विष्णु खरे

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Question
CBSEENHN12026605

विष्णु खरे का साहित्यिक परिचय दीजिए।

Solution

विष्णु खरे का जन्म 1940 ई. में छिंदवाड़ा (म. प्र.) में हुआ। समकालीन हिंदी कविता और आलोचना में विष्णु खरे एक विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिंदी जगत को अत्यंत गहरी विचारपरक कविताएँ दी हैं, तो साथ ही बेबाक आलोचनात्मक लेख भी दिए हैं। विश्व-साहित्य का गहन अध्ययन उनके रचनात्मक और आलोचनात्मक लेखन में पूरी रंगत के साथ दिखलाई पड़ता है। विश्व-सिनेमा के भी वे गहरे जानकार हैं और पिछले कई वर्षो से लगातार सिनेमा की विधा पर गंभीर लेखन करते रहे हैं। 1971-73 के अपने विदेश-प्रवास के दरम्यान उन्होंने तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग के प्रतिष्ठित फिल्म-क्लब की सदस्यता प्राप्त कर संसार-भर की सैकड़ों उत्कृष्ट फिल्में देखीं। यहाँ से सिनेमा-लेखन को वैचारिक गरिमा और गंभीरता देने का उनका सफर शुरू हुआ। ‘दिनमान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दि पायोनियर’, ‘दि हिंदुस्तान’, ‘जनसत्ता’, ‘भास्कर’, ‘हंस’, ‘कथादेश’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं मे उनका सिनेमा विषयक लेखन प्रकाशित होता रहा है। वे उन विशेषज्ञों में से हैं, जिन्होंने फिल्म को समाज, समय और विचारधारा के आलोक में देखा तथा इतिहास, संगीत, अभिनय, निर्देशन की बारीकियों के सिलसिले में उसका विश्लेषण किया। अपने लेखन के द्वारा उन्होंने हिंदी के उस अभाव को थोड़ा भरने में सफलता पाई है जिसके बारे में अपनी एक किताब की भूमिका में वे लिखते हैं-”यह ठीक है कि अब भारत में भी सिनेमा के महत्व और शास्त्रीयता को पहचान लिया गया है और उसके सिद्धांतकार भी उभर आए हैं लेकिन दुर्भाग्यवश जितना गंभीर काम हमारे सिनेमा पर यूरोप और अमेरिका में हो रहा है शायद उसका शतांश भी हमारे यहाँ नहीं है। हिंदी में सिनेमा के सिद्धांतों पर शायद ही कोई अच्छी मूल पुस्तक हो। हमारा लगभग पूरा समाज अभी भी सिनेमा जाने या देखने को एक हल्के अपराध की तरह देखता है।”

प्रमुख रचनाएँ: एक गैर रुमानी समय में, खुद अपनी आँख से, सबकी आवाज पर्दे में, पिछला बाकी (कविता-संग्रह); आलोचना की पहली किताब (आलोचना); सिनेमा पढ़ने के तरीके (सिने आलोचना); मरु प्रदेश और अन्य कविताएँ (टी. एस. इलियट), यह चाकू समय (अतिला योझेफ), कालेवाला (फिनलैंड का राष्ट्रकाव्य) (अनुवाद)।

प्रमुख पुरस्कार: रघुवीर सहाय सम्मान हिंदी अकादमी (दिल्ली) का सम्मान शिखर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान फिनलैंड का राष्ट्रीय सम्मान नाइट ऑफ दि डेर ऑफ दि ह्वाइट रोज।

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Question
CBSEENHN12026608

यदि यह वर्ष चैप्लिन की जन्मशती का न होता तो भी चैप्लिन के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण वर्ष होता क्योंकि आज उनकी पहली फिल्म ‘मेकिंग ए लिविंग’ के 75 वर्ष पूरे होते हैं। पौन शताब्दी से चैप्लिन की कला दुनिया के सामने है और पाँच पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है। समय, भूगोल और सांस्कृतिक की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ चार्ली आज भारत के लाखों बच्चों को हँसा रहा है जो उसे अपने बुढ़ापे तक याद रखेंगे। पश्चिम में तो बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता ही है, विकासशील दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नए सिरे से चार्ली को ‘घड़ी सुधारते’ या जूते ‘खाने’ की कोशिश करते हुए देख रहा है। चैप्लिन की ऐसी कुछ फिल्में या इस्तेमाल न की गई रीलें भी मिली हैं जिनके बारे में कोई जानता न था। अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्ष तक काफी कुछ कहा जाएगा।

