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बल तथा गति के नियम
कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशून्य वेग से गति करना संभव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाप एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख करें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
हाँ, संभव है। वास्तव में, गति की अवस्था में परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है न कि एक समान गति की अवस्था को बनाए रखने के लिए। अत: यदि कोई वस्तु पहले से गतिमान है तो वह बाह्य असंतुलित बल की अनुपस्थिति में भी एक समान गति की अवस्था को बनाए रखेगी।
जब किसी छड़ी से दरी ( कार्पेट ) को पीटा जाता है, तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।
दरी को छोड़ से पीटने पर धूल के कण नीचे इसलिए गिर जाते हैं, क्योंकि धूल के कण विराम के जड़त्व के कारण विराम में रहने का प्रयत्न करते हैं और दरी को छड़ी से पीटने पर आगे की ओर गति करने लगता है और धूल के कण नीचे गिर जाते हैं।
बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?
जब चलती हुई गाडी में अचानक ब्रेक लगाए जाते हैं अथवा एकाएक उसे मोड़ा जाता है तो गति जड़त्व के कारण गाडी की छत पर रखा समान उसी वेग से उसी दिशा में गतिमान रहने का प्रयास करता है। ऐसे में यदि सामान बाँधा नहीं गया है तो वह छत से नीचे गिर सकता है, इससे सामान के टूटने की संभावना रहती है। अत: बस की छत पर रखे सामान को बाँधकर रखा जाता है।
किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात गेंद रुक जाती है। गेंद रुकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि
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बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
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वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
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गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
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गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है, अत: गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है।
C.
गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
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