महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

Sponsor Area

Question
CBSEHIHN10002785

कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?

Solution

कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने अनेक तर्कों के द्वारा उनके विचारों का खंडन किया है-
1. प्राचीन काल में भी स्त्रियॉं शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं। सीता,शकुंतला,रुकमणी,आदि महिलायें इसका उदहारण हैं। वेदों,पुराणों में इसका प्रमाण भी मिलता है।
2. प्राचीन युग में अनेक पदों की रचना भी स्त्रियों ने की है।
3. यदि गृह कलह स्त्रियों की शिक्षा का ही परिणाम है, तो मर्दों की शिक्षा पर भी प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। क्योंकि चोरी,डकैती,रिश्वत लेना,हत्या जैसे दंडनीय अपराध भी मर्दों की शिक्षा का ही परिणाम है।
4.जो लोग यह कहते हैं, कि पुराने ज़माने में स्त्रियॉं नहीं पड़ती थीं। वे या तो इतिहास से अनभिज्ञ हैं या फिर समाज के लोगों को धोखा देते हैं।
5. अगर ऐसा था भी की पुराने ज़माने की स्त्रियों की शिक्षा पर रोक थी। तो उस नियम को हमें तोड़ देना चाहिए। क्योंकि ये समाज की उन्नति में बाधक है।

Sponsor Area

Question
CBSEHIHN10002786

'स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए?

Solution

1. द्विवेदी जी ने कुतर्कवादियों की स्त्री शिक्षा विरोधी दलीलों का जोरदार खंडन किया है, अनर्थ स्त्रियों द्वारा होते हैं, तो पुरुष भी इसमें पीछे नहीं हैं, अतः पुरुषों के लिए भी विद्यालय बंद कर दिए जाने चाहिए।
2. दूसरा तर्क यह है कि शंकुतला का दुष्यंत को कुवचन कहना या अपने परित्याग पर सीता का राम के प्रति क्रोध दर्शाना उनकी शिक्षा का परिणाम न हो कर उनकी स्वाभाविकता थी।
3. तीसरा तर्क व्यंग पूर्ण तर्क है – ‘स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरूषों के लिए पीयूष का घूँट! ऐसी दलीलों और दृष्टान्तों के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अशिक्षित रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।

Question
CBSEHIHN10002787

द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोघी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है – जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तीं, न वेपूजनीय पुरूषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए?

Solution

स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित कुछ व्यंग्य जो द्विवेदी जी द्वारा दिए गए हैं –
(1) स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट(जहर पीने जैसा ) और पुरुषों के लिए पीयूष का घूँट!(अमृत पीने जैसा) ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतो के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़(अशिक्षित) रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।
(2) स्त्रियों का किया हुआ अनर्थ यदि पढ़ाने ही का परिणाम है तो पुरुषों का किया हुआ अनर्थ भी उनकी विद्या और शिक्षा का ही परिणाम समझना चाहिए।
(3) “आर्य पुत्र, शाबाश! बड़ा अच्छा काम किया जो मेरे साथ गांधर्व-विवाह करके मुकर गए। नीति, न्याय, सदाचार और धर्म की आप प्रत्यक्ष मूर्ति हैं!”
(4) अत्रि की पत्नी, पत्नी-धर्म पर व्याख्यान देते समय घंटो पांडित्य प्रकट करे, गार्गी बड़े-बड़े ब्रह्मवादियों को हरा दे, मंडन मिश्र की सहधर्मचारिणी शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दे !गज़ब! इससे अधिक भयंकर बात और क्या हो सकेगी!
(5) जिन पंडितों ने गाथा-सप्तशती, सेतुबंध-महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और गँवार थे तो हिंदी के प्रसिद्ध से भी प्रसिद्ध अख़बार का संपादक को इस ज़माने में अपढ़ और गँवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अख़बार लिखता है।

Question
CBSEHIHN10002788

 पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

Solution

1. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलने को उनके अनपढ़ होने का सुबूत नहीं माना जा सकता।
2. उस समय बहुत कम लोग ही संस्कृत बोलते थे, अतः संस्कृत न बोल पाने को अनपढ़ नहीं कहा जा सकता।
3. प्राकृत उस समय की प्रचलित भाषा थी। बौध्दों तथा जैनियों के हजारों ग्रन्थ प्राकृत में ही लिखे गए हैं।
4. उनकी रचना प्राकृत में हुई, इसका एकमात्र कारण यही हैं। कि उस समय प्राकृत सर्वसाधारण की भाषा थी।
5. अतः प्राकृत बोलना और लिखना, अनपढ़ और अशिक्षित होने का चिन्ह नहीं माना जा सकता।