हिमालय की बेटियाँ

Sponsor Area

Question
CBSEENHN7000297

नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं ?

Solution

लेखक नदियों को माँ मानने की परपंरा से पहले इन नदियों को स्त्री के सभी रूपों में देखता है जिसमें वो उसे बेटी के समान प्रतीत होती है। इसलिए तो लेखक नदियों को हिमालय की बेटी कहता है। कभी वह इन्हें प्रेयसी की भांति प्रेममयी कहता है, जिस तरह से एक प्रेयसी अपने प्रियतम से मिलने के लिए आतुर है उसी तरह ये नदियाँ सागर से मिलने को आतुर होती हैं, तो कभी लेखक को उसमें ममता के स्वरूप में बहन के समान प्रतीत होती है जिसके सम्मान में वो हमेशा हाथ जोड़े शीश झुकाए खड़ा रहता है।

Sponsor Area

Question
CBSEENHN7000298

सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?

Solution

इनकी विशेषताएँ इस प्रकार है:-

(i) सिंधु और ब्रह्मपुत्र ये दोनों ही महानदी हैं।

(ii) इन दोनों महानदियों में सारी नदियों का संगम होता है।

(iii) ये भौगोलिक व प्राकृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण नदियाँ हैं। ये डेल्टाफार्म करने के लिए, मत्सय पालन, चावल की फसल व जल स्रोत का उत्तम साधन है।

(iv) ये दोनों ही पौराणिक नदियों के रूप में विशेष पूज्यनीय व महत्वपूर्ण हैं।

Question
CBSEENHN7000299

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?

Solution

नदियों को लोकमाता कहने के पीछे काका कालेलकर का नदियों के प्रति सम्मान है। क्योंकि ये नदियाँ हमारा आरम्भिक काल से ही माँ की भांति भरण-पोषण करती आ रही है। ये हमें पीने के लिए पानी देती है तो दूसरी तरफ इसके द्वारा लाई गई ऊपजाऊ मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी होती है। ये मछली पालन में भी बहुत उपयोगी है अर्थात्‌ ये नदियाँ सदियों से हमारी जीविका का साधन रही है। हिन्दू धर्म में तो ये नदियाँ पौराणिक आधार पर भी विशेष पूजनीय है। हिन्दु धर्म में तो जीवन की अन्तिम यात्रा भी इन्हीं से मिलकर समाप्त हो जाती है। इसलिए ये हमारे लिए माता के समान है जो सबका कल्याण ही करती है।

Question
CBSEENHN7000300

हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?

Solution

लेखक ने हिमालय यात्रा में निम्नलिखित की प्रशंसा की है –

(i) हिमालय की अनुपम छटां की।

(ii) हिमालय से निकले वाली नदियों की अठखेलियों की।

(iii) उसकी बरफ़ से ढकी पहाड़ियों की सुदंरता की।

(iv) पेड़-पौधों से भरी घाटियों की।

(v) देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफैदा, कैल से भरे जंगलों की।