ध्वनि

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Question
CBSEHHISCH9007063

ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?

Solution

ध्वनि एक ऊर्जा का रूप है जिससे हमें सुनाई देने की अनुभूति होती है। यह वस्तुओं के कंपन से उत्पन्न होती है। 

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Question
CBSEHHISCH9007064

एक चित्र के माध्यम से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।

Solution

हवा के माध्यम से ध्वनि का उत्पादन 
i) ध्वनि अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में हवा के माध्यम से यात्रा करती हैं।
ii) एक कंपमान स्वरित्र द्विभुज द्वारा उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों पर विचार कीजिए, जैसा कि इस चित्र में दर्शाया गया है।

चित्र: वायु में ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता स्वरित्र द्विभुज
iii) कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ पहले आगे के क्षेत्र (B1) की ओर कंपन करती हैं जिसे संपीडन कहते हैं (C क्षेत्र)। 
iv) कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ फिर पीछे के क्षेत्र (B2) की ओर कंपन करती हैं जिसे विरलन कहते हैं (R क्षेत्र)।
v) इसी प्रकार कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाएँ आगे पीछे गति करती हैं तथा संपीडन और विरलन की श्रेणी बन जाती है।  

Question
CBSEHHISCH9007065

किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है

Solution

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम- वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है। इसका संचरण निर्वात में नहीं हो सकता।
प्रयोग:
1) एक बेलजार में विद्युत् घंटी को वायुरुद्ध रबड़ के साथ बेलजार के ढ़क्कन पर बाँधकर लटकाएँ।

2) बेलजार को निर्वात पम्प के साथ जोड़ें।

3) घंटी के स्विच को दबाएँ।

4) अभी घंटी की आवाज़ सुनाई देगी क्योंकि बेलजार में अभी हवा है।

5) अब निर्वात पम्प को चलाएँ।

6) अब धीरे-धीरे बेलजार से निर्वात पम्प द्वारा हवा निकली जा रही है।

7) अब घंटी की आवाज़ धीमी होती जा रही है।
8) और धीरे-धीरे हवा की अनुपस्थिति में घंटी की आवाज़ सुनाई नहीं देगी।

Question
CBSEHHISCH9007066

ध्वनि तरंगों की प्रवृत्ति अनुदैर्ध्य क्यों है?

Solution

अनुदैर्ध्य तरंगें आगे पीछे कंपन करते हुए संपीडन और विरलन के रूप में संचारित होती हैं। दोनों, ध्वनि और अनुदैर्ध्य तरंगें यांत्रिक तरंगें हैं और इनके संचरण के लिए किसी माध्यम (वायु, जल, स्टील आदि) की आवश्यकता होती है। अनुदैर्ध्य तरंगें माध्यम के कणों को विस्थापित करती हैं जिसकी दिशा संचरण की दिशा के सामानांतर होती हैं। और ध्वनि तरंगों की प्रवृत्ति भी समानांतर होती है।