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ईंटें मनके तथा अस्थियाँ
हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची बनाइए। इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान कीजिए।
I. हड़प्पा शहरों के लोगों के लिए भोजन के निम्नलिखित सामान उपलब्ध थे:
1. अनाज: गेहूं, जौ, मसूर, मटर, ज्वार, बाजरा, तिल, सरसों, राई, चावल आदि।
2. मवेशियों, भेड़, बकरी, भैंस, सुअर का मांस।
3. हिरण, सूअर, घड़ियाल आदि जैसे जंगली प्रजातियों का मांस।
4. पौधे और उनके उत्पाद।
इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान निम्नलिखत हैं:
1. किसानों द्वारा अनाज उपलब्ध करवाया जाता था।
2. जैसे कि मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस इत्यादि पालतू थे, हड़प्पा स्वयं इनसे मांस प्राप्त करते थे।
3. जानवरों की जंगली प्रजातियों के मांस के बारे में हमें यकीन नहीं है कि हड़प्पा ने इसे कैसे प्राप्त किया, लेकिन हम अनुमान लगा सकते हैं कि यह या तो शिकार समुदाय हो सकता है या शायद कुछ हड़प्पा-निवासी स्वयं ही इन जानवरों का शिकार करते थे।
4. पौधों और उनके उत्पादों के लिए हड़प्पा-निवासी स्वयं इसे इकट्ठा कर लेते थे।
पुरातत्त्वविद हड़प्पाई समाज में सामाजिक- आर्थिक भिन्नताओं का पता किस प्रकार लगाते हैं? वे कौन सी भिन्नताओं पर ध्यान देते हैं?
पुरातत्त्वविद निम्नलिखित विधियों और तकनीकों को अपनाकर हड़प्पा समाज में सामाजिक-आर्थिक मतभेदों का पता लगाते हैं:
1. शवाधान:
a. शवाधान गत में अंतर।
b शवाधान में पूरावस्तुओं की उपस्थिति।
पुरातत्वविदों ने पाया है कि शवाधान में अंतर होता है:
a. कुछ कब्रें सामान्य बनी होती हैं तो कुछ कब्रों में ईंटों की चिनाई की गई होती है।
b. यद्यपि हड़प्पा निवासियों ने शायद ही कभी अपने किसी की मृत्युं के साथ कीमती सामग्री को दफनाया था, हालांकि कुछ कब्रों में मिट्टी के बर्तन, गहने,आभूषण शामिल थे जो अर्द्ध कीमती पत्थरों से बने थे।
2. 'विलासिता' की वस्तुओं की खोज:
- पुरातत्त्वविद उन वस्तुओं को कीमती मानते थे जो दुर्लभ हों अथवा महँगी, स्थानीय स्तर पर अनुपलब्ध पदार्थों से अथवा जटिल तकनीकों से बनी हों।
- महँगे पदार्थो से बनी दुर्लभ वस्तुएँ सामान्यतः मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी बड़ी बस्तियों में केंद्रित हैं और छोटी बस्तियों में ये विरले ही मिलती हैं।
क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल निकास प्रणाली, नगर-योजना की ओर संकेत करती है? अपने उत्तर के कारण बताइए।
- ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया और फिर इसके साथ घर बनाए गए थे। प्रत्येक घर के गंदे पानी की निकासी एक पाईप से होती थी जो सड़क और गली की नाली से जुड़ी होती थी।
- शहरों में नक्शों से जान पड़ता है कि सड़कों और गलियों को लगभग एक ग्रिड प्रणाली से बनाया गया था और वह एक दूसरे को समकोण काटती थी ।
- जल निकासी कि प्रणाली बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि यह कई छोटी बस्तियों में भी दिखाई पड़ती हैं। उदहारण के लिए लोथल में आवासों के बनाने के लिए जहाँ कच्ची ईंटों का प्रयोग किया गया हैं वहीँ नालियों को पक्की ईंटों से बनाया गया हैं।
हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए। कोई भी एक प्रकार का मनका बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
मनकों के निर्माण में प्रयुक्त पदार्थों की विविधता उल्लेखनीय है:
इसमें कार्नीलियन (सुन्दर लाल रंग का), जैस्पर, स्फटिक, क़्वार्ट्ज़ और सेलखड़ी जैसे पत्थर; ताँबा, काँसा तथा सोने जैसे धातुएँ; तथा शंख, फ़यॉन्स और पक्की मिट्टी, सभी का प्रयोग मनके बनाने में होता था। कुछ मनके दो या उससे अधिक पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाए जाते थे और कुछ सोने के टोप वाले पत्थर के होते थे।
मनका बनाने की प्रक्रिया:
- पहला चरण (मनके को आकर देना): सबसे पहले, मनके बनाने की प्रक्रिया में प्रयुक्त पदार्थ के अनुसार भिन्नताएँ थीं। उदहारण के तोर पर सेलखड़ी जो एक मुलायम पत्थर है, पर आसानी से कार्य हों जाता था।
- दूसरा चरण: (मनके को रंग देना): इसमें पीले रंग के कच्चे माल तथा उत्पादन के विभिन्न चरणों में मनकों को आग में पकाकर प्राप्त किया जाता था।
- तीसरा चरण: पत्थरों के पिंडों को पहले अपरिष्कृत आकारों में तोड़ा जाता था और फिर बारीकी से शल्क निकाल कर इन्हें अंतिम रूप दिया जाता था।
- चौथा (अंतिम चरण): प्रक्रिया के अंतिम चरण में घिसाई, पॉलिश और इनमें छेद करना शामिल थे। चंहुदड़ो , लोथल और हाल ही में धौलावीरा से छेद करने के विशेष उपकरण मिले हैं।
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