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लोकतंत्र की चुनौतियाँ
विशेषताएँ [सिर्फ बिंदुवार लिखें जितने बिंदु बताना चाहें उतने बता सकते है इससे कम से कम बिंदुओं में निबटाने का प्रयास करें]
आपको यह अभ्यास कैसा लगा? क्या आपको इसमें आनंद आया? क्या यह बहुत मुश्किल था? क्या कुछ परेशानियाँ हुई? क्या डर भी लगा? क्या आपको लगता है की पाठ्यपुस्तक ने इस महत्वपूर्ण अभ्यास में आपकी मदद नहीं की? क्या आपको डर है कि आपकी परिभाषा गलत भी हो सकती है?
यहाँ दी गई चुनौतियों के लिए राजीतिक सुधारों की आवश्यकता है। इन चुनौतियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करें।यहाँ सुधार के जो विकल्प दिए गए है उनकों देखें और कारण बताते हुए अपनी अपनी पसंद के समाधान को बताएँ। यह बात याद रखें कि यहाँ बताए गए विकल्प सीधे-सीधे 'सही' या 'गलत' करार दिए जा सकते है।आप कई विकल्पों को मिलाकर जवाब दे सकते है या ऐसा समाधान भी बता सकते है जिसकी यहाँ कोई चर्चा ही नहीं हुई है।आप समाधान पूरे विस्तार से दे और अपनी पसंद के लिए तर्क भी बताएँ।
डॉक्टरों की अनुपस्थिति
राजनीतिक दलों का चंदा
चुनौती:
उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण कराया और पाया कि ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अधिकतर डॉक्टर अनुपस्थित थे। वे शहरों में रहते हैं, नीजी प्रैक्टिस करते हैं और महीने में सिर्फ एक या दो बार अपनी नियुक्ति वाली जगह पर घूम आते हैं। गाँव वालों को साधारण रोगों के इलाज के लिए भी शहर जाना पड़ता है और प्राइवेट डॉक्टरों को मोटी फ़ीस देनी पड़ती है।
सुधार के प्रस्ताव:
- सरकार को डॉक्टर के लिए नियुक्ति वाली जगह पर रहना अनिवार्य कर देना चाहिए अन्यथा उनकी सेवा समाप्त कर दी जाए।
- डॉक्टरों की अनुपस्थिति की जांच के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को अचानक छापा करना चाहिए।
- ग्राम पंचायतों को डॉक्टरों के कामकाज की वार्षिक रिपोर्ट लिखने का अधिकार होना चाहिए और इस रिपोर्ट को पंचायत में रखा जाना चाहिए।
- इस जैसी समस्याओं का समाधान उत्तर प्रदेश को कई टुकड़ों में बाँटना है जिसे प्रशासन कुशलता से चल सके।
चुनौती:
लोकसभा का पिछला चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उमीदवार की संपत्ति औसतन एक करोड़ से ज़्यादा की थी। यह डर व्यक्त किया जा रहा है कि आप चुनाव लड़ना सिर्फ़ अमीरों या उनका समर्थन रखने वालों के लिए ही संभव है। अधिकतर राजनीतिक दल बड़े व्यावसायिक घरानों के चंदों पर निर्भर करता है। आशंका इस बात की है कि राजनीति में पैसों की यह बढ़ती हुई भूमिका गरीबों के खिलाफ़ जाएगी और उनके लोकतंत्र में जो थोड़ी-बहुत आवाज उठा पाते हैं उससे भी वंचित हो जाएँगे।
सुधार के प्रस्ताव:
- प्रत्येक राजनीतिक दल की वित्तीय लेखा जोखा को सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए। इसका लेखा सरकारी ऑडिटरों से कराया जाना चाहिए।
- चुनाव का खर्च सरकार को उठाना चाहिए पार्टियों को चुनावी खर्च के लिए सरकार कुछ रकम दे। नागरिकों को भी दल के कार्यकर्ताओं को चंदा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आयकर में छूट मिलनी चाहिए।
| डॉक्टरों की अनुपस्थिति | राजनीतिक दलों का चंदा |
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चुनौती:
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चुनौती:
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(i) डॉक्टरों की अनुपस्थिति: सरकार को यह अनिवार्य कर देना चाहिए कि डॉक्टर अपनी नियुक्ति के स्थानों पर ही रहकर कार्य करें दूसरा, उन्हें निजी प्रैक्टिस करने से रोकना चाहिए। नियुक्ति के समय ही उनके लिए नियम व शर्ते लागू कर देनी चाहिए। जिनका पालन करना उनके लिए अनिवार्य होना चाहिए। इन शर्तों व नियमों का उलंघन न करने पर उनकी सेवा समाप्त कर देनी चाहिए।
(ii) राजनीतिक दलों का चंदा: भारत में होने वाले चुनावों में धन की भूमिका पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है। लोकतंत्र को और अधिक सफल बनाने के लिए इसे रोकना आवश्यक है। इसके लिए पहले तो प्रत्येक राजनितिक दल के वित्तीय लेखा-जोखा को सार्वजानिक कर देना चाहिए। दूसरा, चुनावों में होने वाले अनावश्यक खर्च को रोकना चाहिए व पैसे की भूमिका को कम कर देना चाहिए ताकि गरीब उम्मीदवार भी चुनाव लड़ सकते हैं।
'चुनौती' का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
चुनौती का अर्थ -
चुनौती कोई एक समस्या नहीं है। हम आमतौर पर उन्हीं मुश्किलों को चुनौती कहते हैं जो महत्त्वपूर्ण तो है; लेकिन जिन पर जीत हासिल की जा सकती है। यदि किसी मुश्किल के भीतर ऐसी संभावना है कि उस मुश्किल से छुटकारा मिल सके तो उसे हम चुनौती कहते हैं।
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