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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
अकसर जब मैं एक जलसे से दूसरे जलसे में जाता होता, और इस तरह चक्कर काटता रहता होता था, तो इन जलसों में मैं अपने सुननेवालों से अपने इस हिन्दुस्तान या भारत की चर्चा करता। भारत एक संस्कृत शब्द है और इस जाति के परंपरागत संस्थापक के नाम से निकला हुआ है। मैं शहरों में ऐसे बहुत कम करता, क्यो ‘कि वहाँ वेन सुनने वाले कुछ ज्यादा सयाने थे और उन्हें दूसरे ही किस्म की गिजा की जरूरत थी। लेकिन किसानों से, जिनका नजरिया महदूद था, मैं इस बड़े देश की चर्चा करता, जिसकी आजादी के लिए हम लोग कोशिश कर रहे थे और बताता कि किस तरह देश का एक हिस्सा दूसरे से जुदा होते हुए भी हिन्दुस्तान एक था।
1. कौन, कब, किसकी चर्चा करता था?
2. ‘भारत’ शब्द के बारे में क्या बताया गया है?
3. किसानों की दशा क्या थी? उन्हें क्या बताने की कोशिश की जाती थी?
1. पंडित जवाहरलाल नेहरू जब एक जलसे से दूसरे जलसे में जाते थे तब वे अपने सुनने वालों से हिन्दुस्तान या भारत की चर्चा करते थे।
2. ‘भारत’ शब्द संस्कृत का शब्द है और यह इस जाति के परंपरागत संस्थापक के नाम से निकला है।
3. किसानों का दृष्टिकोण सीमित था। उनसे देश के बारे में चर्चा करके हिन्दुस्तान के दूसरे हिस्सों के बारे में बताना जरूरी था। सभा लोग मिल-जुलकर आजादी पाने की कोशिश कर रहे थे।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कभी ऐसा भी होता है कि जब मैं किसी जलसे में पहुंचता, तो मेरा स्वागत ‘भारतमाता की जय!’ इस नारे से जोर के साथ किया जाता। मैं लोगों से अचानक पूछ बैठता कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारतमाता कौन है, जिसकी वे जय चाहते हैं। मेरे सवाल से उन्हें कुतूहल और ताज्जुब होता और कुछ जवाब न बन पड़ने पर वे एक-दूसरे की तरफ या मेरी -तरफ देखने लग जाते। मैं सवाल करता ही रहता। आखिर एक हट्टे-कट्टे जाट ने, जो अनगिनत से किसानी करता आया था, जवाब दिया कि भारतमाता से उनका मतलब धरती से है। कौन-सी धरती? खास उनके गांव की धरती या जिले की या सूबे की या सारे हिंदुस्तान की धरती से उनका मतलब है? इस तरह सवाल-जवाब चलते रहते, यहां तक कि वे ऊबकर मुझसे कहने लगते कि मैं ही बताऊँ। मैं इसकी कोशिश करता और बताता कि हिन्दुस्तान वह सब कुछ है, जिसे उन्होंने समझ रखा है, लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है। हिन्दुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत, जो हमें अन्न देते हैं, ये सभी हमें अजीज हैं। लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिन्दुस्तान के लोग, उनके और मेरे जैसे लोग, जो इस सारे देश में फैले हुए हैं। भारतमाता दरअसल यही करोड़ों लोग हैं, और ‘भारतमाता की जय!’ से मतलब हुआ इन लोगों की जय का।
1. कभी-कभी क्या होता था? लेखक उनसे क्या पूछता था?
2. किसने लेखक के प्रश्न का क्या उत्तर दिया?
3. लेखक ने उन्हें क्या समझाया?
1. कभी-कभी ऐसा होता था कि जब लेखक (नेहरू जी) किसी जलसे में पहुँचता तब लोग उनके स्वागत में नारा लगाते ‘भारतमाता की जय’। लेखक नारा लगाने वालों से इसका मतलब पूछता था।
2. लेखक का प्रश्न सुनकर ग्रामीणों, किसानों को आश्चर्य होता था। वे उत्तर के लिए एक-दूसरे का मुँह ताकते थे। फिर भी एक हट्टे-कट्टे जाट ने उत्तर दिया- भारत से उनका मतलब धरती से है।
3. लेखक उन्हें समझाता था कि भारत के सारे लोग मिलकर ही भारतमाता हैं। हिन्दुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत मिलकर भारतमाता का स्वरूप बनाते हैं। हिन्दुस्तान के लोग सारे भारत में फैले हुए हैं।
भारत की चर्चा नेहरू कम और किससे करते थे?
