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NCERT Solutions for Class 10 गणित कृतिका भाग २ Chapter 3 साना साना हाथ जोड़ि..

साना साना हाथ जोड़ि.. Here is the CBSE गणित Chapter 3 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 गणित साना साना हाथ जोड़ि.. Chapter 3 NCERT Solutions for Class 10 गणित साना साना हाथ जोड़ि.. Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2025-26. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 गणित.

Question 1
CBSEENHN100018873

‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर लिखिए कि देश की सीमा पर सैनिक किस प्रकार की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति भारतीय युवकों का क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए? [4]

अथवा

‘जार्ज पंचम की नाक’ को लेकर शासन में खलवली क्यों थीं? इसमें निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

Solution

देश की सीमा पर सैनिक प्रकृति के भयावह प्रकोप को सामना करते हैं जो जन-सामान्य के लिए कठिन है। वे जाड़ों में जब तापमान शून्य से भी कम चला जाता है तब भी सीमा में डटे रहकर देश की रक्षा करते हैं और तपते रेगिस्तान में धूल-आँधियों से भरे तूफानों में रहकर भी कठिनाइयों से जूझते हैं। भूखे-प्यासे कभी-कभी शत्रुओं से सामना करते हैं। और आवश्यकता पड़ने पर शहीद भी हो जाते हैं।

उनके प्रति भारतीय युवाओं का उत्तरदायित्व यह बनता है। कि सभी फौजियों व उनके परिवारजनों का सम्मान करें व आत्मीय सम्बन्ध बनाए रखें। सामर्थ्य के अनुसार हर प्रकार से सहायता प्रदान करें। उनके जोश को और बढ़ाएँ। उनके परिवारजनों की शिक्षा प्राप्ति में सहायक बनें उनके फर्ज को ऋण के रूप में स्वीकारते हुए हमेशा उन्हें सम्माननीय दृष्टि से देखें ।

अथवा

जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर शासन में जो खलबली और बदहवासी दर्शाता है इससे संकेत मिलता है कि आज हम स्वतन्त्र देश में गुलामों की तरह जी रहे हैं। गुलामी आज भी हमारी मानसिकता पर अपनी छाप बनाए हुए हैं। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर चिंतित दिखाई दे रही है जिसने हमारे भारत पर राज करते हुए कहर ढाए। उसके द्वारा किये गये अत्याचारों को भूलकर उसके सम्मान में जुट जाता है। ये तो मूर्खता, अयोग्यता और अदूरदर्शिता को दर्शा रहा है। परतंत्रता की मानसिकता से अब भी मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। अतिथि का सम्मान करने के लिए अपने सम्मान को दाब पर लगाना कहाँ तक तर्कसंगत हो सकता है। वे केवल अपनी नाक बचाना चाहते थे। अपने देश व देशवासियों को महत्व न देकर जॉर्ज पंचम की नाक को इतना महत्व देना, उनकी नीच, क्रुर, स्वार्थी तथा संकुचित सोच का परिणाम है।

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