गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना

Sponsor Area

Question
CBSEENHN10001825

कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

Solution

मनुष्य का जीवन कल्पनाओं के आधार पर नहीं टिकता। वह जीवन के कठोर धरातल पर स्थित होकर ही आगे गीत करता है। पुरानी सुख भरी यादों से वर्तमान दुःखी हो जाता है। मन में पलायनवाद के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। उसे कठिन यथार्थ से आमना-सामना कर के ही आगे बढ़ने की चेष्टा करनी चाहिए। कवि ने जीवन की कठिन-कठोर वास्तविकता को स्वीकार करने की बात इसीलिए कही है।

Sponsor Area

Question
CBSEENHN10001826

भाव स्पष्ट कीजिये
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

Solution

कवि ने माना है कि धन-दौलत और सुखों की प्राप्ति हर मनुष्य अपने जीवन में करना चाहता है पर सबके लिए ऐसा हो पाना संभव नहीं होता। वह तो उसके मृगतृष्णा के समान ही सिद्ध होकर जाता है। उसे केवल सुखों के प्राप्त हो जाने का झूठा आभास मात्र होता है। वह उसे प्राप्त कर नहीं पाता। जिस कारण उसका हृदय पीड़ा से भर जाता है। हर चांदनी रात के पीछे जिस तरह अमावस्या की अंधेरी रात छिपी रहती है उसी प्रकार हर सुख के बाद दु:ख का भाव भी निश्चित रूप से छिपा ही रहता है।

Question
CBSEENHN10001827

‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?

Solution

‘छाया’ शब्द में लाक्षणिकता विद्यमान है जो भ्रम और दुविधा की स्थिति को प्रकट करता है। यह सुखों के भावों को प्रकट करता है जो मनुष्य के जीवन में सदा नहीं रहते। सुख-दुःख दोनों मिलकर मानव जीवन को बनाते हैं। जब दुःख का भाव जीवन में आ जाता है तब मनुष्य बार-बार उन सुखों को याद करता है जिन्हें उसने कभी प्राप्त किया था। दुःख की घड़ियों में सुखद समय की स्मृतियों में डूबने से उसके दुःख दुगुने हो जाते हैं। इसीलिए कवि ने उसे छूने के लिए मना किया है।

Question
CBSEENHN10001828

कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ।
कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?

Solution

कवि ने छायावादी काव्यधारा से प्रभावित होकर अपनी कविता में विशेषणों का विशिष्ट प्रयोग किया है, जैसे-
(i) सुरंग सुधियां = यादों की विविधता और मोहक सुंदरता की विशिष्टता।
(ii) छवियों की चित्र--गंध = सुंदर रूपों में मादक गंध की विशिष्टता।
(iii) तन-सुगंध = सुगंध के साकार रूप की विशिष्टता।
(iv) जीवित-क्षण = समय की सकारात्मकता की विशिष्टता।
(v) शरण-बिंब = जीवन में आधार बनने की विशिष्टता।
(vi) यथार्थ कठिन = जीवन की कठोर वास्तविकता की विशिष्टता।
(vii) दुविधा-हत साहस = साहस होते हुए भी दुविधाग्रस्त रहने की विशिष्टता।
(viii) शरद्-रात = रात में शरद् ऋतु की ठंडक की विशिष्टता।
(ix) रस-वसंत = वसंत ऋतु में मधुर रस के अहसास की विशिष्टता।