नेहरू जी जब एक जलसे से दूसरे जलसे में जाते थे और इस तरह चक्कर काटते रहते थे तभी वे इन जलसों में श्रोताओं के सामने अपने हिन्दुस्तान या भारत की चर्चा करते थे। वे बताते थे कि ‘भारत’ शब्द संस्कृत का है और इस जाति के परंपरागत संस्थापक के नाम से निकला है। वे किसानों के नजरिए को बदलने और उसे व्यापक बनाने की कोशिश करते थे।
नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे?
नेहरू जी भारत के सभी किसानों से यह प्रश्न बार-बार करते थे कि वे ‘भारतमाता की जय’ से क्या समझते हैं? यह भारतामा कौन है? जब वे धरती को भारतमाता बताते तो नेहरूजी उनसे प्रश्न करते कि कौन-सी धरती? खास उनके गाँव की धरती या जिले या सूबे की या सारे हिन्दुस्तान की, धरती से उनका मतलब क्या है? वे इसी प्रकार के प्रश्न बार-बार किसानों से करते रहते थे।
दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू बी के लिए क्यों आसान था?
दुनिया के बारे में किसानों को बताना इसलिए आसान था क्योंकि वे पुराने महाकाव्यों और पुराणों की कथा-कहानियों से भली- भाँति परिचित थे। इसी से नेहरू जी ने देश की कल्पना करा दी। कुछ ऐसे लोग भी मिल जाते जिन्होंने बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रा कर रखी थी, जो हिन्दुस्तान के चारों कोनों पर हैं। उन्हें कुछ पुराने सिपाही भी मिल जाते थे, जिन्होंने बड़ी जग या धावों में विदेशी नौकरियाँ की थीं। सन् 1930 के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजह से दूसरे मुल्कों के बारे में नेहरू जी के हवाले उनकी समझ में आ जाते थे।
किसान सामान्यत: भारतमाता का क्या अर्थ लेते थे?
किसान सामान्यत: भारतामाता का अर्थ धरती से लेते थे। वे धरती को ही भारतमाता समझते थे। वैसे स्पष्ट रूप से वे भारतमाता का अर्थ बता नहीं पाते थे।
आजादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?
आजादी से पूर्व किसानों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था-
- गरीबी की समस्या।
- कर्जदारी की समस्या।
- पूँजीपतियों के शिकंजे की समस्या।
- जमींदारों द्वारा उत्पन्न समस्या।
- महाजनों द्वारा लूटने की समस्या।
- कड़े लगान की समस्या।
- पुलिस अत्याचारों की समस्या।
आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के क्या सपने थे? आजादी के बाद वे साकार हुए? चर्चा कीजिए।
आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू जी के सपने ये थे-
- भारत मैं किसानों की सभी समस्याओं का अंत हो जाएगा।
- भारत की चहुँमुखी उन्नति होगा।
- भारत आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो जाएगा।
- भारत में औद्योगिक विकास चरम सीमा पर होगा।
- भारत से गरीबी मिट जाएगी।
उपर्युक्त सभी सपने पूरे तौ नहीं हुए, पर उनको साकार करने को दिशा में भारत आगे अवश्य बढ़ा है। ये सपने अवश्य पूरे होंगे।
भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं? चर्चा कीजिए।
भारत के विकास को लेकर हम ये सपने देखते हैं-
(i) भारत में बेरोजगारी की समस्या पर काबू पा लिया जाएगा।
(ii) भारत में शिक्षा पाने का सभी को अवसर मिलेगा।
(iii) भारत की औद्योगिक एवं कृषि क्षेत्र में उन्नति होगी।
(iv) भारत 2020 तक विकसित राष्ट्र बन जाएगा।
(v) भारत सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
आपकी दृष्टि में भारतमाता और हिन्दुस्तान की क्या संकल्पना है? बताइए।
हमारी दृष्टि में भारतमाता और हिन्दुस्तान की संकल्पना यह है। सारे देश के लोग और इसका प्राकृतिक वातावरण मिलकर भारतमाता का स्वरूप निर्मित करते है। इस भारतमाता का मुकुट हिमालय है तथा हरियाली इसके वस्त्र हैं। इसके चरणों को सागर पखारता है। हिन्दुस्तान में सभी धर्मों, संप्रदायों, जातियों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। वे भारत को सर्वोच्च मानते हैं।
वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? चर्चा कर लिखिए।
वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में परिवर्तन आया तो अवश्य है, पर यह अपेक्षा से बहुत कम है। किसान पूरा साल खेतों में परिश्रम करता है, फिर भी कठिनाई भरा जीवन जीने को विवश है। वह अन्नदाता है, फिर भी भूखा है। किसानों का एक वर्ग जरूर संपन्न बन गया है और उसके पास सुख-सुविधा के साध उपलब्ध है, पर अधिकतर किसान अभी भी गरीबी का जीवन जी रहे हैं। उनकी फसल बर्बाद हो जाती है।
आजादी से पूर्व अनेक नारे प्रचलित थे। किन्हीं दस नारों का संकलन करें और संदर्भ भी लिखें।
-कुछ प्रमुख नारे-
1. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।
- ( नेताजी सुभाष चद्रं बोस)
2. दिल्ली चलो।
- ( नेताजी सुभाष चंद्र बोस)
3. स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।
- (तिलक)
4. भारतमाता की जय।
5. अंग्रेजो भारत छोड़ो।
6. विदेशी माल का बहिष्कार करो।- (1942 का आदोलन)
नीचे दिए गए वाक्यों का पाठ के संदर्भ में अर्थ लिखिए-
दक्खिन, पच्छिम, यक-सा, एक जुज, ढढ्ढे
दक्खिन - दक्षिण
पच्छिम - पश्चिम
यक-सा - एक समान
एक जुज - एक खंड, भाग
ढढ्ढे - बोझ।
नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण-रूप लिखिए-
आजादी, चमक, हिन्दुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत।
आजादी - आजाद चमक - चमकीला
हिन्दुस्तान - हिन्दुस्तानी विदेश - विदेशी
सरकार - सरकारी यात्रा - यात्री
पुराण - पौराणिक भारत - भारतीय
लोगों की अस्त्रों में कब चमक आ जाती थी?
नेहरू जी जब भारत के लोगों से यह कहते थे कि तुम इस भारतमाता के अंश हो, एक तरह से तुम ही भारतमाता हो, और जैसे-जैसे ये विचार उनके मन में बैठते, उनकी आँखों में चमक आ जाती, इस तरह, मानो उन्होंने कोई बड़ी खीज कर ली हो।
लेखक गांव के लोगों को क्या-क्या बातें बताता था? वे बातें उनकी समझ में कैसे आ जाती थी?
लेखक लोगों के सामने मध्य यूरोप, मिस्त्र और पश्चिमी एशिया में होने वाले कशमकशों का जिक्र भी ले आता। मैं उन्हें सोवियत यूनियन में होने वाली अचरज- भरी तब्दीलियों का हाल भी बताता और कहता कि अमरीका ने कैसी तरक्की की है। यह काम आसान न था, लेकिन जैसा मैंने समझ रखा था, वैसा मुश्किल भी न था। इसकी वजह यह थी कि हमारे पुराने महाकाव्यों ने और पुराणों की कथा-कहानियों ने, जिन्हें वे खूब जानते थे, उन्हें इस देश की कल्पना करा दी थी, और हमेशा कुछ लोग ऐसे मिल जाते थे, जिन्होंने हमारे बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रा कर रखी थी, जो हिन्दुस्तान के चारों कोनों पर हैं। या हमें पुराने सिपाही मिल जाते, जिन्होंने पिछली बड़ी जंग में या और धावों के सिलसिले में विदेशों में नौकरियाँ की थीं। सन् तीस के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजह से दूसरे मुल्कों के बारे में मेरे हवाले उनकी समझ में आ जाते थे।
लेखक कहां की यात्रा का हाल लोगों को बताता था और क्यों?
लेखक लोगों को उत्तर-पश्चिम में खैबर के दर्रे से लेकर धुर दक्खिन में कन्याकुमारी तक की अपनी यात्रा का हाल बताता और यह कहता कि सभी जगह किसान मुझसे एक-से सवाल करते, क्योंकि उनकी तकलीफें एक-सी- थीं यानी गरीबी, कर्जदारों, पूँजीपतियों के शिकंजे, जमींदार, महाजन, कड़े लगान और सूद, पुलिस के जुल्म और ये सभी बातें गुँथी हुई थीं, उसे ढढ्ढे के साथ, जिसे एक विदेशी सरकार ने हम पर लाद रखा था और इनसे छुटकारा भी सभी को हासिल करना था। वह इस बात की कोशिश करता कि लोग सारे हिन्दुस्तान के बारे में सोचें और कुछ हद तक इस बड़ी दुनिया के बारे में भी, जिसके हम एक जुज हैं।
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