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मुद्रा और साख
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिये और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
यह बिल्कुल सही हैं की उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए समस्याएँ हल करने की बजाए और समस्याएँ खड़ी कर सकता हैं।
(i) उधारकर्ता को मूलधन के साथ-साथ उधारदाताओं को ब्याज पर भी ब्याज का भुगतान करना था।
(ii) उधारकर्ता अदालती ऋण लेने वाले के खिलाफ अपने मूलधन और ब्याज को पुनः प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं।
(iii) कभी-कभी, ऋणदाता बैंक या सहकारी सोसायटी या क्रेडिट की कोई अनौपचारिक एजेंसी के साथ गठित संपार्श्विक के रूप में सुरक्षा या परिसंपत्तियों को बेच सकता है।
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है, वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है। आवश्यकताओं का दोहरा सयोंग विनिमय प्रणाली की एक अनिवार्य विशेषता है। जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का विनिमय होता है। इसकी तुलना में ऐसी आर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, मुद्रा महत्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की ज़रूरत का खत्म कर देती है।
उदहारण: जूता निर्माता के लिए ज़रूरी नहीं रह जाता की वो ऐसे किसान को ढूंढे, जो न केवल उसके जूते ख़रीदे बल्कि साथ-साथ उसको गेहूँ भी बेचे। उससे केवल अपने जूते के लिए खरीददार ढूँढ़ना हैं। एक बार उसने जूते, मुद्रा में बदल लिए तो वह बाज़ार में गेहूँ या अन्य कोई वस्तु खरीद सकता है।
अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
बैंक अपनी जमा राशि का केवल एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद के रूप में रखते हैं। बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की भारी मांग रहती है। बैंक जमा राशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
इस तरह , बैंक जिनके पास अतिरिक्त राशि है (जमाकर्ता) एवं जिन्हें राशि की ज़रूरत है (कर्जदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।
बैंक जमा पर जो ब्याज देते हैं उससे ज़्यादा ब्याज ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों के लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत है।
10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है। यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है।
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