बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में दूध पीने के लिए तैयार हुए।
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बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में दूध पीने के लिए तैयार हुए।
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श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि कब उनकी चोटी बड़ी होगी; कब यह लंबी और मोटी होगी; कब यह गूँथने पर जमीन पर नागिन की तरह लोटेगी।
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को अधिक पसंद करते हैं।
‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है।
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