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पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्तिथि में फर्म का सिद्धांत
एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार की क्या विशेषताएँ हैं ?
- क्रेताओं और विक्रेताओं की बहुत बड़ी संख्या: पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाज़ार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी होती है। इस तरह प्रत्येक क्रेता-विक्रेता कुल बिक्री का बहुत ही छोटा भाग खरीदता अथवा बेच-पाता है।
- एक समान या समरूप वस्तु: पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में प्रत्येक फॉर्म समरूप वस्तु बेचती है। वस्तु इतनी समरूप होती है कि कोई क्रेता दो भिन्न विक्रेताओं की वस्तु में भेद नहीं कर सकता। सभी विक्रेताओं द्वारा बेची गई वस्तुएँ गुण, आकार अथवा रंग- रूप में एक समान होती हैं।
- पूर्ण ज्ञान: पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार के अंतर्गत क्रेता और विक्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है। उन्हें बाजार में प्रचलित कीमत की पूर्ण जानकारी होती है। वे यह भी जानते हैं कि समरूप वस्तु बेची जा रही है। ऐसे में क्रेता बाजार कीमत से अधिक कीमत देने को तैयार नहीं होंगे तथा विक्रेता को बिक्री लागतें खर्च करने की आवश्यकता नहीं है।
- पूर्ण स्वतंत्रता: पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार के अंतर्गत किसी भी फॉर्म को उद्योग में प्रवेश करने अथवा उसे छोड़कर बाहर जाने की पूर्ण स्वतंत्र होती है। जब उद्योग में लाभ हो रहे हों, तो नई फर्में उद्योग में प्रवेश कर सकती हैं और जब हानि की अवस्था हो,तो कुछ फर्में उद्योग छोड़कर जा सकती है।
- विक्रय लागत का अभाव: पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में वस्तुएँ समरूप होती हैं, इसलिए एक फर्म को वस्तु के प्रचार, विज्ञापन आदि पर व्यय करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अतः पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में बिक्री और परिवहन लागत शून्य होती है।
एक फर्म की संप्राप्ति, बाजार कीमत तथा उसके द्वारा बेची गई मात्रा में क्या संबंध है?
एक फर्म की संप्राप्ति, बाज़ार कीमत तथा उसके द्वारा बेचीं गई मात्रा का गुणनफल है अर्थात्
फर्म की कुल संप्राप्ति = बिक्री की मात्रा x बाज़ार कीमत
अथवा
TR = q x p
यहाँ, TR = कुल संप्राप्ति, q = बिक्री की मात्रा तथा p = कीमत।
कीमत रेखा क्या है ?
कीमत रेखा, बाजार कीमत तथा फर्म के उत्पाद स्तर के मध्य संबंध को दर्शाती है। बाजार कीमत को Y अक्ष पर तथा उत्पाद को X अक्ष पर दर्शाया जाता है, क्योंकि बाजार कीमत P पर स्थिर है। एक आड़ी-सीधी रेखा होती है, जो अक्ष को P के बराबर ऊँचाई पर काटती है। इस आड़ी-सीधी रेखा को कीमत रेखा कहते हैं। कीमत रेखा एक फर्म के माँग वक्र को भी दर्शाती है।
चिन्न दर्शाता है कि कीमत रेखा P फर्म के उत्पाद से स्वतंत्र हैं। इसका अर्थ है कि फर्म कीमत P पर जितनी चाहे उतनी इकाइयाँ बेच सकती है।

एक कीमत-स्वीकारक फर्म का कुल संप्राप्ति वक्र, ऊपर की ओर प्रवणता वाली सीधी रेखा क्यों होती है ? यह वक्र उद् गम से होकर क्यों गुजरती है ?
कुल आगम चक्र मूल बिन्दु से गुजरता है, क्योंकि जब उत्पादन शून्य होगा, फर्म का कुल आगम भी शून्य होगा। जैसे-जैसे उत्पादन बेचा जाता है, कुल आगम बढ़ता है। वक्र पर सरल रेखीय समीकरण है:
TR = P X Q
इस प्रकार, पूर्ण प्रतियोगिता में कुल आगम ऊपर उठती हुई सीधी रेखा होती। है।
इसका अर्थ है कि कुल आगम बेचे गए उत्पादन के समान अनुपात में बढ़ता हैं (क्योंकि कीमत स्थिर होती है)।

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