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उपन्यास,समाज और इतिहास
इनकी व्याख्या करें:
ब्रिटेन में आए सामाजिक बदलावों से पाठिकाओं की संख्या में इज़ाफा हुआ।
ब्रिटेन में 18वीं सदी में आए निम्नलिखित सामाजिक बदलावों की वजह से पाठिकाओं की संख्या में इज़ाफा हुआ-
(i) उपन्यास से सम्बंधित सबसे भली बात तो यह हुई की महिलाएँ उससे जुड़ीं। अठारहवीं सदी में मध्यवर्ग और संपन्न हुए।
(ii)महिलाओं को उपन्यास पढ़ने और लिखने का अवकाश मिल सका। अत: उपन्यासों में महिला जगत को, उसकी भावनाओं, उसके तज़ुर्बे, मसलों और उसकी पहचान से जुड़े मुद्दों को समझा-सराहा जाने लगा।
(iii) कई सारे उपन्यास घरेलू ज़िन्दगी पर केंद्रित थे। इनमें महिलाओं को अधिकार के साथ बोलने का अवसर मिला। अपने अनुभवों को आधार बनाकर उन्होंने पारिवारिक जीवन की कहानियाँ रचते हुए अपनी सार्वजनिक पहचान बनाई।
इनकी व्याख्या करें:
रॉबिंसन क्रुसो के वे कौन से कृत्य हैं, जिनके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेसकार दिखाई देने लगता है।
(i) वह गैर-गोरे लोगों को बराबर का इंसान नहीं बल्कि अपने से हीनतर जीव मानता है।
(ii) वह एक 'देसी' को मुक्त कराकर अपना गुलाम बना लेता है।
(iii) वह औपनिवेशिक लोगों को आदिमानुस, बर्बर और इन्सान से कमतर मानता है और उन्हें सभ्य और पूर्ण इन्सान बनाना अपना कर्तव्य मानता है।
इनकी व्याख्या करें:
1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।
प्रकाशन के आरंभिक सालों में उपन्यास बहुत महँगे थे और वे समाज के गरीब तबके की पहुँच से बाहर थे। हेनरी फ़ील्डिंग का टॉम जोंस (1749) छह खण्डों में प्रकाशित हुआ और प्रत्येक खंड की कीमत तीन शिलिंग थीं, जो कि एक औसत मज़दूर के सप्ताह भर की कमाई होती थी।
लेकिन जल्द ही 1740 में किराए पर चलनेवाले पुस्तकालयों की स्थापना के बाद लोगों के लिए किताबें सुलभ हो गईं। तकनीकी सुधार से भी छपाई के ख़र्चे में कमी आई और मार्केटिंग के नए तरीक़ों से किताबों की बिक्री बढ़ी। फ्रांस में प्रकाशकों को लगा कि उपन्यासों को घंटे के हिसाब से किराये पर उठाने से ज़्यादा लाभ होता है। अत: समाज के गरीब तबके के लोगों को बिना अधिक खर्च किए उपन्यास पढ़ने की सुविधा उपलब्ध हो गई।
इनकी व्याख्या करें:
औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।
उन्नीसवीं सदी के अग्रणी उपन्यासकारों ने किसी न किसी उद्देश्य को लेकर उपन्यास रचे। उपनिवेशवादी शासकों को उस समय की भारतीय संस्कृति कमतर नज़र आती थी। वही भारतीय उपन्यासकारों ने देश में आधुनिक साहित्य का विकास करने के उद्देश्य से लिखा - ऐसा साहित्य जो लोगों में राष्ट्रीयता की भावना और उपनिवेशी शासकों से बराबरी का अहसास जगा सके।
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