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जीवन की मौलिक इकाई
पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो?
पादप कोशिका और जंतु कोशिका में तुलना :
| जंतु कोशिका | पादप कोशिका |
| 1. प्राणी कोशिका महीन झिल्ली जिसे प्लैज़्मा झिल्ली कहते हैं से घिरी होती है। | 1. प्लैज़्मा झिल्ली के बाहर की ओर सेल्यूलोज की बानी मोटी कोशिका भित्ति होती है। |
| 2. हरित लवक अनुपस्थित होते हैं। | 2. हरित लवक उपस्थित होते हैं। |
| 3. रिक्तिकायें या तो अनुपस्थित होती हैं या बहुत छोटे माप की होती हैं। | 3. रिक्तिकायें बड़ी तथा मुख्य होती हैं। |
| 4. सैन्ट्रोसोम उपस्थित। | 4. सैन्ट्रॉसॉन अनुपस्थित होता है। |
| 5. कोशिका विभाजन ग्रूव ( खाँच ) निर्माण द्वारा होता है। | 5. कोशिका विभाजन कोशिका पट्टी द्वारा प्रारम्भ होता है। |
| 6. गोल्जिकाय उपस्थित। | 6. गॉल्जिकाय अलग-अलग इकाइयों डिक्टियोसोम्स का बना होता है। |
| 7. कैल्शियम आक्जलेट के वे सदैव अनुपस्थित होते हैं। | 7. ये पादप कोशिकाओं में सदैव पाए जाते हैं। |
| 8. इन कोशिकाओं में प्रकाश-संश्लेषण नहीं होता। | 8. इनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती हैं। |
| 9. 9. ये प्राय: छोटे आकार की होती हैं समसूत्री विभाजन शरीरी की सभी कोशिकाओं में होता है परन्तु अर्धसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओं में होता है। | 9. ये प्राय: बड़े आकार की होती हैं। |
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ, यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
कोशिकाओं के जटिल संगठन के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं: असीमकेन्द्र्क तथा ससीमकेन्द्रक कोशिकाएँ असीमकेन्द्र्क कोशिकाओं में न्यूक्लिओइड ( केन्द्रक कला नहीं होती ) पाया जाता है। ससीमकेन्द्रक कोशिकाओं में भली-भाँति विकसित सत्य केन्द्रक पायी जाती है, जो केन्द्रक कला से घिरा होता है।
प्रोकैरियोटी अथवा असीमकेन्द्र्क कोशिका तथा यूकैरियोटी अथवा ससीमकेन्द्रक कोशिका में भिन्नता:
| प्रोकैरियोटी अथवा असीमकेन्द्र्क कोशिका | यूकैरियोटी अथवा ससीमकेन्द्रक कोशिका |
| 1. अमीनो शर्करा की बानी कोशिका भित्ति होती है। | 1. पादप कोशिकाओं में सेल्यूलोज बनी पादप भित्ति होती है। |
| 2. झिल्ली युक्त कोशिकांग नहीं होते। | 2. झिल्लीयुक्त कोशिकांग पाए जाते हैं। |
| 3. गुणसूत्र एकल तथा डी.एन.ए. तथा आर.एन.ए. का बना होता है। | 3. गुणसूत्र एक से अधिक डी.एन.ए. के बने होते हैं। |
| 4. केन्द्रकाभ पाया जाता है। | 4. सत्य केन्द्रक होता है। |
| 5. राइबोसोम्स 70S प्रकार के होते हैं। | 5. राइबोसोम्स 80S प्रकार होते हैं। |
यदि प्लैज़्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
प्लाज्मा झिल्ली या कोशिका कला प्रोटीन्स तथा लिपिड्स से बानी सजीव वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली होती है। यह कोशिका को निश्चित आकार में बनाए रखती है। इसमें पुनरुदभवन ( regeneration ) की क्षमता होती है। अत: यह टूट-फूट से होने वाली क्षति से कोशिका को बचाती है। फटने या टूटने पर इसका पुन: निर्माण हो जाता है।
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
अंत: परद्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थ गॉल्जी उपकरण में पैक करके कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया जाता है। गॉल्जी उपकरण की सिस्टर्नी, रिक्तिकाओं और पुटिकाओं में पदार्थों का संचयन, रूपांतरण तथा पैक करने की क्रिया होती है। गॉल्जी उपकरण से लाइसोसोम का निर्माण होता है। लाइसोसोम कोशिकीय तथा बाह्यकोशिकीय पदार्थों के पाचन का कार्य करते हैं, क्षतिग्रस्त तथा मृत कोशिकाओं का विघटन करते हैं।
अत: गॉल्जी उपकरण के आभाव में उपर्युक्त कार्य सम्पन्न नहीं होंगे।
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