ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
ध्वनि एक ऊर्जा का रूप है जिससे हमें सुनाई देने की अनुभूति होती है। यह वस्तुओं के कंपन से उत्पन्न होती है।
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ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
ध्वनि एक ऊर्जा का रूप है जिससे हमें सुनाई देने की अनुभूति होती है। यह वस्तुओं के कंपन से उत्पन्न होती है।
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एक चित्र के माध्यम से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है
ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम- वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है। इसका संचरण निर्वात में नहीं हो सकता।
प्रयोग:
1) एक बेलजार में विद्युत् घंटी को वायुरुद्ध रबड़ के साथ बेलजार के ढ़क्कन पर बाँधकर लटकाएँ।
2) बेलजार को निर्वात पम्प के साथ जोड़ें।
3) घंटी के स्विच को दबाएँ।
4) अभी घंटी की आवाज़ सुनाई देगी क्योंकि बेलजार में अभी हवा है।
5) अब निर्वात पम्प को चलाएँ।
6) अब धीरे-धीरे बेलजार से निर्वात पम्प द्वारा हवा निकली जा रही है।
7) अब घंटी की आवाज़ धीमी होती जा रही है।
8) और धीरे-धीरे हवा की अनुपस्थिति में घंटी की आवाज़ सुनाई नहीं देगी।
ध्वनि तरंगों की प्रवृत्ति अनुदैर्ध्य क्यों है?
अनुदैर्ध्य तरंगें आगे पीछे कंपन करते हुए संपीडन और विरलन के रूप में संचारित होती हैं। दोनों, ध्वनि और अनुदैर्ध्य तरंगें यांत्रिक तरंगें हैं और इनके संचरण के लिए किसी माध्यम (वायु, जल, स्टील आदि) की आवश्यकता होती है। अनुदैर्ध्य तरंगें माध्यम के कणों को विस्थापित करती हैं जिसकी दिशा संचरण की दिशा के सामानांतर होती हैं। और ध्वनि तरंगों की प्रवृत्ति भी समानांतर होती है।
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