सिल्वर वैडिंग

Sponsor Area

Question
CBSEENHN12026710

यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए

(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।

(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वन्द्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खीचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।

(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व हैं और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना उचित नहीं है।

Solution

यशोधर बाबू एक असंतुष्ट एवं अंतर्द्वन्द्व से ग्रस्त व्यक्ति हैं। उनमें एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।

कहानी पड़ने के बाद यशोधर बाबू के बारे में उपरोक्त बात ही प्रमाणित होती है। सोच और अनुभव के आधार पर मैं इसी बात का समर्थन करता हूँ। यशोधर बाबू एक व्यापक सामाजिक सोच के व्यक्ति हैं। उनके भीतर पुरानी पीढ़ी की कुछ सामान्य विशेषता शामिल है। वह अपने सिद्धांतों और मूल्यों के साथ अपना जीवन बिताने का प्रयास करते हैं। उनकी संतान और आस-पास के लोग नये जमाने के साथ चलने वाले लोग हैं। यशोधर बाबू खुद अपने आप को दुनियादारी में पिछड़ा मानते हैं। इस तरह वह नयेपन को स्वीकार करते हैं। उन्हें अपने बेटो का आगे बढ़ना भीतर ही भीतर अच्छा लगता है। वह अपने प्रेरणा स्रोत किशनदा की मौत के कारण को कही न कहीं महसूस करते हैं। अपनी सोच और आदर्शो के प्रति उन्हें खुद संशय है। वह अक्सर नकली हँसी का सहारा लेकर अपनी बाते बताते हैं।

Sponsor Area

Question
CBSEENHN12026715

कहानी के आधार पर यशोधर पंत के व्यक्तित्व की विशेषताएँ संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।

Solution

यशोधर पंत गृह मंत्रालय में सेक्सन ऑफिसर हैं। वह पहाड़ से दिल्ली आये थे। दिल्ली आने के समय उनकी उम्र बहुत कम थी। कृष्णानंद (किशनदा) पांडे के घर पर रहे थे। वहाँ रहते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। इस विकास मैं सबसे अधिक प्रभाव किशनदा का था। वह एक कंजूस व्यक्ति भी थे। आफिस में जलपान के लिए तीस रुपये निकाल पाना आफिस वालों के लिए बहुत कठिन था। यशोधर बाबू अपने पद के हिसाब से व्यवहार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने यह गुण भी किशनदा से सीखा था। उम्र बढ़ने के साथ यशोधर जी धार्मिकता के रंग में रंगते जा रहे थे। उनकी दिनचर्या मंदिर रजाने के बाद ही समाप्त होती थी। इसी तरह घर में भी पूजा पाठ करते थे। यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। अपनी नौकरी शुरू करने के साथ उन्होंने संयुक्त परिवार अपने साथ रखा था। इसी प्रकार सालों साल तक अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजन भी किया करते थे। उनकी चाहत थी कि उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति समझा जाये।
यशोधर जी एक असंतुष्ट पिता भी थे। अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्य नहीं था। अपने पारिवारिक माहौल से बचने के लिए ही वे जान बूझकर अधिक समय तक घर से बाहर रहने की कोशिश करते थे। उन्हें अपने बेटों का व्यवहार पसंद नहीं है। बेटी के पहनने ओढ़ने को वह सही मानते हैं। उनके बेटे किसी भी मामले में उनसे किसी तरह की राय नहीं लेते हैं। यशोधर बाबू को यही बात बुरी लगती है।।
यशोधर बाबू परंपरावादी व्यक्ति हैं। उन्हें सामाजिक रिश्तों को निभाने में आनंद आता है। अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा कौ देखने जाने कं बारे में सोचते हैं। आधुनिकता के विरोधी होने के बाद भी उन्हें अपने बेटों की प्रगति अच्छी लगती है। गैस चूल्हा खरीदे जाने पर, फ्रिज खरीदे जाने पर, लड़के की नौकरी आदि लगने पर उनके चेहरे पर चमक आ जाती है। इसके अलावा वे असंतुष्ट पति, मेहनती, परंपरा प्रिय व्यक्ति हैं।

Question
CBSEENHN12026721

कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर जी की पत्नी समय के साथ बल सकने में सफल हो गयी है।

Solution

यशोधर जी की पत्नी अपने बेटों और बेटी के प्रभाव में समय के साथ ढल सकने में सफल हो गयी है। उनके ऊपर किसी और का प्रभाव नहीं था। कहानीकार ने स्पष्ट भी किया है कि यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह आधुनिक नहीं है, तथापि बच्चों की तरफदारी करने की मातृसुलभ मजबूरी ने उन्हें मॉर्डन बना डाला है। यशोधर बाबू को संयुक्त परिवार के दिन बहुत अच्छे लगते हैं, जबकि उस समय को उनकी बीवी अपने जीवन का सबसे खराब दिन मानती है। अपनी बेटी के कहने के हिसाब से जीना सीख लिया है। उसने बगैर बाँह का ब्लाउज पहनना, रसोई से बाहर भात-दाल खा लेना, ऊँची हील की सैंडल पहनना और ऐसे ही पचासों काम अपनी बेटी की सलाह पर शुरू कर दिया है। वह अपने बेटा के किसी भी मामले में दखल नहीं देती है। इससे उनका टकराव उनसे नहीं होता है। वह अपनी ‘सिल्वर वैडिंग’ समारोह में खुशी से केक काटती है। मेहमानों का स्वागत खुलकर करती है। वह अपने बेटों और बेटी की सोच की तरफदारी भी करती है। इस तरह हम कह सकते हैं कि वह समय के साथ ढल गयी है।

Question
CBSEENHN12026726

कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ था। अथवा

‘यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा की प्रतिच्छाया है’ इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तार्किक उत्तर दीजिए।

Solution

कहानी के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ है। यशोधर बाबू का व्यक्तित्व उन्हीं की प्रतिच्छाया है। यशोधर बाबू बहुत कम उम्र में पहाड़ से दिल्ली आ गये थे। किशनदा जैसे दयालु एवं सामाजिक व्यक्ति ने यशोधर जैसे कई लोगों को अपने घर में आसरा दिया था। यशोधर बाबू की सरकारी विभाग में नौकरी भी उन्होंने ही दिलवायी थी। इस तरह जीवन मे। महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्ति से प्रभावित होना स्वाभाविक था। यशोधर बाबू तो पूरी तरह किशनदा से प्रभावित हो गये। उन्होंने अपने सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में किशनदा की बातों को उतारना शुरू कर दिया था। ऑफिस में कामकाज, सहयोगियों के साथ संबंध, सुबह सैर करने की आदत. किसी बात को कहकर मुस्कराना, पहनने-ओढ़ने का तरीका, आदर्श संबंधी बातों को दुहराना, किराये के मकान में रहना, रिटायर हो जाने पर गाँव वापस चले जाने की बात आदि सभी पर किशनदा का ही प्रभाव है। कहानी के अंत में जब उनका बड़ा बेटा उन्हें ऊनी गाउन उपहार में देता है. तो यशोधर बाबू को लगता है कि उनके अंग। में किशनदा उतर आया है। इस तरह यह स्पष्ट होता है कि यशोधर बाबू के व्यक्तित्व पर किशनदा का बहुत ज्यादा प्रभाव था।