हाशियाकरण से निपटना

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Question
CBSEHHISSH8008364

दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर ज़ोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सवाल पर जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 (पाठ्यपुस्तक) पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए।

Solution

निम्नलिखित दो ऐसे मौलिक अधिकार है जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर ज़ोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं-
 
(i) समानता का अधिकार-
इसके अनुसार कानून की नजर में सब समान है। धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा। देश का कानून  सभी लोगों को बराबर  सुरक्षा प्रदान करेगा। इस अधिकार में यह भी कहा गया है रोजगार के मामले में राज्य किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा। सार्वजानिक स्थानों जैसे खेल के मैदान, दुकान आदि पर सभी का सामान अधिकार होगा।
 
(ii) स्वतंत्रता का अधिकार-
इस अधिकार के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता, कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता एवं देश के किसे भी भाग में आने जाने की स्वतंत्रता शामिल है।
 

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Question
CBSEHHISSH8008365

रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)  अधिनियम के  प्रवधानों को दोबारा पढ़िए। अब एक कारण बताइए रत्नम ने इसी कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई?

Solution

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) 1989  के प्रवधानों के अनुसार ऊंचे वर्गों द्वारा दलित एवं आदिवासी समूह के साथ दुर्व्यवहार करना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। यह कानून सभी प्रकार के शोषण और भेदभाव के खिलाफ दलितों और आदिवासियों को सुरक्षा प्रदान करता है।
रत्नम की कहानी में उसे एक अनैतिक रस्म निभाने को कहा जाता है क्योंकि वह दलित है परन्तु वह इससे इंकार कर देता है। इस तरह का व्यवहार ऊँची जाति के लोगों से यह सहन नहीं होता। वे उसके परिवार को अपने समुदाय से बहिष्कृत कर देते है। कुछ लोग उसकी झोपड़ी में आग भी लगा देते हैं। आखिरकार रत्नम ऊँची जातियों द्वारा किए जा रहे भेदभाव और हिंसा का विरोध करते हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराकर कानून का सहारा लेती है।

 

Question
CBSEHHISSH8008366

सी. के. जानू और अन्य कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ 1989 के इस कानून क्या इस्तेमाल कर सकते हैं? इस कानून के प्रावधान में ऐसा क्या खास है जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है?

Solution

इस कानून अनुसार यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के नाम पर आवंटित की गई या उसकी स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करता है या खेती करता है या उसे अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है तो उसे सजा दी जाएगी।

आदिवासी कार्यकर्ता सी. के. जानू का का भी यही कहना है कि जो आदिवासी पहले की बेदखल हो चुके हैं और उनमे से जो अब वापस नहीं लौट सकते उन्हें भी मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि सरकार ऐसी योजनाएँ बनाए जिनके सहारे वे नए स्थानों पर रह सकें और काम कर सकें।
अन्य आदिवासी कार्यकर्ता अपनी परंपरागत जमीन पर अपने कब्जे की बहाली के लिए 1989 के अधिनियम का सहारा लेते हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों ने आदिवासियों की जमीन पर ज़बरदस्ती कब्जा कर लिया है उन्हें इस कानून के तहत सजा दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि संवैधानिक रूप से आदिवासियों की जमीन को किसी  गैर-आदिवासी व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता जहाँ ऐसा हुआ है वहां संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें उनकी जमीन वापस मिलनी चाहिए।