शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अंत:स्रावित ग्रंथिओं द्वारा स्रावित पदार्थ का क्या नाम है?
हार्मोन।
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शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अंत:स्रावित ग्रंथिओं द्वारा स्रावित पदार्थ का क्या नाम है?
हार्मोन।
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किशोरावस्था को परिभाषित कीजिए।
जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते है जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक़्वता आती है, उसे किशोरावस्था कहते हैं। यह अवस्था 11 वर्ष की आयु से आरम्भ होती है और 18 या 19 वर्ष की आयु तक रहती है। इस अवधि को टीनेज कहा जाता है और किशोरों को 'टीनेजर्स' कहा जाता है। किशोरावस्था के समय मनुष्य में अनेक परिवर्तन आते है। लड़कियों में किशोरावस्था लड़कों की अपेक्षा एक-दो साल जल्दी आ जाती हैl
ऋतुस्त्राव क्या है? वर्णन कीजिए।
स्त्रियों में यौवनारम्भ 10 से 12 वर्ष की आयु में आरम्भ हो जाता हैं। यौवनारम्भ पर स्त्रियों में अंडाणु परिपक़्व होने लगता है। अंडाशयों में एक अंडाणु परिपक़्व होता है तथा 28 से 30 दिनों के अंतराल पर किसी गर्भाशय की दीवार मोती हो जाती है जिससे वह अंडाणु के निषेचन के पश्चात युग्मनज को ग्रहण कर सके। जिसके फलस्वरूप गर्भधारण होता है। अगर अंडाणु का निषेचन नहीं हो पता तब उस स्थिति में अंडाणु तथा गर्भाश्य का मोटा स्तर उसकी रुधिर वाहिकाओं सहित निस्तारित हो जाता है। इससे स्त्रियों में रक्तस्त्राव होता है जिसे ऋतुस्त्राव या रजोधर्म भी कहते है। ऋतुस्त्राव 28 से 30 दिनों में एक बार होता है। यह लगभग 40 से 50 वर्ष की आयु तक चलता है।
यौवनारम्भ के समय होने वाले शरीरिक परिवर्तनों की सूचि बनाइए।
यौवनारम्भ के समय होने वाले परिवर्तन-
(i) लंबाई मे वृद्धि- इस समय शरीरी की लंबी अस्थिओं जैसे की हाथ और पैर की अस्थियों की लंबाई मे वृद्धि होती है और व्यक्ति की लंबाई बढ़ जाती है। लड़कियों की लंबाई लगभग 18 वर्ष तक और लड़को की लंबाई लगभग 20 वर्ष तक बढ़ती है। व्यक्ति की लंबाई आनुवंशिक जीन पर निर्भर करती है।
(iii) शारीरिक आकृति मे परिवर्तन- लड़के और लड़कियों मे होने वाले परिवर्तन अलग-अलग है। यौवनारम्भ के समय लड़को के कंधे फैल कर चौड़े हो जाते है जबकि लड़कों मे कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है। लड़कों की शारीरिक पेशियाँ लड़कियों की अपेक्षा सुस्पष्ट और गठी दिखाई देती है।
(iv) स्वर में परिवर्तन- यौवनारम्भ के समय लड़कों की आवाज लड़कियों की आवाज से भारी हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लड़को का स्वरयंत्र विकसित होकर बड़ा हो जाता है और आवाज भारी हो जाती है और फटने लगती है। जबकि लड़कियों का स्वरयंत्र लड़कों की अपेक्षा छोटा होता है और उच्चतारत्व वाला होता है।
(v) स्वेद एवं तैलग्रंथियों में वृद्धि- किशोरावस्था के समय इन ग्रंथियों का स्त्राव बढ़ जाता है जिससे व्यक्तियों के चेहरे पर मुहाँसे होने लगते हैं।
(vi) जनन अंगों का विकास- नर जननांग विकसित हो जाते है। वृषण से शुक्राणुओं का उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। जबकि लड़किओं में अंडाशय के आकार में वृद्धि होती है तथा अंड परिपक़्व होने लगते हैं। अंडाशय से अंडाणुओं का निर्मोचन भी प्रारंभ हो जाता है।
(vii) मानसिक, बौद्धिक एवं संवेदनात्मक परिपक़्वता- किशोर अधिक स्वतंत्र तथा सचेत होते है। यौवनारम्भ के समय सिखने की क्षमता अधिक होती है। किशोरों में नये विचार उत्तपन होने लगते हैं। कभी-कभी इन शारीरिक परिवर्तनों की वजह से किशोर अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
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