यात्रियों के नज़रिए

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Question
CBSEHHIHSH12028284

किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखिए।

Solution

किताब-उल-हिन्द, अल-बिरूनी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। यह मौलिक रूप से अरबी भाषा में लिखा गया हैं तथा बाद में यह विश्व की कई प्रमुख भाषाओं में भी अनुवादित किया गया। 
यह एक विस्तृत ग्रंथ है जो धर्म और दर्शन, त्योहारों, खगोल-विज्ञान, कीमिया, रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं, सामाजिक-जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों के आधार पर 80 अध्यायों में विभाजित है। भाषा की दृष्टि से लेखक ने इससे सरल व स्पष्ट बनाने का प्रयास किया हैं। 
अल-बिरूनी ने प्रत्येक अध्याय में सामान्यत: (हालाँकि हमेशा नहीं) एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया हैं। वह प्रत्येक अध्याय को एक प्रश्न से प्रारम्भ करता हैं, इसके बाद संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन हैं और अंत में अन्य संस्कृतियों के साथ एक तुलना की गई हैं। आज के कुछ विद्वानों का तर्क है कि अल-बिरूनी का गणित की और झुकाव था इसी कारण ही उसकी पुस्तक, जो लगभग एक ज्यामितीय संरचना हैं, बहुत ही स्पष्ट बन पड़ी हैं।

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Question
CBSEHHIHSH12028285

बर्नियर के वृतांत से उभरने वाले शहरी केंद्रों के चित्र पर चर्चा कीजिए।

Solution

बर्नियर ने मुग़ल काल के नगरों का वर्णन किया हैं। उसके अनुसार सत्रहवीं शताब्दी में जनसंख्या का लगभग पंद्रह प्रतिशत भाग नगरों में रहता था । यह औसतन उसी समय पश्चिमी यूरोप की नगरीय जनसंख्या के अनुपात से अधिक था।बर्नियर ने मुगलकालीन शहरों का उल्लेख 'शिविर नगर' के रूप में किया हैं। शिविर नगरों का अभिप्राय उन नगरों से था जो अपने अस्तित्व और बने रहने के लिए राजकीय शिविर पर निर्भर करते थे। उनका विश्वास था की ये नगर राज दरबार के आगमन के साथ अस्तित्व में आते थे और उसके चले जाने के बाद इन नगरों का आविर्भाव समाप्त हो जाता था। यह सामाजिक और आर्थिक रूप से राजकीय प्रश्रय पर आश्रित रहते थे।
बर्नियर के अनुसार उस समय सभी प्रकार के नगर अस्तित्व में थे: उत्पादन केंद्र, व्यापारिक नगर, बंदरगाह नगर, धार्मिक केंद्र, तीर्थ स्थान आदि। इनका अस्तित्व समृद्ध व्यापारिक समुदायों तथा व्यवसायिक वर्गों के अस्तित्व का सूचक है।
व्यापारी अक्सर मजबूत सामुदायिक अथवा बंधुत्व के संबंधों से जुड़े होते थे और अपनी जाति तथा व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से संगठित रहते थे।
अन्य शहरी समूहों में व्यावसायिक वर्ग जैसे चिकित्सक (हकीम अथवा वैद्य), अध्यापक (पंडित या मुल्ला), अधिवक्ता (वकील), चित्रकार, वास्तुविद, संगीतकार, सुलेखक आदि सम्मिलित थे। ये राजकीय आश्रय अथवा अन्य के संरक्षण में रहते थे।

Question
CBSEHHIHSH12028286

इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।

Solution

इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के सन्दर्भ में अनेक साक्ष्य दिए गए हैं। उसके अनुसार बाजारों में दास किसी भी अन्य वस्तु की तरह खुलेआम बेचे जाते थे और नियमित रूप से भेंटस्वरूप दिए जाते थे:

  1. जब इब्न बतूता सिंध पहुँचा तो उसने सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के लिए भेंटस्वरूप ''घोड़े, ऊँट तथा दास '' खरीदे।
  2. जब वह मुल्तान पहुँचा तो उसने गवर्नर को ''किशमिश के बादाम के साथ एक दास और घोड़ा भेंट के रूप में दिए'।
  3. इब्न बतूता बताता है कि मुहम्मद- बिन-तुगलक ने नसीरुद्दीन नामक एक धर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना प्रसन्न हुआ कि उसे ''एक लाख टके (मुद्रा) तथा दो सौ दास'' दे दिए।
  4. इब्न बतूता के अनुसार, पुरुष दास का प्रयोग घरेलू श्रम जैसे: बाग बगीचों की देखभाल, पशुओं की देखरेख, महिलाओं व पुरुषों को पालकी या डोली में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के लिए होता था।
  5. दासियाँ शाही महल, अमीरों के आवास पर घरेलू कार्य, करने व संगीत गायन के लिए खरीदी जाती थीं। वह बताता हैं कि शादी में इन दासियों ने बहुत उच्च-कोटि के कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे। सुल्तान अपने अमीरों पर नज़र रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था।

Question
CBSEHHIHSH12028287

सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा?

Solution

 बर्नियर ने सती-प्रथा विस्तृत वर्णन किया हैं। सती प्रथा के निम्नलिखित तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा:

  1. कुछ महिलाएँ प्रसन्नता से मृत्यु को गले लगा लेती थीं, अन्य को मरने के लिए बाध्य किया जाता था।
  2. सती प्रथा यूरोप की प्रथाओं से अलग थी किसी जीवित व्यक्ति को जलाने की प्रथा उसे अमानवीय प्रतीत हुई।
  3. बल - विधवाओं के प्रति भी लोगों के मन में कोई सहानुभूति नहीं दिखाई देती थी।
  4. इस प्रक्रिया में ब्राह्मण, पुजारी तथा घर की बड़ी महिलाएँ हिस्सा लेती थीं। उसे परिवार की इन महिलाओं का व्यवहार भी अजीब लगा,एक महिला होकर भी वह दूसरी महिला की पीड़ा को महसूस नहीं कर पा रही थीं।
  5. यह एक क्रूर प्रथा थीं, स्त्री की चीखे-पुकार भी किसी का दिल नहीं पिघला पा रही थीं।