भारत में किन-किन विदेशी जातियों ने अपने पाँव पसारने चाहे?
सम्राट हर्षवर्धन के शासन के पश्चात् अरबी, तुर्की व अफगानी जातियों ने भारत में आगमन किया।
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सम्राट हर्षवर्धन के शासन के पश्चात् अरबी, तुर्की व अफगानी जातियों ने भारत में आगमन किया।
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अरब जातियाँ जब भी भारत पर राजनीतिक सत्ता हेतु आक्रमण करतीं तो भारतीय डटकर मुँह तोड़ जवाब देते इसीलिए ये आगे न बढ़ पाई।
सिंध ने बगदाद की केंद्रीय सत्ता से अलग होकर एक छोटा-सा स्वतंत्र राज्य कायम किया।
भारत और अरव में यात्रियों का आना-जाना शुरू हुआ, राजदूतावासों की अदला-बदली हुई, गणित और खगोल-शास्त्र की पुस्तकों का अरबी में अनुवाद हुआ, भारतीय चिकित्सक भी बगदाद गए। इस व्यापारिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान में उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत का भी पूर्ण सहयोग रहा। दक्षिण भारत के राष्ट्रकूटों ने पश्चिमी तट से भी उनके साथ व्यापार किया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत के अरब के साथ संबंध उत्तम रहे।
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