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राजनितिक दल
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अपनी विशेष भूमिका होती है। ये लोकतंत्र में अपनी भूमिका निम्नलिखित रूप से अदा करते है-
(i) राजनीतिक दल चुनाव लड़ते है और यह कोशिश करते है कि चुनाव में उनके उम्मीदवार की जीत हो।
(ii) ये राजनीतिक दल देश में व्याप्त समस्याओं को जनता के सामने रख कर जनता में जागरूकता पैदा करते है।
(iii) राजनीतिक दल देश के कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।
(iv) राजनीतिक दल मतदाताओं के समक्ष अपनी छवि अच्छी बनाने के लिए जनता की सुख-सुविधा के लिए विभिन्न कार्य करते है।
(v) राजनीतिक दल चुनाव लड़कर सरकार गठित करते है।
(vi) चुनाव में हारने वाले दल विपक्ष की भूमिका अदा करते है। इस प्रकार वे सरकार पर अंकुश रखते है।
(vii) राजनीतिक दल जनता को अपने भाषणों के माध्यम से सरकार की नीतियों से परिचित कराते है जिससे जनता को राजनीतिक शिक्षा प्राप्त होती है।
(viii) सरकारी दल कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाने का कार्य करते है।
(ix) राजनीतिक दल मतदाताओं के समक्ष विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को रखते है जिनमे से जनता अपनी पसंद का चुनाव करती है।
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ है?
राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ है-
(i) राजनीतिक दलों के सामने सबसे पहली चुनौती है कि लोकतंत्र में केवल कुछ नेताओं के हाथों में ही सारी ताकत है। लोकतंत्र में यह आवश्यक है कि कोई भी फैसला लेने से पहले कार्यकर्ताओं से परामर्श लिया जाए लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। राजनीतिक दलों में नियमित बैठक नहीं होती और न ही इसके आंतरिक चुनाव होते है। वे कार्यकर्ताओं से सूचना साँझा नहीं करते और इसका हानिकारक परिणाम जनता को भुगता पड़ता है।
(ii) अधिकतर नेता राजनीति में ऊँचे-ऊँचे पदों पर अपने करीबी रिश्तेदारों और नजदीकी सदस्यों को स्थान दे देते है। इस प्रकार यह स्थिति सामान्य कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय कि स्थिति होती है। यह पूरी तरह से लोकतंत्र के विरुद्ध है। कई बार देखा जाता है कि अनुभवहीन लोग ऊँचे ऊँचे पड़ाव पर आसीन होते है। भारत की राजनीति में यही प्रवृति प्रचलित है।
(iii) कई बार राजनितिक दल चुनाव जितने के लिए धन और बल का भी प्रयोग करते है। इसके लिए वे अपराध और अपराधिकों का भी सहरा लेने से भी परहेज नहीं करते। साथ ही वे किसी धनवान व्यक्ति और कंपनी के प्रभाव में भी आ जाते है जिससे दल को उस व्यक्ति विशेष और कंपनी के अनुसार नीतियाँ निर्धारित करनी पड़ती है। इस तरह के कार्य लोकतंत्र के विकास को रोकते है और दल के भीतर अच्छे नेताओं के महत्व को कम करते है।
(iv) आज के युग में दलों के बीच वैचारिक अंतर कम होता जा रहा है। दलों के बीच विकल्प हीनता की स्थिति है। भिन्न-भिन्न पार्टियों की नीति व सिद्धांत भिन्न-भिन्न होती है, परन्तु आजकल बड़ी राजनीतिक पार्टियों की नीतियों में बहुत कम अंतर रह गया है। जैसे कांग्रेंस, समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाजवादी पार्टी आदि की नीतियों में कोई विशेष अंतर नहीं है। अतः जनता के लिए विकल्पों का चुनाव सीमित है।
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढगं से करें, इसके लिए उन्हें मज़बूत बनाने के सुझाव दें।
राजनीतिक दल को अपने कामकाज बेहतर ढगं से करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाने चाहिए-
(i) दलों के खर्च का प्रबंध राज्य करें जिससे वे दल कंपनी और व्यक्तियों के प्रभाव में न आए। इसके साथ ही प्रत्येक उम्मीदवार की सम्पति का ब्यौरा उससे माँगा जाए।
(ii) धन या पद के लोभ में विभिन्न प्रतिनिधि दल बदल लेते है। अतः इस तरह की प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए।
(iii) दलों को सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए सींटे आरक्षित करनी चाहिए।
(iv) पार्टियों को कानून व नीतियाँ निर्धारित करनी चाहिए।
(v) ऊँचे पदों के लिए निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए।
(vi) चुनाव आयोग के एक आदेश के मुताबिक सभी दलों के लिए संगठित चुनाव कराना आवशयक है।
(vii) जनता के हित में कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति को पार्टी में शामिल करना चाहिए। आम नागरिक जब स्वयं राजनीति में भाग लेगा तभी सुधार संभव है।
राजनीतिक दल का क्या अर्थ है?
लोगों का एक ऐसा संगठित समूह जो चुनाव लड़ने और सरकार के राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से कार्य करता है, राजनीतिक दल कहलाता है। यह संगठित समूह कुछ नीतियाँ व सिद्धांत निर्धारित करता है। किसी भी राजनीतिक दल में एक नेता, उसके सदस्य एवं समर्थक होते है।
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