जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

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Question
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कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

Solution

कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि उसका जीवन साधारण-सा है। उसमें कुछ भी ऐसा नहीं जिससे लोगों को किसी प्रकार की प्रसन्नता प्राप्त हो सके। उसका जीवन अभावों से भरा हुआ था जिन्हें वह औरों के साथ बांटना नहीं चाहता था। उसके जीवन में किसी के प्रति कोमल भाव अवश्य था जिसे वह किसी को बताना नहीं चाहता था।

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Question
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आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ ऐसा क्यों कहता है?

Solution

कवि को ऐसा लगता है कि अभी उसके जीवन में कोई बड़ी-बडी उपलब्धियाँ नहीं हैं जिन्हें दूसरों के सामने प्रकट किया जा सके। वह अपने अभावग्रस्त जीवन के कष्टों को अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहता है। इसीलिए वह कहता है- ‘अभी समय भी नहीं।’

Question
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स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?

Solution

‘पाथेय’ का शाब्दिक अर्थ है- संबल, सहारा। कवि के हृदय में किसी अति रूपवान के लिए गहरा प्रेमभाव था। उसके प्रति मधुर यादें थीं और वे यादें ही उसके जीवन की आधार बनी हुई थीं जिन्हें वह न तो औरों के सामने प्रकट करना चाहता था और न ही ‘स्मृति रूपी सहारे’ को अपने से दूर करना चाहता था। कवि के मन में छिपी मधुर स्मृतियां उसके सुखों का आधार थीं।

Question
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भाव स्पष्ट कीजिये:
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देख कर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।

(ख) जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

Solution

(क) कवि का मानना है कि उसे अपने जीवन में सुखों की प्राप्ति नहीं हुई। हर व्यक्ति की तरह वह भी अपने जीवन में सुखों की प्राप्ति करना चाहता था। अवचेतन में छिपे सुख के भावों के कारण कवि ने भी सुख भरा सपना देखा था पर वह सुख उसे वास्तव में प्राप्त कभी नहीं हुआ। वह सुख उसके बिल्कुल पास आते-आते मुस्करा कर दूर भाग गया।
(ख) कवि का प्रियतम अति सुंदर था। उसकी गालों पर मस्ती भरी लाली छाई हुई थी। उसकी सुंदर छाया में प्रेमभरी भोर भी अपने सुहाग की मधुरिमा प्राप्त करती थी।