सुदामा चरित

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Question
CBSEENHN8000837

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। 

Solution

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण व्यथित हो गए और दूसरीं पर करुणा करने वाले दीनदयाल स्वयं रो पड़े।

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Question
CBSEENHN8000838

“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Solution

जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हे देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एड़ियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।

Question
CBSEENHN8000839

“चोरी की बान में ही जू प्रवीने।” 
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

Solution

(क) यह पंक्ति श्रीकृष्ण ने सुदामा से कही।
(ख) जब श्रीकृष्ण कौ सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली नहीं देते तै। उन्होंने कहा कि तुम चोरी करने में कुशल हो।
(ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में पढ़ते थे तो एक बार गुरुमाता ने इन दोनों को चने देकर लकड़ी तोड़ने भेजा। कृष्ण पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ तोड़ रहे थे तो नीचे खड़े सुदामा चने खाते जा रहे थे। कृष्ण को जब चने चबाने की आवाज आई तो उन्होंने सुदामा से पूछा कि क्या चने खा रहे हो? सुदामा ने झूठ बोलते हुए कहा, नही चने नहीं खा रहा यह तो ठंड के कारण मेरे दाँत बज रहे हैं। लेकिन जब श्रीकृष्ण नीचे उतरे तो सुदामा के पास चने न पाकर क्रोधित हो उठे। तब उन्होंने सुदामा को कहा कि सुदामा तुमने मेरे चनों की चोरी की है।

 

Question
CBSEENHN8000840

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए। 

Solution

जब श्रीकृष्ण ने विदाई के समय सुदामा की कोई मदद न की तो उन्हें बहुत बुरा लगा। वे सोचने लगते हैं कि यह किसी को क्या देगा भले ही विपुल धन संपत्ति इसके पास है। बचपन में तो थोड़ी-सी दही के लिए सभी घरों में हाथ फैलाता था।
वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ उठते हैं क्योंकि उन्हें कृष्ण से ऐसी उम्मीद न थी कि वे उसे खाली हाथ ही लौटा देंगे। सुदामा के मन में दुविधा आ जाती है कि इतने आदर सत्कार से स्वागत व विदाई देने वाले कृष्ण ने ऐसा क्यों किया?