Solution

Question
CBSEENHN12026610

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
चैप्लिन का चमत्कार यही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइन्सटाइन जैसे महान प्रतिभा वाले व्यक्ति तक कहीं एक स्तर पर और कहीं सूक्ष्मतम रसास्वादन के साथ देख सकते हैं। चैप्लिन ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर-बराबरी नहीं मिटाना चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैप्लिन की फिल्मों पर भी हमला करता है। चैप्लिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है कि जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हँसना पसंद नहीं करता। एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बाद में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज द्वारा दुरदुराया जाना-इन सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य मिले जो करोड़पति हो जाने के बावजूद अंत तक उनमें रहे। अपनी नानी की तरफ से चैप्लिन खानाबदोशों से जुड़े हुए थे और यह एक सुदूर रूमानी संभावना बनी हुई है कि शायद उस खानाबदोश औरत में भारतीयता रही हो क्योंकि यूरोप के जिप्सी भारत से ही गए थे-और अपने पिता की तरफ से वे यहूदीवंशी थे। इन जटिल परिस्थितियों ने चार्ली को हमेशा एक ‘बाहरी’, ‘घुमंतू’ चरित्र बना दिया।

1. चैप्लिन का क्या चमत्कार है?
2. चैप्लिन ने क्या काम करके दिखाया?
3. चैप्लिन का जीवन किन परिस्थितियों में बीता?
4. नानी का उन पर क्या प्रभाव पड़ा?




Solution

1. चैप्लिन का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि उनकी फिल्मों को पागल से लेकर बुद्धिमान व्यक्ति तक देखते हैं। पागलखाने का मरीज विकल मस्तिष्क वाला तथा प्रतिभासंपन्न व्यक्ति अर्थात् सभी स्तर के लोग उनकी फिल्मों को रस लेकर देखते हैं।
2. चैप्लिन ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान किया तथा दर्शकों की वर्ग एवं वर्ण व्यवस्था को तोड़कर दिखाया। चार्ली ने बताया कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना वह है।
3. चैप्लिन का जीवन अत्यंत विषम परिस्थितियों में बीता। उसकी माँ परित्यक्ता एवं स्टेज की अभिनेत्री थी। चार्ली को गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना पड़ा। उसे औद्योगिक घरानों एवं सामंतों से भी टक्कर लेनी पड़ी।
4. चार्ली की नानी खानाबदोश थी। वे अपने पिता की तरफ से यहूदी वंशी थे। इन जटिल परिस्थितियों ने चार्ली को ‘घुमंतू’ चरित्र के रूप में ढाल दिया।

Question
CBSEENHN12026611

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
चैप्लिन ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर बराबरी नहीं मिटाना चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैप्लिन की फिल्मों पर भी हमला करता है। चैप्लिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हँसना पसंद नहीं करता। एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बान में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज द्वारा बदुरदुरायाजाना-इन सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य मिले जो करोड़पति हो जाने के बावजूद अंत तक उनमें रहे।

1. पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
2. चैप्लिन ने क्या युगांतरकारी परिवर्तन किए?
3. चैप्लिन पर कौन लोग हमला करते हैं?
4. चैप्लिन के जीवन में कौन-से मूल्य अंत तक रहे?



Solution

1. पाठ का नाम: चार्ली चैप्लिन यानी हम सब।
    लेखक का नाम: विष्णु खरे।
2. चैप्लिन ने फिल्म कला को लोकप्रिय और लोकतांत्रिक बनाया। उसने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। चैप्लिन ने इस तरह के युगांतकारी परिवर्तन किए।
3. चैप्लिन पर वे लोग हमला करते हैं जो व्यक्ति, समूह या तंत्र के भेदभाव को नहीं मिटाना चाहते। वे समाज व कला के परंपरागत रूप को बनाए रखना चाहते हैं।
4. चैप्लिन के निम्नलिखित जीवन-मूल्य अंत तक रहे-एक परित्यकता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का ‘बेटा’ भयंकर गरीबी तथा माँ के पागलपन से संघर्ष करना, शोषणकारी समाज द्वारा दुत्कारा जाना।