढ़ जाने के कारण।

    Easy
    Question 39
    CBSEENHN8000635

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।

    आज संचार के कौन-कौन से साधन विकसित हो चुके हैं?
    • फोन, ई-मेल, फैक्स, मोबाइल
    • फोन, टी.वी, फैक्स, मोबाइल
    • फोन, ई-मेल, कंप्यूटर, फैक्स
    • फोन, ई-मेल, समाचार-पत्र, फैक्स

    Easy
    Question 40
    CBSEENHN8000636

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।

    संचार का स्थायी साधन कौन-सा है?
    • एस.एम.एस.
    • फैक्स
    • पत्र
    • ई -मेल

    Easy
    Question 41
    CBSEENHN8000637

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आज़ादी के आदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गांधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाव देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते है। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं। 

    महात्मा गाँधी को पत्र किस नाम से आते थे?

    • ‘महात्मा’
    • ‘महात्मा गाँधी’
    • ‘करम चंद गाँधी’
    • ‘महात्मा गाँधी- इंडिया’

    Easy
    Question 42
    CBSEENHN8000638

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आज़ादी के आदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गांधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाव देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते है। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं। 

    गाँधीजी पत्रों का जवाब कैसे देते थे?
    • अपने कार्यकर्ताओं से लिखवाकर
    • अपने हाथ से लिखकर
    • टंकन (टाइप) विधि द्वारा
    • फोन पर

    Easy
    Question 43
    CBSEENHN8000639

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आज़ादी के आदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गांधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाव देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते है। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं। 

    गाँधीजी द्वारा लिखे पत्रों को लोग प्रशस्ति पत्र क्यों मानते थे?
    • क्योंकि उन्हें गाँधीजी के हाथ से लिखे पत्रों को पढ़कर संतुष्टि मिलती थी।
    • क्योंकि वे गाँधीजी के प्रेम को समझ पाते थे।
    • क्योंकि उन पत्रों में गांधीजी उनकी प्रशंसा करते थे।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Easy
    Question 44
    CBSEENHN8000640

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आज़ादी के आदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गांधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाव देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते है। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं। 

    लोग गाँधीजी के पत्रों को फ्रेम करवाकर क्यों रखते थे?


    • क्योंकि वे चाहते थे कि पत्र कभी खराब न हो।
    • एक यादगार के रूप में
    • क्योंकि वे उन्हें अमूल्य मानते थे।
    • दुसरे लोगों को दिखाने के लिए।

    Easy
    Question 45
    CBSEENHN8000641

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आज़ादी के आदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गांधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाव देते थे। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। महात्मा गांधी ही नहीं आदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते है। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं। 

    लिखित कार्य करने में गांधीजी की क्या विशेषता थी?

    • वे बहुत गंदा लिखते थे।
    • वे जब दाएँ हाथ से लिखते-लिखते थक जाते तो बाएँ हाथ से लिखने लगते।
    • वे बहुत साफ और स्पष्ट लिखते थे।
    • वे लोगों की इच्छानुसार लिखते थे।

    Easy
    Question 46
    CBSEENHN8000642

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।

    सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा गुडविल (साख) किस विभाग की है?
    • कर विभाग की
    • डाक विभाग की
    • पूछताछ विभाग की
    • इनमें से कोई नहीं।

    Easy
    Question 47
    CBSEENHN8000643

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।

    डाक विभाग की क्या विशेषता है?
    • लोगों को जोड़ने का कार्य करते हैं।
    • घर-घर तक इसकी पहुँच है।
    • हर व्यक्ति इस संचार साधन से परिचित है।
    • दिए गए सभी।

    Easy
    Question 48
    CBSEENHN8000644

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।

    मनीआर्डर क्या होता है?
    • धन का आर्डर करना
    • किसी स्थान से धन पा जाना
    • डाकघर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर डाकिए द्वारा धन भेजना
    • धन देकर पत्र छुड़ाना।

    Easy
    Question 49
    CBSEENHN8000645

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।

    डाकिए का क्या नाम दिया जाता है?
    • संदेशवाहक
    • देवदूत
    • देवव्रत
    • अन्य

    Easy
    Question 50
    CBSEENHN8000646

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।

    डाकिए को देवदूत मानने का कारण क्या है?
    • क्योंकि वह लोगों के लिए अच्छे-अच्छे तोहफे लाता है।
    • क्योंकि वह ईश्वर के दूत की भाँति अच्छे-बुरे संदेश लाता है।
    • क्योंकि यह स्वर्गलोक से आता है।
    • क्योकि वह दुख का समाचार देने से भी नहीं कतरता।

    Easy