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भारत में राष्ट्रवाद
व्याख्या करें:
उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
वियतनाम और दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। लेकिन प्रत्येक वर्ग और समहू पर उपनिवेशवाद का प्रभाव एक जैसा नहीं था। उनके अनुभव भी अलग थे और स्वतंत्रता के अर्थ भी भिन्न थे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को एकत्रित करके एक विशाल आंदोलन खड़ा किया परन्तु इस एकता में टकराव के बिंदु भी विधमान थे।
व्याख्या करे:
पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।
(i) सबसे पहली बात यह है कि विश्वयुद्ध ने एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति उत्पन्न कर दी थी। इसके कारण रक्षा व्यय में काफी वृद्धि हुई। इस व्यय की भरपाई करने के लिए युद्ध के नाम पर ऋण लिए गए और करों में वृद्धि की गई। सीमा शुल्क बढ़ा देगी और आयकर शुरू किया गया।
(ii) युद्ध के दौरान कीमतों में तेज़ी से वृद्धि हो रही थी।1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुनी हो चुकी थीं जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।
(iii) गावों में सिपाहियों को जबरदस्ती भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक गुस्सा था।
(iv) उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई।1921 की जनगना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।
(v) लोगो को उम्मीद थी कि युद्ध समाप्त होने के बाद उनकी परेशानियाँ कम हो जाएँगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
व्याख्या करें:
भारत के लोग रॉयल एक्ट के विरोध में क्यों थे?
ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को रोकने के क्रम में, इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक क़ैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रॉयल एक्ट के खिलाफ़ थे।
व्याख्या करें:
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों किया?
गांधीजी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया था। परन्तु 1922 में गोरखपुर के चौरी-चारा में हिंसक घटना घटित हुई जिसके तहत भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी जिसमे 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए। इस घटना को देखते हुए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया।
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