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प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन
पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
पर्यावरण मित्र बनने के लिए हम अपनी आदतों में निम्नलिखित परिवर्तन ला सकते हैं-
अजैव निम्नीकरणीय कचरे और जैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में डालकर।
1) पास की दुकानों, जगहों तक पैदल चलकर।
2) वनों की कटाई पर रोक लगाकर।
3) वृक्षारोपण करके।
4) पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के काम इस्तेमाल से।
5) प्लास्टिक का कम उपयोग करके।
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हैं?
इसका केवल एक ही लाभ है, मनुष्य के कम अवधि के संतोष को बनाना। पर लंबी अवधि के बाद यहाँ पता चल पता है कि संसाधनों की क्षति से अगली पीढ़ी को इसकी कमी हो सकती है।
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं का आधार प्राकृतिक संसाधनों का वहनीय प्रबंधन होता है। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों को आज इस्तेमाल कर और कल अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा जा सकता है। लंबी अवधि वाली परियोजनाएँ, काम अवधि वाली परियोजनाओं से ज़्यादा लाभकारी होती हैं।
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
अमीर और ताकतवर लोग संसाधनों का ज़्यादा लाभ उठाते हैं जिससे गरीब और गरीब होता जा रहा है। ताकत और पैसा ऐसी दो ताकतें हैं जो संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करती हैं।
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