जीवों में विविधता

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Question
CBSEHHISCH9006988

जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ हैं?

Solution

(i) वर्गीकरण जीवों के विभिन्न किस्मों के अध्ययन को आसान बनाता है।
(ii) यह जीवों के विभिन्न समूहों के बीच संबंध को समझने में हमारी सहायता करता है।
(iii) यह जीवों की विशिष्ट पहचान में मदद करता है।
(iv) यह पौधों और जानवरों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में होते हैं।
(v) यह जीवों के विभिन्न समूहों में धीरे-धीरे बढ़ती जटिलता और संरचना की स्थापना करके विकासवादी संबंध को दर्शाता है।

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Question
CBSEHHISCH9006989

वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेगें?

Solution

वर्गीकरण के पदानुक्रम में जीवों को विभिन्न लक्षणों के आधार पर छोटे-छोटे समूहों में बाँटते हुए वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाती तक पहुँचते हैं। सभी जीवधारियों को उनकी शारीरिक संरचना, पोषण के स्त्रोत, भोजन ग्रहण करने की विधि तथा कार्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। विकास क्रम के साथ-साथ शारीरिक लक्षणों में अधिक परिवर्तन होता है। विकास क्रम में जो लक्षण सबसे पहले प्रदर्शित होते हैं, उन्हें उनके मूल लक्षण कहते हैं। जैव विकास के फलस्वरूप मूल लक्षणों में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं जिससे जीवधारी अधिक सफलतापूर्वक जीविनयपन कर सके। वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रम निम्नलिखित हैं:
जगत → सघ → वर्ग → गण → कुल → वंश → जाति

Question
CBSEHHISCH9006990

जीवों का पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।

Solution

जगत मोनेरा के अंतर्गत प्रोकैरियोटिक एक कोशिकीय जीवधारियों को रखा गया है। पोषण के आधार पर ये परपोषी या स्वपोषी होते हैं। अधिकांश जीवाणु परपोषी तथा नीले-हरे शैवाल स्वपोषी होते हैं। इनमें प्राय: कोशिका भित्ति पाई जाती है।
जगत प्रोटिस्टा के अंतगर्त यूकैरियोटिक एक कोशिकीय जीवधारियों को रखा गया है। कोशिकाओं में कोशिका भित्ति उपस्थित व अनुपस्थित होती है। कोशिका भित्ति युक्त कोशिकाएँ पादप जगत तथा कोशिका भित्ति रहित कोशिकाएँ जंतु जगत की सदस्य होती हैं। विभिन्न प्रकार के शैवाल, डायटम स्वपोषी तथा अमीबा, पैरामीशियम आदि प्रोटोजोआ कोशिकाएँ परपोषी होती हैं। जंतु कोशिकाओं में प्रचलन के लिए सिलिया, फ़्लैजेल आदि संरचनाएँ पाई जाती हैं।
फंजाई के अंतगर्त यूकैरियोटिक हरितलवक रहित परपोषी पादप आते हैं। ये परजीवी या मृतजीवी होते हैं। परजीवी अपना भोजन जीवित पोशद से प्राप्त करते हैं। परजीवी एवं पोशद के घनिष्ट संबंध होता है। मृतजीवी पोषण के लिए मृत, सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर करते हैं। उदाहरण: राइजोपस, कुकुरमुत्ता ( मशरूम ), यीस्ट, गुच्छी, पेनिसिलियम आदि।
प्लाण्टी के अंतगर्त बहुकोशिकीय, यूकैरियोटिक कोशिका वाले विकसित पादप आते हैं। ये स्वपोषी होते हैं। प्रकाश संश्लेषण द्वारा भिज्य पदार्थों का संश्लेषण करते हैं। इसके अंतगर्त थैलेफाइटा, ब्रायोफाइटा, टेरीडोफाइट, जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म आदि पादप आते हैं।
ऐनिमेलिया के अंतगर्त बहुकोशिकीय, कोशिका भित्ति रहित यूकैरियोटिक कोशिका वाले जंतु आते हैं। ये पोषण की दृष्टि से परपोषी होते हैं। इसके अंतगर्त अकशेरुकी तथा कशेरुकी जंतु आते हैं।

Question
CBSEHHISCH9006991

पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?

Solution

पादप जगत के प्रमुख वर्ग:
(i) थैलेफाइट, (ii) ब्रायोफाइटा, (iii) टेरिडोफाइट, (iv) जिम्नोस्पर्म, (v) एन्जियोस्पर्म।
पादप जगत के वर्गीकरण के मुख्य आधार:
(i) पादप शरीर के विभिन्न भागों का विकास तथा विभेदन।
(ii) पादप शरीर में जल, खनिज तथा कार्बनिक भोज्य पदार्थों का संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों ( जाइलम, फ्लोएम ) की अनुपस्थिति अथवा उपस्थिति।
(iii) पादपों में बीजाणु अथवा बीजों द्वारा जनन।
(iv) बीज का नग्नबीजी अथवा आवृतबीजी होना।