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NCERT Solutions for Class 10 Hindi क्षितिज भाग २ Chapter 14 मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी

मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी Here is the CBSE Hindi Chapter 14 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी Chapter 14 NCERT Solutions for Class 10 Hindi मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी Chapter 14 The following is a summary in Hindi and English for the academic year

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Question 1
CBSEENHN100018871

निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]

(क) पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी की माँ के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) “नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘लखनवी अंदाज’ के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए।
(घ) फादर बुल्के को ‘करुणा की दिखा चमक’ क्यों कहा गया है।
(ङ) लेखक ने बिस्मिल्ला खाँ को वास्तविक अर्थों में सच्चा इंसान क्यों माना है?

Solution

(क) लेखिका मन्नू भंडारी की माँ का स्वभाव पिता से विपरीत था। वह धैर्यवान व सहनशक्ति से युक्त महिला थी। पिता की हर फरमाइश को अपना कर्तव्य समझना व बच्चों की हर उचित अनुचित माँगों को पूरा करना ही अपना फर्ज समझती थी। अशिक्षित माँ का त्याग, असहाय व मजबूरी में लिपटा हुआ था।

(ख) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में देश भक्ति की भावना का भावुक व सम्मानीय रूप दिखायी देता है। कैप्टन चश्मे वाले की मूर्ति पर चश्मा लगाना व उसकी मृत्यु के पश्चात् बच्चों द्वारा हाथ से बनाया गया सरकंडे का चश्मा लगाना हमें यह संदेश देता है कि हर व्यक्ति को अपने देश के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार व समर्पण की भावना के साथ योगदान देना चाहिए। वर्तमान समय में ऐसी भावना को होना अत्यन्त आवश्यक है।

(ग) नवाब साहब के व्यवहार में तहजीब, नजाकत और दिखावेपने की प्रवृत्ति झलकती है। वह स्वयं को दूसरों से अधिक शिष्ट व शालीन दिखाना चाहते हैं। खीरे की गंध को ग्रहण कर स्वाद का आनन्द लेकर बाहर फेंक देना हास्यास्पद लगता है। वह अपनी खानदानी नवाबी और दिखावटी जीवनशैली द्वारा स्वयं को गर्वित महसूस करते हैं।

(घ) फादर बुल्के मानवीय गुणों का पर्याय बन चुके थे। सभी के प्रति ममता करुणा, प्रेम का अपनत्व आदि जैसे भाव उनकी छवि को दिव्यता प्रदान करते थे। वे सभी के साथ हंसी-मजाक करते गोष्ठियों में गंभीर बहस करते बेबाक राय व सुझाव देते थे। किसी भी उत्सव या संस्कार में बुजुर्गों की तरह आशीषों से भर देते थे। वास्तव में उनके हृदय में हमेशा दूसरों के लिए वात्सल्य ही रहता था जिसकी चमक उनकी आँखों में दिखती थी। इसलिए फादर बुल्के को मानवीय गुणों को दिव्य चमक कहा गया है।

(ङ) बिस्मिल्ला खाँ का जीवन सादगी और उच्च विचारों से परिपूर्ण था। एक तरफ वे सच्चे मुसलमान की तरह पाँचों वक्त की नवाज अदा करते थे, दूसरी तरफ काशी की परम्परा को निभाते हुए बालाजी मंदिर में शहनाई वादन करते थे। गंगा को गंगा मइया कहकर पुकारते थे। अथक परिश्रम करते हुए सम्मानित होकर भी उनमें घमंड नहीं था। सभी की भावना का सम्मान करना, प्रेम, परोपकार आदि गुणों से सराबोर होकर सादा व सरल जीवन जीते थे। हिन्दू-मुस्लिम की एकता का प्रतीक बनकर खुदा से बस सच्चा सुर माँगते थे इन्हीं कारणों से कहा जा सकता है कि वास्तविक अर्थों में वह सच्चे इंसान थे।

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