मुग़ल दरबार में पांडुलिपि तैयार करने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
पांडुलिपि तैयार करने की एक लंबी प्रक्रिया होती थी। इस प्रक्रिया में कई लोग शामिल होते थे। जो अलग अलग कामों में दक्ष होते थे। सबसे पहले पांडुलिपि का पन्ना तैयार किया जाता था जो कागज़ बनाने वालों का काम था। तैयार किए गए पन्ने पर अत्यंत सुंदर अक्षर में पाठ की नकल तैयार की जाती थी। उस समय सुलेखन अर्थात् हाथ से लिखने की कला अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी। इसका प्रयोग भिन्न-भिन्न शैलियों में होता था। सरकंडे के टुकड़े को स्याही में डुबोकर लिखा जाता था। इसके बाद कोफ्तगार पृष्ठों को चमकाने का काम करते थे। चित्रकार पाठ के दृश्यों को चित्रित करते थे। अन्त में, जिल्दसाज प्रत्येक पन्ने को इकट्ठा करके उसे अलंकृत आवरण देता था। तैयार पांडुलिपि को एक बहुमूल्य वस्तु, बौद्धिक संपदा और सौंदर्य के कार्य के रूप में देखा जाता था।